लखनऊ (ब्यूरो)। सीनियर सिटीजन्स की सुरक्षा को लेकर लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने एक सेल बनाया है, ताकि इनकी शिकायतों का निस्तारण हो सके। हालांकि, ऐसे सैकड़ों केस पेंडिंग पड़े हैं, जिन्हें इंसाफ का इंतजार है। हालांकि, इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने के लिए पुलिस ने कई योजनाएं भी शुरू की थीं, जो अब महज कागजों में सिमटकर रह गई हैं।

केस-1

ठाकुरगंज के रहने वाले रामसरोज ने बताया कि उनके पड़ोस में आए दिन लड़ाइयां होती रहती हैं। जिससे वह काफी तंग आ चुके हैं। इसे लेकर कई बार शिकायत भी दे चुका हूं, ताकि पुलिस इन पर कार्रवाई कर मामले को शांत करें।

केस-2

मोहनलालगंज के जमुना प्रसाद ने बताया कि घर के बाहर गाड़ियां पार्क होने पर उनकी कई बार पड़ोसी से बहस हो चुकी है। मना करने के बावजूद वह अक्सर गाड़ी खड़ी कर जाता है, जिससे लड़ाई शुरू हो जाती है।

केस-3

गोसाईगंज के रहने वाले कामता मौर्या ने बताया कि घर में बहू और बेटे का अक्सर झगड़ा होता रहता है। बीच बचाव करता हूं तो मामला और बढ़ जाता है। जिससे लड़ाइयां शुरू हो जाती हैं। मैं कई बार पुलिस में इसकी शिकायत कर चुका हूं।

1500 से अधिक शिकायतें

वर्ष 2013 में सीनियर सिटीजन सेल शुरू किया गया था। यहां पर कई शिकायतें आती हैं, जिसका पुलिस निस्तारण करने का दावा करती है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2018 से अबतक करीब 250 और कंट्रोल रूम पर 1500 से ज्यादा शिकायतें आ चुकी हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि शहर में सीनियर सिटीजन्स खुद को कितना अनसेफ महसूस कर रहे हैं। पुलिस आंकड़ों मुताबिक, करीब 55 केस ऐसे हैं, जिनमें अभी भी सीनियर सिटीजन्स इंसाफ की गुहार लगा रहे हैं। वहीं, सीनियर सिटीजन्स सेल के प्रभारी का कहना है कि सेल में आने वाली शिकायतों की थाने स्तर से जांच करवाई जाती है, ताकि सीनियर सिटीजन्स को दिक्कतों का सामना न करना पड़े।

नाममात्र की रह गई योजना

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, वर्ष 2017 में पुलिस स्टेशनों में सीनियर सिटीजन्स के लिए एक रजिस्टर रखे जाने की योजना बनाई गई थी। जिसमें नाम, पता, मोबाइल नंबर, घरेलू मदद और करीबी रिश्तेदार के नाम शामिल किया गया था। जिसके बाद पुलिसकर्मी इन सीनियर सिटीजन्स के पास जाते थे या उनसे मोबाइल फोन पर संपर्क कर उनकी शिकायतें जानने की कोशिश करते थे, जिनका प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाता था, लेकिन अब योजना नाममात्र की रह गई है।

ये भी ठप हुई

वर्ष 2019 को सीएम योगी ने सवेरा योजना को पुलिस इमरजेंसी मैनेजमेंट डायल 112 के तहत भी जोड़ दिया। इसमें सीनियर सिटीजन्स से रजिस्टर करने के लिए कहा गया, जिससे उनसे समय-समय पर डायल 112 के द्वारा उनका हाल चाल किया जा सके, लेकिन समय बदला और इस योजना सिर्फ नाममात्र की रह गई। वहीं, जिन थाना स्तर के अधिकारियों की जिम्मेदारी थी सीनियर सिटीजन्स का हालचाल लेने की वो उनके घर झांकने भी नहीं गए।

साल शिकायतें

2018 63

2019 47

2020 53

2021 41

2022 35

2023 26