लखनऊ (ब्यूरो)। मनकामेश्वर मंदिर में शिव विवाह का उत्सव चल रहा है। महंत देव्या गिरी ने बताया कि महाशिवरात्रि को भोर के चार बजे से दर्शन के लिए मंदिर के कपाट खोल दिए जाएंगे। कोरोना के चलते इस बार भी दर्शन में सतर्कता बरती जाएगी। जलाभिषेक करने के लिए दो जलधारी लगाई गई हैं। इनके माध्यम से गर्भगृह के बाहर से भोलेनाथ पर जलाभिषेक किया जाएगा। वहीं, सदर सदर स्थित शिव श्याम मंदिर में सामूहिक रुद्राभिषेक होगा।

शिव बारात नहीं निकलेगी

ठाकुरगंज कल्याण गिरी मंदिर के महंत महावीर गिरी महाराज ने बताया कि महाशिवरात्रि की भोर से लेकर रात तक दर्शन होंगे। रात में रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाएगा। साथ ही 2 मार्च को फूलों से श्रृंगार किया जाएगा। कोरोना के चलते इस बार शिव बरात नहीं निकलेगी। राजेंद्र नगर महाकाल मंदिर में महाशिवरात्रि पर दो दिवसीय शिव विवाह का आयोजन किया जाएगा। संयोजक अतुल मिश्रा ने बताया कि शिव विवाह से पूर्व 28 फरवरी की शाम मेहंदी एवं हल्दी की रस्म और में महाआरती होगी। 1 मार्च को सुबह 4 बजे भस्म आरती होगी और शाम 7 बजे शिव पार्वती पार्वती का विवाह महोत्सव होगा। सदर के दादश ज्योतिर्लिंग धाम में 28 की रात निशाकाल 2:30 बजे से मर्मज्ञ प्रकांड विद्वानों के सानिध्य में 14 परिवारों द्वारा रूद्राभिषेक किया जाएगा।

भगवान का करें अभिषेक

ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडे के अनुसार रात्रि जागरण करते हुये रात्रि में चारो प्रहर में चार प्रकार के द्रव्यों से अभिषेक करने का विधान है। स्कंध पुराण के अनुसार इस दिन सूर्यास्त के बाद भगवान शिव पार्वती व अपने गणों के सहित भूलोक में सभी मंदिरों में प्रतिष्ठित रहते हैं। ऐसे में प्रथम प्रहर में षोडशोपचार पूजन कर गोदुग्ध से, द्वितीय प्रहर में गोदही से, तृतीय प्रहर में गोघृत से व चतुर्थ प्रहर में पंचामृत से अभिषेक करने का विधान है।

करें महाशिवरात्रि के दिन रुद्राभिषेक

भगवान शिव का पूजन व रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिंग पर गोदुग्ध से, सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदुग्ध में चीनी व मेवे के घोल से, शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से, पुत्र प्राप्ति हेतु मक्खन या घी से, अभीष्ट की प्राप्ति को गोघृत से तथा भूमि भवन एवं वाहन की प्राप्ति को शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए ।

नव ग्रहों के पीड़ा से मुक्ति

- यदि जन्म कुंडली में सूर्य से संबंधित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तों को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें।

- चंद्रमा से संबंधित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिला कर रुद्राभिषेक करें।

- मंगल से संबंधित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें।

- बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से रुद्राभिषेक करें।

- गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदुग्ध से रुद्राभिषेक करें।

- शुक्र से संबंधित रोग एवं कष्ट हो तो गोदुग्ध के छाछ से रुद्राभिषेक करें।

- शनि से संबंधित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें।

- राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से रुद्राभिषेक करें।

- केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करें।