लखनऊ (ब्यूरो)। 'मेरी सचिवालय में अच्छी पकड़ है। मुझे मंत्री और अधिकारी अच्छे से पहचानते हैं, आसानी से जॉब लग जाएगीÓ, कुछ ऐसी ही बातें करके ठग आजकल बेरोजगारों को अपना शिकार बना रहे हैं। ऐसी बातें करने के बाद जॉब प्रोफाइल के हिसाब से आपसे रकम मांगी जाती है। यह तो सिर्फ एक तरीका है, ऐसे ही न जाने कितनों तरीकों से ठगी की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है, जो इन दिनों लखनऊ पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ है। पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि ऑनलाइन चीटिंग तो कम होने का नाम नहीं ले रही है और अब ऑफलाइन ठग भी एक्टिव हो गए हैं। पढ़ें अमित गुप्ता की रिपोर्ट

500 से अधिक केस

राजधानी में हत्या, लूटपाट, डकैती, चोरी, साइबर क्राइम ये घटनाएं अक्सर होती रहती है, लेकिन इन दिनों लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस के लिए एक और अपराध सबसे ज्यादा सिरदर्द बना हुआ है और वो हैं चीटिंग के केस। जी हां, यह हम नहीं, बल्कि लखनऊ पुलिस के आंकड़े बता रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2023 से लेकर अबतक करीब पांच सौ से अधिक ऑफलाइन चीटिंग की एफआईआर दर्ज हुई हैं। इसमें प्रॉपर्टी, नौकरी का झांसा, ठेका, फ्लैट, प्लॉट, दुकान, वाहनों को ट्रैवल्स एजेंसी में लगवाने समेत अन्य कई तरह के फ्रॉड सामने आए हैं।

केस-1

हुसैनगंज थाना पुलिस को दी शिकायत में गोरखपुर निवासी सुरेश सिंह ने बताया कि अगस्त 2021 को उनकी मुलाकात पीजीआई वृंदावन योजना निवासी रामजीत और जौनपुर निवासी विनोद राव से हुई। इस दौरान विनोद ने रामजीत के बारे में बताया कि इनकी सचिवालय में अच्छी पकड़ है। अभी तक दो लोगों की नौकरी लगवा चुके हैं और इन दिनों सचिवालय में क्लर्क का एक पद खाली है। पीड़ित ने बताया कि बेटी की नौकरी लगवाने के नाम पर आरोपियों ने पांच लाख रुपये ऐंठ लिए। पैसा मांगने पर वह टाल मटोल कर रहे हैं। हुसैनगंज थाना पुलिस ने अब रामजीत और विनोद के खिलाफ केस दर्ज किया है।

केस-2

जनवरी 2023 को सरोजनीनगर के रहने वाले नरेंद्र प्रताप सिंह से उनके दोस्तों ने निवेश के नाम पर ठगी की। आरोप था कि पीजीआई के रहने वाले विवेक कुमार पांडेय और कुशीनगर के रहने वाले कौशल कुमार यादव ने प्रॉपर्टी के बिजनेस में ज्यादा फायदे का भरोसा दिया और निवेश के लिए दोनों को आठ लाख रुपये दिए। छह महीने के अंदर फायदा व छह लाख रुपये वापस करने का वादा किया, लेकिन निर्धारित समय सीमा के बाद भी कोई फायदा न मिलता देखकर जब पीड़ित ने अपने रुपये वापस मांगे तो वे गोल मोल जवाब देने लगे, जिसके बाद सरोजनीनगर थाने में उन्होंने केस दर्ज कराया।

यहां आए सबसे अधिक मामले

आंकड़ों के मुताबिक, ऑनलाइन चीटिंग के मामले हजरतगंज, विभूतिखंड, गोमती नगर, गाजीपुर, गोमतीनगर विस्तार, सुशांत गोल्फ सिटी, महानगर और चिनहट में सबसे अधिक सामने आए हैं। ठाकुरगंज और मड़ियांव में भी ठगी के मामले दर्ज होते हैं। इन इलाकों में सबसे ज्यादा सरकारी और गैर सरकारी ऑफिस होने के चलते मामले ज्यादा सामने आते हैं। बता दें कि कई मामलों में तहरीर तो आ जाती है, लेकिन विवेचना पूरी न होने के चलते केस लटके रहते हैं।

लंबी चलती है विवेचना

पुलिस के मुताबिक, ठगी के केसों में सबसे अधिक समय तक जांच चलती है। फ्रॉड के मामले में विवेचक को सबसे बड़ी मुश्किल साक्ष्य जुटाने में आती है। साथ ही, बहुत कम चार्जशीट दाखिल होती हैं। इसकी विवेचना इतनी लंबी और कठिन होती है कि विवेचक केस में पर्चे तो काटते हैं, लेकिन चार्जशीट दाखिल करने से बचते हैं। इतनी लंबी प्रक्रिया के चलते कई बार आरोपी बच जाते हैं। डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक का कहना है कि इस तरह के केस आने पर सभी पहलुओं पर विवेचक अपनी जांच करता है। धोखाधड़ी के केस लगातार सामने आ रहे हैं।

इस तरह होती है ठगी

- प्रॉपर्टी के नाम पर

- नौकरी का झांसा देना

- ठेका दिलाने के नाम पर

- फ्लैट व जमीन खरीदना-बेचना

- वाहनों को ट्रैवल्स एजेंसी में लगवाना

फ्रॉड से कैसे बचें

- नौकरी लगवाने के नाम पर किसी पर भरोसा न करें

- सिर्फ सरकारी नोटिफिकेशन पर ही विश्वास करें

- अगर कोई आपको नौकरी का झांसा दे रहा है तो पहले कंफर्म करें

- प्रॉपर्टी खरीद के लिए पहले दस्तावेजों की अच्छी से जांच करें

- ऑनलाइन विज्ञापन पर भरोसा न करके मैनुअल जांच पड़ताल करें

- राजस्व व कचहरी से प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स की पड़ताल जरूर करें