लखनऊ (ब्यूरो)। किसी महिला को लगातार गैस, एसिडिटी या अन्य कोई पेट से संबंधित समस्या लंबे समय से है तो इसे नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है। यह ओवरी कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हंै। ओपीडी में रोज 8 से 10 महिलाएं ओवरी कैंसर की समस्या लेकर पहुंच रही हैं। लापरवाही और नीम-हकीमों के चक्कर में पड़कर वो आखिरी स्टेज पर पहुंच जा रही है। ऐसे में समय रहते डॉक्टर को दिखाना बेहद जरूरी है। यह जानकारी गुरुवार को केजीएमयू में आयोजित रेडियोथेरेपी विभाग द्वारा सीएमई कार्यशाला में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रो। अमिता पांडे ने दी।

जागरूक होने की जरूरत
डॉ। अमिता पांडे ने बताया कि कई महिलाएं कैंसर की एडवांस स्टेज में पहुंचने पर अस्पताल का रुख करती हैं। जबकि, करीब 48 प्रतिशत के करीब कैंसर का पता शुरुआती स्टेज में ही लगाया जा सकता है। इसके लिए दो टेस्ट अल्ट्रासाउंड और सीए-125 कराना होता है। इसलिए जिन महिलाओं के परिवार में कैंसर का इतिहास हो, जैसे मां, चाची या किसी ब्लड रिलेशन वाले को है तो उन्हें पहले ही टेस्ट करा लेना चाहिए। ओवेरियन कैंसर का शुरुआती स्टेज में पता चलने पर एक ओवरी को ऑपरेशन के दौरान छोड़ दिया जाता है या फिर उनकेअंडे पहले से ही संरक्षित कर दिये जाते हैं। जिससे वह जब चाहे तब मां बन सकती है।

समय पर ट्रीटमेंट जरूरी
केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग के प्रो। सुधीर सिंह ने कहाकि कई रिसर्च से पता चला है कि भारत समेत विदेशों में भी अधिकतर ओवरी कैंसर के मरीज 90 दिनों से अधिक जीवित नहीं रहते हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि महिलाओं में इसका पता अक्सर एडवांस स्टेज में चलता है। ऐसे में शुरुआती दिनों में इसका पता लगाना बेहद जरूरी है, ताकि समय रहते इसको ट्रीट किया जा सके।