- बाइक व कार चुराने वाले गैंग बनाकर करते हैं काम
- सॉफ्टवेयर व तकनीकी का भी यूज कर रहे वाहन चोर
LUCKNOW :
अब अपराधी भी किसी वारदात को पूरे प्रोफेशनल की तरह अंजाम देते हैं। वारदात से पहले उसकी पूरी स्क्रिप्ट तैयार की जाती है और तकनीक का भी पूरी तरह यूज किया जाता है। हम आपको बता रहे हैं कि किस तरह राजधानी में वाहन चोरी की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। यह जानकारी कहीं और से नहीं, हाल के दिनों में पकड़े गए वाहन चोरों ने जो पुलिस को दी है।
एक गैंग में तीन से चार लोग
ऑटो लिफ्टर गैंग में तीन से चार सदस्य होते हैं और इनमें सबका काम अलग-अलग होता है। कोई वाहन चुराता है तो कोई उसे छिपाने का काम करता है और कोई इसके लिए ग्राहकों को तलाशता है।
पेंडॉल क्लिप के लोहे से बनाते चाबी
रेलवे की पटरी में लगने वाली क्लिप को पेंडॉल क्लिप कहा जाता है। इसका लोहा काफी मजबूत होता है। वाहन चोर इसी पेंडॉल क्लिप के लोहे को पिटवा कर चाबी नुमा आकार देते हैं। इसे टारगेट व्हीकल के लॉक में लगाते हैं और घूमा देते हैं। इससे एक बार में ही गाड़ी का लॉक टूट जाता है।
दो मिनट में गाड़ी गायब
वाहन चोरों का गैंग किसी बैंक या ऑफिस में आए लोगों पर नजर रखता है। गैंग का एक सदस्य यह जानने की कोशिश करता है कि आने वाला व्यक्ति किस काम से आया है और वह ऑफिस के अंदर कितनी देर रहेगा। वहीं दूसरा सदस्य गाड़ी चुराने का काम करता है। वहीं एक अन्य सदस्य वहीं खड़ा होकर यह देखता है कि किसी की नजर तो उन पर नहीं है। सीसीटीवी की लोकेशन भी यही देखता है।
स्टैंड पर नहीं खड़ी करते हैं गाड़ी
वाहन चोर गाड़ी चुराने के बाद उसे किसी सरकारी और प्राइवेट स्टैंड पर नहीं खड़ी करते हैं। ये वाहन को किसी खाली प्लाट या सुरक्षित जगह पर ले जाकर छिपा देते हैं। जो सदस्य चोरी की गाड़ी को छिपाने जाता है, बाकी सदस्य उससे कुछ दूरी पर अपने वाहन के साथ चलते हैं।
भीड़-भाड़ वाली जगह टारगेट
वाहन चोर गैंग के सदस्य सन्नाटे वाली जगह से नहीं, भीड़-भाड़ वाली जगहों से वाहनों को चुराते हैं। ये ऐसी जगह चुनते हैं, जहां आसपास सीसीटीवी नहीं लगे होते हैं। ये अधिकतर उन वाहनों को ही चुराते हैं जो पार्किंग में नहीं खड़े होते हैं।
ऑन डिमांड भी चोरी
ऑटो लिफ्टर गैंग के टारगेट पर हमेशा पुराने व्हीकल यानि तीन से चार साल चली गाड़ी होती हैं। नई व लग्जरी गाडि़यां वे ऑन डिमांड ही चुराते हैं। इन गाडि़यों को ये बेहद कम दाम पर बेच देते हैं या इन्हें कटवाकर पार्ट्स के रूप में बेचा जाता है।
सॉफ्टवेयर से तोड़ते हैं लॉक
लग्जरी चार पहिया गाडि़यों को चुराने वाले गैंग गाडि़यों का लॉक सॉफ्टवेयर से तोड़ते हैं। कुछ दिन पहले एसटीएफ ने विकास नगर से प्रदीप चौरसिया को पकड़ा था। इसके पास से इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम व ड्रील मशीन मिली थी, जिससे साफ्टवेयर के जरिए लॉक तोड़ा जाता है।
अपने शहर में नहीं करते वारदात
ऑटो लिफ्टर गैंग अपने शहर में चोरी की वारदात को अंजाम नहीं देते हैं। ये दूसरे शहर में जाकर मकान किराए पर लेते है और फिर वारदात को अंजाम देते हैं।
इस तरह बचाएं गाड़ी को चोरी होने से
- बाइक को सुनसान जगह पर न खड़ी करें
- पार्किंग में ही अपनी गाड़ी खड़ी करें
- बाइक में एंटी थेफ्ट अलार्म का यूज करें
- डिस्क ब्रेक लॉक लगाएं