- दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने 'कोरोना से घबराना नहीं, लड़कर हराना है' विषय पर आयोजित किया वेबिनार

LUCKNOW:

कोरोना एक रेस्पेरेटरी संबंधी बीमारी है। इसकी संक्रामकता ज्यादा है लेकिन मारक क्षमता कम है। देश में अब तक 36 लाख लोग इससे संक्रमित हुए हैं और करीब 60 हजार लोगों की इससे मौत हुई है। देश में कोरोना मरीजों का रिकवरी रेट 75 फीसद से अधिक है। वहीं जो मरीज मिल रहे हैं, उसमें 80 फीसद एसिम्टोकमेटिक, 15 फीसद माइल्ड लक्षण और सिर्फ 3-5 फीसद गंभीर मरीज हैं जिन्हें आईसीयू की जरूरत होती है। ऐसे में कोरोना से डरने की जगह सतर्क रहने की जरूरत है। ये बातें सिविल अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डॉ। आशुतोष दुबे ने बतौर मुख्य वक्ता दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से सोमवार को आयोजित 'कोरोना से घबराना नहीं, लड़कर हराना है', विषयक वेबिनार के दौरान बताई।

प्रोटोकॉल का पालन करें

वेबिनार में डॉ। आशुतोष दुबे ने बताया कि कोरोना की अभी काई दवा या वैक्सीन नहीं आई है। जब तक दवा या वैक्सीन नहीं आती तब तक इससे बचने के लिए दो गज की दूरी, मास्क और हैंड सेनेटाइजर का पूरी तरह पालन करना होगा। लॉकडाउन में जितना लोग कोरोना को लेकर डरे थे, उतना ही अब बेफिक्र हो गए हैं। यह गलत है। कई युवा मुंह पर नहीं गले पर मास्क रखते हैं, यही कारण है कि युवा संक्रमण का ज्यादा शिकार हो रहे हैं। इधर-उधर घूमना भी इसका एक बड़ा कारण है। 10 साल से कम और 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग नियमों का ज्यादा पालन कर रहे हैं। ऐसे में अगर भारत का भविष्य ही संक्रमित रहेगा तो देश समय से पहले बूढ़ा हो जाएगा।

खुद को कर लें अगल

डॉ। आशुतोष दुबे ने बताया कि अगर आपके घर में कोई संक्रमित निकले और उसमें कोई लक्षण न हो तो उसे तुरंत आइसोलेट कर दें। इसका ध्यान रखें कि 10 साल से कम उम्र के बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं और गंभीर रोगियों को होम आइसोलेट नहीं किया जा सकता है। वेबिनार के दौरान प्राथमिक शिक्षा प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने बताया कि वे रोज सुबह गर्म पानी में नींबू व शहद डालकर लेते हैं और रात में हल्दी वाला दूध लेते हैं। यह वे इम्युनिटी बनाए रखने के लिए करते हैं।

असर क्यों है कम

स्टूडेंट अजीत सिंह ने जब कहा कि वे इन दिनों पूरी सतर्कता रखते हुए बच्चों को पढ़ाते हैं और उन्हें कोरोना के प्रति जागरूक करने का काम कर रहे हैं, ताकि वे कोरोना से बचे रहें। इस पर डॉ। आशुतोष ने कहा कि सनातन परंपरा की पद्धति अपनाने के कारण भारतीयों की इम्युनिटी पहले से ही मजबूत है, यही कारण है कि देश में इस वायरस का असर कम देखने को मिल रहा है। जिन इम्युनिटी बूस्टर की आज बात हो रही है, वे तो पहले से ही हमारी प्राचीन संस्कृति का हिस्सा हैं।

कोरोना के लक्षण और जांच को समझें

वेबिनार के दौरान कई मेंबर्स ने कोरोना और बुखार के समान लक्षणों और कोविड टेस्ट को लेकर कई सवाल पूछे। जिनका जवाब देते हुए डॉ। आशुतोष दुबे ने कहा, हर बुखार, जुखाम या खांसी कोरोना का लक्षण नहीं हैं। वहीं अगर किसी को तेज बुखार, बदन दर्द, स्वाद एवं सूंघने में समस्या आ रही है तो उसे कोरोना टेस्ट कराना चाहिए। कोरोना टेस्टआरटी-पीसीआ,ट्रूनेट और एंटीजन किट के माध्यम से होता है, लेकिन गोल्डेन टेस्ट आरटी-पीसीआर ही माना जाता है। अगर किसी भी तरह की समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

सवाल जवाब

वेबिनार से जुड़े लोगों के सवालों का जवाब डॉ। आशुतोष दुबे ने दिया।

सवाल- छोटे बच्चों का बचाव कैसे किया जाए और युवाओं को कैसे समझाया जाए। विनय सिंह

जवाब- अगर छोटा बच्चा बीमार है तो उसे डॉक्टर के पास ले जाते समय मां के आंचल या शाल में लपेट कर ले जाना चाहिए, क्योंकि छोटे बच्चों को मास्क नहीं पहनाना चाहिए। जहां तक यूथ का सवाल है तो घर पर कड़े अनुशासन का पालन करना होगा। 10 से 15 साल तक के बच्चों के साथ सख्ती करें।

सवाल- क्या इस समय स्कूल खोलना सही रहेगा। कविता मिश्रा

जवाब - कोई सरकार नहीं चाहती है कि देश का भविष्यखराब हो। इसके लिए आम सहमति जरूरी है। वैसे भी सरकार ने कई नियमों के साथ केवल 9-12 क्लास तक की इजाजत दी है। जब तक कोरोना संकट है सरकार बच्चों का पूरा ध्यान रखेगी।

सवाल- बाहर जाते समय और डायबटीज के रोगी क्या सावधानी रखें। अजीत सिंह

जवाब- बाहर जाएं तो मास्क, दो गज की दूरी और हैंड सेनेटाइजेशन का पूरा ध्यान रखें। भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। इसके अलावा दोनों हाथों को फैलाएं और दूसरों को पास न आने दें इतनी दूरी बनाकर रखें। अगर कोई डायबीटिज का मरीज है और शुगर कंटोल है तो जो एहतियात ले रहे है वो लेते रहें। वहीं अगर शुगर कंटोल नहीं है तो खुद को अलग रखें, बाहर न जाएं और कोरोना लक्षण वालों से दूर रहें।

सवाल - क्या बिना लक्षण वालों के सामने एन-95 मास्क पहनना सही है। - रेनू श्रीवास्तव

जवाब- एन-95 मास्क आम लोगों को नहीं पहनना चाहिए। यह केवल हॉस्पिटल स्टाफ जो कोरोना संक्रमितों का इलाज कर रहे हैं, उनके पहनने के लिए है। आम लोग टीपल लेयर या कपड़े का मास्क पहन सकते हैं।

सवाल- मास्क कितनी देर तक पहन सकते हैं। राजेश सोनी

जवाब- डिस्पोजेबल मास्क 6 से 8 घंटा पहनने के बाद बदलना चाहिए। अगर मास्क गीला हो जाए जो तुरंत दूसरा मास्क पहनें। इसकी जगह कपड़े का मास्का पहनें जिसे आप गर्म पानी मिले साबुन में धोकर दोबारा पहन सकते हैं।

लोग जान लें कि कोरोना से डरने की नहीं इसके लिए बनाए गए प्रोटोकॉल का पालन करने की जरूरत है। इस वेबिनार से कई सार्थक बातें निकलकर सामने आई हैं। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट लोगों को जागरूक करने के अपने कर्तव्य को बखूबी निभाता है।

डॉ। आशुतोष दुबे, एमएस, सिविल अस्पताल

बच्चों के स्कूल को लेकर मन में काफी चिंता थी, जो इस वेबिनार में आकर दूर हो गई। कोरोना को लेकर मन में जो सवाल थे, उन सबका भी जवाब यहां मिल गया। इसके लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट को धन्यवाद।

कविता मिश्रा, पूर्व शिक्षिका

ऐसे वेबिनार से आपको अपने सवालों का जवाब मिलता है। इससे जुड़कर कोरोना के बारे में काफी जानकारी हासिल हुई। निश्चित ही सतर्कता से ही कोरोना से बचा जा सकता है। ऐसे कार्यक्रम जरूरी हैं।

राजेश सोनी, अध्यक्ष, आदर्श व्यापारी एसोसिएशन

एन-95 मास्क को लेकर मन में कई सवाल थे, जो वेबिनार से दूर हो गए। अब कपड़े के मास्क ही यूज करूंगी। इसके अलावा मास्क पहनने में जो भी सावधानियां रखनी चाहिए, उनका पालन करूंगी।

रेनू श्रीवास्व, संगीत पर्यवेक्षक, एसएनए

कोरोना से बचाव के लिए मैं काफी पहले से ही इम्युनिटी बढ़ाने पर जोर दे रहा हूं। वेबिनार में जो जानकारियां मिली हैं, वे आगे बहुत काम आएंगी। मुख्य वक्ता ने काफी अच्छी जानकारी से लोगों को अवगत कराया है।

विनय कुमार सिंह, प्रांतीय अध्यक्ष, प्राथमिक शिक्षा प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन

हम बच्चों को पढ़ाने के लिए बाहर निकलते हैं। वहीं घर में भी कई सदस्य समस्या से जूझ रहे हैं। वेबिनार में जुड़कर काफी नई जानकारियां मिली हैं। इसके लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का शुक्रिया।

अजीत सिंह, स्टूडेंट