- पावर कारपोरेशन ने नियामक आयोग में दाखिल किया स्लैब को 80 से 53 करने का प्रस्ताव

- उपभोक्ता परिषद ने आयोग से की कारपोरेशन का प्रस्ताव खारिज करने की मांग

रुष्टयहृह्रङ्ख : कोरोना की वजह से अबकी बिजली दरों में बढ़ोतरी भले ही न प्रस्तावित हो, लेकिन बिजली कंपनियां अपनी कमाई बढ़ाने के लिए दूसरे रास्ते से आपको झटका देने की तैयारी में है। कंपनियों की ओर से पावर कारपोरेशन ने विद्युत नियामक आयोग में बिजली दर की मौजूदा 80 स्लैब में बदलाव करने का एक ऐसा प्रस्ताव चुपचाप दाखिल किया है, जिससे ज्यादातर उपभोक्ताओं का बिजली खर्च बढ़ जाएगा। कारपोरेशन ने अब 80 की बजाए 53 स्लैब प्रस्तावित किए हैं, जिससे कम खपत पर भी ज्यादा दर से भुगतान करना होगा।

प्रस्ताव सौंपा गया

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने कारपोरेशन के प्रस्ताव का विरोध करते हुए इसे खारिज करने के लिए आयोग को जनहित प्रस्ताव सौंपा है। कारपोरेशन ने बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे यानी लाइफ लाइन उपभोक्ता), बड़े व भारी उद्योग, किसानों के निजी नलकूप व विभागीय कर्मियों के स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया है जिससे इनका बिजली खर्च यथावत रहेगा।

चूंकि मौजूदा वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए कारपोरेशन ने अपने एआरआर (वार्षिक राजस्व आवश्यकता) के साथ आयोग में बिजली दरों में इजाफे का टैरिफ प्रस्ताव दाखिल नहीं किया था, इसलिए उपभोक्ताओं को इस बार बिजली महंगी होने की उम्मीद नहीं थी, लेकिन अब कारपोरेशन ने स्लैब में बदलाव करने का जो प्रस्ताव आयोग में दाखिल किया है, उससे ज्यादा बिजली खर्च पर झटका लगना तय है। मसलन, घरेलू विद्युत उपभोक्ताओ के चार से तीन स्लैब प्रस्तावित हैं।

ये है पूरा गणित

अभी जहां 150 यूनिट तक पहला (दर 5.5 रुपये यूनिट), 151 से 300 तक दूसरा (दर 6 रुपये), 301 से 500 तक तीसरा (दर 6.5 रुपये) व 500 यूनिट से ऊपर (दर 7 रुपये) का चौथा स्लैब है, वहीं अब 100 यूनिट तक पहला (दर 5.5 रुपये), 101 से 300 तक दूसरा (दर 6.5 रुपये) व 300 यूनिट से ऊपर वाला तीसरा (दर 7 रुपये) स्लैब होगा। ऐसे में आयोग की मंजूरी पर अभी 500 यूनिट तक जो बिजली 5.50 से 6.50 रुपये यूनिट तक रहती है, वह 300 यूनिट के ऊपर ही सात रुपये प्रति यूनिट मिलेगी, जिससे दर में इजाफा न होने के बावजूद आपका बिजली खर्चा कहीं अधिक बढ़ जाएगा।

ये भी प्रस्ताव

इसी तरह स्लैब में बदलाव कर वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को तो और बड़ा झटका देने की तैयारी है। ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं का स्लैब जहां खत्म करने की बात है, वहीं एक स्लैब चार किलोवाट तक के लिए और दूसरा उससे ऊपर का प्रस्तावित है। लघु एवं मध्यम उधोग के लिए दो स्लैब, एक 20 किलोवाट और दूसरा उससे ऊपर का। अस्थायी कनेक्शन के लिए मीटर्ड उपभोक्ताओं के अलग स्लैब को खत्म कर संबंधित उपभोक्ता श्रेणी से संबद्ध कर ऐसे कनेक्शन के लिए अतिरिक्त बढ़ोतरी प्रस्तावित है। उद्योग एवं बल्क लोड में ऊर्जा खपत के अनुसार स्लैब को समाप्त कर वोल्टेज के अनुसार अब स्लैब प्रस्तावित किए गए हैं। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने स्लैब में बदलाव को, चोर दरवाजे से बिजली दर में छुपी बढ़ोतरी बताते हुए आयोग में जनहित प्रस्ताव दाखिल कर इसे जनता को धोखा देने जैसा करार देते हुए रद करने की मांग की है। वर्मा ने कहा कि आयोग कंपनियों से पहले का 14782 करोड़ रुपये उपभोक्ताओं को दिलवाए। इससे ही बिजली की दरों में 16 फीसद कमी हो जानी चाहिए।