- नई स्क्रैप नीति से दूर होगी ऑटो सेक्टर की मंदी

- प्रदूषण पर भी लगेगी लगाम, वाहनों की उम्र होगी निर्धारित

sanjeev.pandey@inext.co.in

LUCKNOW : गाड़ी जाएगी स्क्रैप में और आपको नई गाड़ी खरीदने में भी छूट मिल जाएगी। स्क्रैप नीति में ऐसे कई प्वाइंट शामिल हैं जिससे ना केवल ऑटो सेक्टर की मंदी दूर होगी बल्कि शहर की हवा में भी सुधार होगा। यह नीति पूरे देश के लिए बनाई जा रही है। इस नीति के लागू होने के बाद वाहन मालिकों को अपने कबाड़ वाहन से आसानी से छुटकारा मिल जाएगा।

प्राइवेट वाहन नहीं होते सरअंडर

परिवहन विभाग के अधिकारियों के अनुसार मौजूदा समय में सिर्फ कॉमर्शियल वाहन ही कटने के लिए आरटीओ ऑफिस पहुंचते हैं। यह भी वाहन से चेसिस निकाल कर आरटीओ ऑफिस में जमा करते हैं और बाकी सब कबाड़ी को बेच देते हैं। ऐसे में वाहन में री-साइकल होने वाले प्रोडक्ट भी कबाड़ में चले जाते हैं। वही प्राइवेट वाहनों के हालत ही अलग है। बहुत कम लोग ही ऐसे है जो वाहन को सरेंडर करने के लिए आरटीओ ऑफिस पहुंचते हो। कई लोगों के घरों में कबाड़ पड़े देखे जा सकते हैं। अंत में वे उन्हें कबाड़ी को बेच देते हैं, लेकिन सरेंडर नहीं कराते। ऐसे वाहनों का रजिस्ट्रेशन आरटीओ ऑफिस में बना रहता है। ऐसे में यह पता नहीं लगता कहां कितने वाहन रजिस्टर्ड हैं और कितने रोड पर चल रहे हैं।

निर्धारित होगी वाहनों की उम्र

इसके अलावा सालों पुराने वाहन रोड पर चलने से इनसे निकलने वाली विषैली गैसैज का उत्सर्जन अधिक होने लगता है। जो पॉल्यूशन का एक बड़ा कारण है। ऐसे में अत्यधिक पुराने वाहनों को बाहर किए जाने की तैयारी है। इसी के चलते दिल्ली में 10 साल पुराने डीजल और 15 साल पुराने पेट्रोल वाहनों का री-रजिस्ट्रेशन नहीं होता है। नई वाहन नीति में भी यह प्रयास किए जा रहे है कि देश भर में निश्चित समय के बाद री-रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था ही खत्म हो जाए।

प्रमाण पत्र से मिलेगी छूट

- नई स्क्रैप नीति बन जाने पर सभी शहरों में एक स्क्रैप सेंटर बनेगा।

- यहां पर निश्चित समय पूरा होने के बाद वाहन मालिक अपने वाहन छोड़ सकेंगे।

- मौके से एक प्रमाण पत्र मिल जाएगा जिससे नए वाहन की खरीद पर उन्हें छूट मिल जाएगी।

- इससे वाहन मालिकों पर भी बहुत बोझ नहीं आएगा। इससे लोग पुराने वाहनों को चलाने से भी बचेंगे।

- स्क्रैप सेंटर पर जो वाहन के जो आइटम बेकार हो गए है उन्हें तो कबाड़ में बेच दिया जाएगा

- ऐसे आइटम निकाल लिए जाएंगे जिनका दोबारा प्रयोग हो सकता है।

- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय दिल्ली की देखरेख में यह नीति तैयार की जा रही है।

कोट

स्क्रैप नीति बनाई जा रही है। इसमें वाहनों की उम्र निर्धारित हो जाएगी। उसके बाद वाहनों को चलने की छूट नहीं होगी। तय समय के बाद स्वत: ही रजिस्ट्रेशन खत्म हो जाएगा। इससे प्रदूषण भी कम होगा।

धीरज साहू

परिवहन आयुक्त उप्र।

लखनऊ में वाहनों की संख्या

- 30 लाख से अधिक गाडि़यां रजिस्टर्ड

- 17 लाख से अधिक दो पहिया वाहन

05 लाख से अधिक चार पहिया वाहन

05 लाख कॉमर्शियल वाहन

डेली 20 लाख वाहन ऑनरोड

आरटीओ ऑफिस के अधिकारियों के अनुसार राजधानी में रोजाना 20 लाख वाहन ऑन रोड होने की रिपोर्ट सामने आ रही है। इसमें शहर के साथ ही अन्य प्रदेशों से आने वाले वाहनों की संख्या भी शामिल हैं।