लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के सरकारी अस्पतालों में रेडियोलॉजिस्ट की कमी है। वहीं, सीएचसी पर तो एक भी रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। महज संविदा पर एनएचएम के तहत एक रेडियोलॉजिस्ट तैनात है। किसी तरह सोनोलॉजिस्ट से काम चलाया जा रहा है, पर उनकी भी भारी कमी है। इसकी वजह से सरकारी अस्पतालों पर अल्ट्रासाउंड करवाने वाले मरीजों का बोझ बढ़ रहा है। मरीजों को यहां एक-एक माह तक की वेटिंग मिल रही है।

संविदा पर एक रेडियोलॉजिस्ट

जनपद में 19 सीएचसी सीएमओ के अधीन आते हैं, जिनमें 17 सीएचसी पर अल्ट्रासाउंड की जांच होती है। इसके बावजूद यहां महज एक रेडियालॉजिस्ट की तैनाती है। वह भी एनएचएम के तहत संविदा पर है। हालांकि, जांच के लिए यहां करीब 6 सोनोलॉजिस्ट जरूर तैनात हैं, पर अन्य सेंटर्स पर मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। इन सोनोलॉजिस्ट्स को दूसरे सेंटर पर भेजकर किसी तरह जांच कराई जाती है। इससे मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। परेशान होकर वे दूसरे सरकारी अस्पताल या निजी डायग्नोस्टिक सेंटर पर महंगी जांच कराने को मजबूर हो रहे हैं। सीएमओ डॉ। मनोज अग्रवाल के मुताबिक, सीएचसी पर सोनोलॉजिस्ट तैनात हैं। वहीं, मरीजों को समस्या न हो इसके लिए डॉक्टर को भी ट्रेनिंग दिलाई जा रही है।

बड़े अस्पतालों पर पड़ रहा बोझ

सीएचसी से हताश होने वाले मरीज इलाज के लिए शहर के बड़े अस्पतालों का रुख करते हैं, लेकिन यहां भी उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ता है। बता दें कि बलरामपुर अस्पताल में 3 रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती है। यहां रोजाना करीब 150 अल्ट्रासाउंड हो रहे हैं, लेकिन मरीजों का लोड होने की वजह से जांच के लिए एक माह तक की वेटिंग चल रही है। वहीं, सिविल अस्पताल में दो रेडियोलॉजिस्ट तैनात हैं। मरीजों का लोड होने से यहां पर भी लंबी वेटिंग चल रही है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी हो रही है।