लखनऊ (ब्यूरो)। लखनऊ में ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए एक दशक से ट्रैफिक पुलिस समेत कई डिपार्टमेंट लगातार काम कर रहे हैं। कई स्कीम और कई रूल्स व्यवस्था को सुधारने के लिए बनाए और लागू किए गए। हर बार मैनेजमेंट फेल होने से व्यवस्थाएं भी डिरेल हो जाती हैं। इसके पीछे जिम्मेदार कौन है, इसके पीछे की लापरवाही पर फोकस करने की जगह अफसरों पर गाज गिरने और पब्लिक के सिविक सेंस पर सवाल उठते रहे हैं। ऐसी ही एक व्यवस्था थी ट्रैफिक सिग्नल को राडार इंटीग्रेशन सिस्टम से लैस करने का, जिसकी जिम्मेदारी नगर निगम की थी, पर इसे अब तक पूरा नहीं किया जा सका है।

एनआईसी से मिल गया ग्रीन सिग्नल

शहर के कई चौराहों पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइस लगाई जानी थी। इसके लिए नेशनल इंफार्मेटिक्स सेंटर ने भी आईटीएमएस सिस्टम लगाने का ग्रीन सिग्नल मिल गया। इसके लिए प्रोसेस भी शुरू हो गया। इसके तहत ट्रैफिक सिग्नल में राडार इंटीग्रेशन सिस्टम लगाया जाना है। जब किसी चौराहे पर ट्रैफिक प्रेशर ज्यादा होगा तो उसमें लगा ट्रैफिक सिग्नल रेड से ग्रीन हो जाएगा, ताकि चौराहे पर ज्यादा समय तक ट्रैफिक प्रेशर न रहे।

शहर के 80 चौराहे आईटीएमएस से हो रहे संचालित

चौराहों पर ट्रैफिक दो तरह से संचालित होता है। एक मैन्युअल और दूसरा ऑटोमैटिक। मैन्युअल में टाइमिंग फिक्स कर दी जाती है। निर्धारित समय के लिए ट्रैफिक लाइट लाल, पीली व हरी होगी। यह व्यवस्था लोकल स्तर पर है। ऑटोमैटिक में ट्रैफिक राडार इंटीग्रेशन सिस्टम सेंसर पर संचालित होता है। किस रूट पर व्हीकल का प्रेशर अधिक है, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइज यह देखकर ट्रैफिक का संचालन करती है। लखनऊ में 150 चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल से ट्रैफिक संचालित किया जा रहा है, जिसमें 88 चौराहों पर सिग्नल से ट्रैफिक का संचालन स्मार्ट सिटी परियोजना के आईटीएमएस के तहत शहर के प्रमुख तिराहों और चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल और सीसीटीवी कैमरे, एचडीआर कैमरे, सेंसर लगाने का काम पूरा हो गया है। अब आधुनिक तकनीक से स्मार्ट सिटी में बैठे पुलिस अधिकारी नियम तोड़ने वालों का चालान कर सकते हैं।

व्हीकल के प्रेशर से संचालित होगा ट्रैफिक

शहर के 80 चौराहों को इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आईटीएमएस) के तहत तैयार किया गया है। अप्रैल से यह व्यवस्था लागू होनी थी, लेकिन एनआईसी से डेटा लिंक न होने की वजह से मामला खिंचता गया। आईटीएमएस की कमियों को दूर करने में नगर निगम जुटा है। सबसे बड़ी समस्या ट्रैफिक लाइट की टाइमिंग में गड़बड़ी की है। नगर निगम ने इस कमी को दूर करने के लिए राडार इंटीग्रेशन सिस्टम अपनाया है। हर चौराहे पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइस लगाई है, जो सेंसर पर आधारित है। सभी चौराहे इस व्यवस्था से जुड़ चुके हैं। आईटीएमएस के तहत सभी चौराहों को राडार इंटीग्रेशन सिस्टम से लैस किया जाना है। हर चौराहे पर आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइस लगाई गई है जो व्हीकल के प्रेशर के अनुसार ट्रैफिक लाइट का संचालन करेगी।

नगर निगम अब तक पूरा नहीं कर सका काम

पुलिस अफसरों का कहना है कि इसकी जिम्मेदारी नगर निगम की है। ट्रैफिक सिग्नल को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइस के साथ राडार इंटीग्रेशन सिस्टम से लैस किया जाना था। करीब 80 चौराहों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइस से संचालित हो रहे हैं, लेकिन राडार इंटीग्रेशन सिस्टम न लगे होने के चलते चौराहों पर ट्रैफिक प्रेशर बढ़ने के बाद भी सिग्नल चेंज नहीं हो रहे हैं। इसके लिए कई बार नगर निगम को पत्र भी लिखा जा चुका है।

चौराहों पर ट्रैफिक प्रेशर कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस डिवाइस लगाने की स्कीम है। जिससे ट्रैफिक प्रेशर बढ़ने पर आटोमैटिक सिग्नल ग्रीन हो जाएगा। इससे ट्रैफिक व्यवस्था में बहुत हद तक सुधार हो सकता है। यह डिवाइस लगाने की जिम्मेदार नगर निगम को सौंपी गई है। डिवाइस लगाने के लिए नगर निगम को कई बार लखनऊ कमिश्नरेट से पत्र भी लिखा जा चुका है।

- उपेंद्र कुमार अग्रवाल, जेसीपी लॉ एंड आर्डर