लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ तो खराब वितरण ट्रांसफॉर्मर्स को समय से नहीं बदला जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ मुआवजा कानून की भी अनदेखी हो रही है। जिसकी वजह से उपभोक्ताओं को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। यह कहना है उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष का। उन्होंने पावर कारपोरेशन से मांग उठाई है कि वितरण ट्रांसफार्मर्स की मॉनिटरिंग के लिए सभी बिजली कंपनियां अपने क्षेत्र में एक मुख्य अभियंता स्तर के अधिकारी को नोडल बनाएं और उनके नंबर को प्रचारित किया जाए। जिससे उपभोक्ता अपनी समस्या उनसे शेयर कर सकें।

50 प्रतिशत हो रहे खराब

उत्तर प्रदेश के पिछले सप्ताह के आंकड़ों पर नजर डालें तो जुलाई के अंतिम सप्ताह में 50 प्रतिशत वितरण ट्रांसफार्मर ओवरलोड व अन बैलेंससिंग के चलते खराब हो रहे हैं या जल रहे हैं। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या प्रदेश के उन बिजली उपभोक्ताओं के लिए हो रही है, जहां वितरण ट्रांसफार्मर लगातार जल रहे हैं और उन्हें समय से बदला नहीं जा रहा है। विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए मुआवजा कानून में यह व्यवस्था की गई है कि शहरी क्षेत्रों में ट्रांसफार्मर जलने की शिकायत प्राप्त होने के 8 घंटे के भीतर और यदि श्रेणी वन का शहर है तो 6 घंटे के भीतर और ग्रामीण क्षेत्र में 48 घंटे के भीतर वितरण ट्रांसफार्मर हर हाल में बदलना होगा। ऐसा ना करने पर रुपया 150 प्रतिदिन के हिसाब से ग्रामीण क्षेत्र में मुआवजा भी उस क्षेत्र के विद्युत उपभोक्ताओं को देना होगा, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा।

तय समय सीमा में बदला नहीं जाता

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पूरे प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर यह शिकायतें प्राप्त हो रही हैं कि उनके क्षेत्र में लगातार ओवरलोड के चलते वितरण ट्रांसफार्मर जल रहे हैैं, लेकिन उन्हें विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए कानून के तहत तय समय सीमा में बदला नहीं जाता है। जब उपभोक्ता क्षेत्र के अभियंता से संपर्क करता है तो उन्हें एक ही जवाब दिया जाता है कि जो ट्रांसफार्मर जल गया है उसकी सूचना स्टोर को दे दी गई है और इंडेंट दाखिल कर दिया गया है। जैसे ही ट्रांसफार्मर प्राप्त होगा, लग जाएगा। उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने कहा कि बिजली कंपनियों को जिन भी क्षेत्रों में वितरण ट्रांसफार्मर जल रहे हैं उन्हें विद्युत नियामक आयोग द्वारा बनाए गए कानून के तहत तय समय सीमा में बदलना होगा और यदि ऐसा नहीं होता है तो उपभोक्ता परिषद बिजली कंपनियों के खिलाफ विद्युत नियामक आयोग में अवमानना बाद भी दाखिल करने पर विचार करेगा।