लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ तो कॉस्ट डेटा बुक को दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से बिजली कनेक्शन के लिए एस्टीमेट बनाए गए और जब मामला पकड़ में आया और उपभोक्ता परिषद ने आवाज उठाई तो बिजली कंपनियों ने मुआवजे के आंकड़े में ही खेल कर दिया। जिसे लेकर नियामक आयोग खासा सख्त हो गया है और निदेशक वितरण को फटकार लगाने के साथ ही सभी बिजली कंपनियों के एमडी को एक नवंबर को शपथ पत्र लेकर तलब कर लिया है।

100 करोड़ से अधिक की वसूली

कास्ट डाटा बुक के विपरीत जाकर बनाए गए स्टॉक इशू रेट से लगभग 100 करोड़ से ज्यादा की वसूली पर विद्युत नियामक आयोग द्वारा उपभोक्ता परिषद की याचिका पर शुक्रवार को सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक व पावर कारपोरेशन के चेयरमैन अथवा उनके अधिकृत प्रतिनिधि को जवाब देने के लिए तलब किया गया था। जिसके तहत सभी बिजली कंपनियों की तरफ से पावर कारपोरेशन के निदेशक वितरण कमलेश बहादुर सिंह ने विद्युत नियामक आयोग को एक लिखित जवाब सौंपा।

मध्यांचल में दो करोड़ की वसूली

निदेशक वितरण ने कहा कि पूर्वांचल में 25 लाख 26 हजार कि अधिक वसूली हुई है। मध्यांचल में 2 करोड़ 1 लाख 63 हजार की अधिक वसूली हुई है। दक्षिणांचल एवं पश्चिमांचल में अधिक वसूली नहीं हुई है। केस्को में केवल 60 हजार की अधिक वसूली हुई है। कुल 2 करोड़ 27 लाख 49 हजार की अधिक वसूली हुई है। विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह ने पावर कारपोरेशन के निदेशक वितरण को आड़े हाथों लेते हुए फटकार लगाई और कहा कि इस प्रकार की हीलाहवाली नहीं चलेगी। यह बहुत गंभीर मामला है। आपके द्वारा केवल मनमाने तरीके से जवाब दिया जा रहा है, जिसे आयोग ने बहुत गंभीरता से लिया है।

करोड़ों की वसूली छिपाई जा रही

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का पक्ष रखते हुए कहा कि सभी बिजली कंपनियों ने अपने तरीके से जवाब दे दिया है। वास्तव में करोड़ों की वसूली को छिपाने का प्रयास किया जा रहा है। उपभोक्ता परिषद ने मध्यांचल की सूची दिखाते हुए कहा कि बड़े पैमाने पर करोड़ों रुपया वसूला गया है, उसको यह दबा नहीं सकते। परिषद अध्यक्ष ने मांग की है कि विद्युत नियामक आयोग एक कमेटी बनाकर सभी बिजली कंपनियों में कुछ चुनिंदा उपखंडों की जांच करानी होगी।

अब देना होगा शपथ पत्र

विद्युत नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव ने बिजली कंपनियों को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत आयोग में व्यक्तिगत रूप से एक नवंबर 2022 को उपस्थित होकर इस अधिक वसूली की वापसी पर एक शपथ पत्र देंगे और प्रदेश के उपभोक्ताओं से जो अधिक वसूली हुई है, उसका पूरा विवरण भी देंगे। विद्युत नियामक आयोग कमेटी बनाकर पूरे मामले की सत्यता की मौके पर जांच भी करा सकता है। चेयरमैन ने कहा कि पावर कारपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज व प्रबंध निदेशक पावर कारपोरेशन की तरफ से बिजली कंपनियों को स्पष्ट आदेश जारी किया गया है कि अधिक वसूल की गई धनराशि वापस की जाए और जो लोग दोषी हैं उनके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए, इसलिए एक नवंबर को उन्हें व्यक्तिगत रूप से हाजिर नहीं होना है।