LUCKNOW NEWS: लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ (ब्यूरो)। यहां सात भाषाओं में करीब दो लाख किताबें उपलब्ध हैं। साथ ही कंप्टीशन की किताबों का भी अच्छा कलेक्शन है। अवध व लाइब्रेरी साइंस सेक्शन, बाल सेक्शन, सेल्फ स्टडी सेक्शन और समाचार पत्र सेक्शन भी मौजूद है। इस लाइब्रेरी में सबसे पुरानी टर्किश हिस्ट्री की भी किताब उपलब्ध है।

1926 से चल रही है लाइब्रेरी
अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी के इतिहास की बात करें तो राजा नवाब अली खान, महमूदाबाद के बेटे अमीर हसन खान को अमीरद्दौला के खिताब से नवाजा गया था। अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी उनके सम्मान में बनाई गई थी। लाइब्रेरी का निर्माण गवर्नमेंट म्युजियम के एक भाग के रूप में 1868 को हुआ था जो सन 1887 में स्टूडेंट्स के लिए खोली गई थी। बाद में इस लाइब्रेरी को लाल बारादरी के ऊपरी तल पर शिफ्ट कर दिया गया था। 1910 में अमीरुद्दौला लाइब्रेरी को छोटी छतर मंजिल में शिफ्ट कर दिया गया। 1910 में अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी के रूप में मशहूर हुई। इसके बाद लाइब्रेरी के लिए कैसरबाग में 1921 में अलग से बिल्डिंग बनाकर शिफ्ट किया गया।

किताबों का संग्रह है यहां
अमीरुद्दौला पब्लिक लाइब्रेरी में किताबों का विशाल संग्रह है। लाइब्रेरी प्रभारी के मुताबिक इस लाइब्रेरी में एक लाख 60 हजार के करीब किताबें हैं। इनमें इंग्लिश, हिंदी, उर्दू, बंग्ला, संस्कृत, अरबी और फारसी की किताबें शामिल हैं। कई किताबें ऐसी हैं जो जो प्रदेश की किसी दूसरी लाइब्रेरी में नहीं मिलेंगी। इनमें रेन ऑफ मुस्तफा, द टर्किश हिस्ट्री और द रेन ऑफ सुलतान महमत जैसी बेशकीमती किताबें भी शामिल हैं। सबसे पुरानी किताब का खिताब द टर्किश हिस्ट्री के पास है, यह किताब 1667 की है। इसके अलावा खजूर के पत्ते, पाली भाषा में भी पांडुलिपियां हैं जिन्हें संरक्षित किया गया है। इसके अलावा बुद्ध का साहित्य ताड़ के पत्ते पर उपलब्ध है।

डिजिटल हो रही लाइब्रेरी
इस लाइब्रेरी को स्मार्ट बनाया जा रहा है। लाइब्रेरी की किताबों को डिजिटल फॉर्म में उपलब्ध कराया जा रहा है। जिससे रीडर्स लखनऊ डिजिटल लाइब्रेरी की वेबसाइट पर जाकर किताबों को पढ़ सकते हैं। लाइब्रेरी में साल 2020 से डिजिटलाइजेशन का काम चल रहा है। इस डिजिटलाइजेशन के तहत लखनऊ डिजिटल लाइब्रेरी डॉट कॉम में 1 लाख 43 हजार से अधिक किताबों, 27 हजार 519 जनरल्स, 300 मनुस्क्रिप्ट्स, 8 हजार 300 से अधिक मैग्जीन्स, 1400 से अधिक न्यूजपेपर उपलब्ध हैं।

बन सकते हैं सदस्य
लाइब्रेरी की सदस्यता की बात करें तो प्रतिवर्ष 500 रुपये है। वार्षिक सदस्यता लेने पर दो हजार रुपये सिक्योरिटी मनी ली जाती है, जो रिफंडेबल है।

यह बहुत अच्छी पब्लिक लाइब्रेरी है। यहां हर प्रकार की किताब मिल जाती हैं। मैं कंप्टीशन की तैयारी कर रहा हूं, ऐसे में यहां ऐसी किताबों का अच्छा कलेक्शन है।
असद शेख, जानकीपुरम

अमीरुद्दौला लाइब्रेरी भी डिजिटल हो रही है। मैं फिजिकल और ऑनलाइन दोनों मोड में यहां की सुविधाएं ले रही हूं। यहां आना मुझे इसलिए पसंद है क्योंकि यहां जैसा बुक कलेक्शन कहीं नहीं है।
चांदनी, अलीगंज