लखनऊ (ब्यूरो)। आखिरकार लंबे इंतजार के बाद पारीछा तापीय विद्युत उत्पादन परियोजना के लिए सस्ता कोयला मिलने का रास्ता साफ हो गया है। सस्ता कोयला मिलने से बिजली उत्पादन की लागत में कमी आएगी, जिसकी वजह से प्रदेश को सस्ती बिजली संबंधी राहत मिलेगी। इसका सीधा फायदा प्रदेश के उपभोक्ताओं को भी मिलेगा।

उत्पादन लागत कम होगी

पारीछा तापीय परियोजना के लिये सस्ता कोयला मिलेगा। उप्र राज्य विद्युत उत्पादन निगम द्वारा लंबे समय से इसके लिये भारत सरकार के कोयला एवं विद्युत मंत्रालय से प्रयास किया जा रहा था। सस्ते कोयले के कारण पारीछा से उत्पादित विद्युत की उत्पादन लागत कम होगी। जिससे 920 मेगावाट की पारीछा ईकाई से उत्पादित विद्युत की लागत में लगभग 400 करोड़ रुपये की प्रतिवर्ष कमी आयेगी। उप्र पावर कारपोरेशन एवं उत्पादन निगम के अध्यक्ष एम देवराज ने बताया कि मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री की मंशा के अनुरूप निगम विद्युत उत्पादन लागत को कम करने के लिये लगातार प्रयास कर रहा है।

बीसीसीएल का कोयला महंगा पड़ रहा था

पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष ने बताया कि पारीछा तापीय परियोजना उत्पादन निगम की बुंदेलखंड में स्थापित परियोजना है। इसके कोयले का अधिकांश लिंकेज भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल) से है। बीसीसीएल का कोयला अन्य कोल कंपनियों के सापेक्ष महंगा पड़ रहा था, जिसके कारण पारीछा परियोजना की उत्पादित बिजली महंगी पड़ रही थी। निगम प्रबंध द्वारा लंबे समय से लगातार केंद्र सरकार के कोयला एवं विद्युत मंत्रालय से किये गये अनुरोध के परिणामस्वरूप बीसीसीएल से प्राप्त होने वाला कोयला अब नार्दन कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) को स्थानांतरित कर दिया गया है। पारीछा को लगभग 23.31 लाख टन कोयला बीसीसीएल से प्राप्त हो रहा है। पावर कारपोरेशन अध्यक्ष का कहना है कि इस स्थानांतरण के अनुसार कोयला आपूर्ति होने से निगम को लगभग 400 करोड़ रुपया प्रतिवर्ष उत्पादन लागत के व्यय में कमी आयेगी, जिससे प्रदेश को सस्ती बिजली प्राप्त हो सकेगी।

उपभोक्ताओं को मिलेगा लाभ

यह भी स्पष्ट है कि जब बिजली उत्पादन की लागत में कमी आएगी तो सस्ती बिजली का रास्ता खुलेगा और कहीं न कहीं इसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को भी मिलेगा। वर्तमान समय में बिजली कंपनियों की ओर से दर वृद्धि संबंधी प्रस्ताव नियामक आयोग में दिया गया है और उस पर अब सुनवाई भी होने जा रही है। बिजली कंपनियों की ओर से 23 प्रतिशत तक दरों में वृद्धि संबंधी प्रस्ताव दिया गया है। अगर यह प्रस्ताव पास हो जाता है तो उपभोक्ताओं पर खासा भार पड़ेगा। हालांकि, उपभोक्ता परिषद की ओर से भी सस्ती बिजली को लेकर आवाज उठाई गई है और नियामक आयोग के समक्ष याचिका भी फाइल की गई है। चूंकि अब बिजली उत्पादन की लागत में कमी आएगी तो उपभोक्ता परिषद की ओर से इसको लेकर सस्ती बिजली दिए जाने को लेकर मुद्दा उठाया जाएगा। जिससे प्रदेश के तीन करोड़ से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली का लाभ सीधे तौर पर मिल सके।

26 हजार मेगावाट तक पहुंची थी डिमांड

पिछले साल की बात की जाए तो करीब 26 हजार मेगावाट तक बिजली की डिमांड पहुंची थी। इस डिमांड के अनुसार ही आपूर्ति भी की गई थी। इसके बावजूद कई इलाकों में बिजली संकट की समस्या सामने आई थी। जब बिजली उत्पादन में कमी आएगी तो बिजली मांग के अनुसार आपूर्ति और बेहतर तरीके से की जा सकेगी। जिसका सीधा फायदा उपभोक्ताओं को मिलेगा।