लखनऊ (ब्यूरो)। एक नवंबर 2023 से बिजली कंपनियों में चेक के माध्यम से बिजली बिल का भुगतान नहीं लिया जाएगा। इस आदेश पर अब रोक लगने जा रही है। इसको लेकर उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने पावर कॉरपोरेशन प्रबंध निदेशक से मुलाकात की। जिसके बाद एमडी पावर कारपोरेशन ने निदेशक वाणिज्य को उक्त आदेश वापस करने का निर्देश दिया है। इस मामले को लेकर उपभोक्ता परिषद ने विद्युत नियामक आयोग में दाखिल की थी अवमानना आपत्ति और हस्तक्षेप की मांग उठाई थी।

दो दिन पहले जारी किया निर्देश

उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन की तरफ से दो दिन पहले निर्देश जारी किया गया था। जिसमें साफ था कि एक नवंबर 2023 से चेक के माध्यम से बिजली बिल का भुगतान नहीं लिया जाएगा। इसके विरोध में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग में विद्युत वितरण संहिता का उल्लंघन किए जाने के मामले में एक अवमानना संबंधी आपत्ति दाखिल करते हुए पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी आदेश को अभिलंब समाप्त कराए जाने के लिए आयोग से हस्तक्षेप करने की मांग उठाई। इसके साथ ही यह भी मांग उठाई की आयोग जो एक संवैधानिक संस्था है, वह बिजली कंपनियों को निर्देश जारी करें कि भविष्य में इस प्रकार की कोई पुनरावृत्त नहीं होगी। विद्युत वितरण संहिता का लगातार उल्लंघन किया जा रहा है। पावर कॉरपोरेशन के प्रबंध निदेशक की तरफ से 16 सितंबर 2023 को सभी बिजली कंपनियों के लिए एक आदेश जारी किया गया है जिसमें राजस्व वृद्धि हेतु अतिरिक्त मार्गदर्शी सिद्धांत के अनेकों बिंदु दिए गए हैं। उसके बिंदु नंबर 3 पर 1 नवंबर 2023 से चेक से भुगतान नहीं लिया जाएगा पूरी तरह स्पष्ट लिखा गया है, जो पूरी तरह विद्युत वितरण संहिता का खुला उल्लंघन है।

अब आदेश वापस

विद्युत नियामक आयोग में आपत्ति दाखिल करने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार से मुलाकात कर पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी आदेश को तत्काल वापस लिए जाने की मांग उठाई। जिस पर पावर कारपोरेशन के प्रबंध निदेशक ने उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वासन दिया की पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी दिशा निर्देश में चेक से भुगतान न लिए जाने संबंधी जो आदेश जारी किए गए हैं उसे पावर कॉरपोरेशन अविलंब वापस ले रहा है। पावर कॉरपोरेशन विद्युत वितरण संहिता 2005 के प्रावधानों के अनुसार ही जैसे पूर्व में कार्रवाई चल रही थी उसी प्रकार प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से चेक से भुगतान लिया जाएगा। प्रबंध निदेशक पावर कारपोरेशन ने तुरंत निदेशक वाणिज्य अमित कुमार श्रीवास्तव को उक्त जारी आदेश वापस लेने का निर्देश दिया। उपभोक्ता परिषद को पूरी उम्मीद है कि देर रात तक पावर कॉरपोरेशन द्वारा जारी नियम विरुद्ध आदेश वापस हो जाएगा। इस आदेश के वापस होने के बाद सभी उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी।