लखनऊ (ब्यूरो)। एक डॉक्टर स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। बीमारियों के निदान और रोकथाम में व्यापक ज्ञान और विशेषज्ञता के साथ डॉक्टर व्यक्तियों और समुदायों की भलाई में सुधार के लिए समर्पित हैं। डॉक्टर के लिए मरीज का ठीक होना पहली प्राथमिकता है लेकिन अस्पतालों में बढ़ती मरीजों की संख्या के चलते युवा डॉक्टरों के सामने कई चुनौतियां आती हैं। जिनको बैलेंस करते हुए वे काम कर रहे हैं। पेश है अनुज टंडन की रिपोर्ट

मरीज को समझना जरूरी है

समय के साथ हम डॉक्टरों के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। सर्वाधिक चुनौती पढ़ाई के साथ बांड भरने की है। वहीं मरीजों की संख्या अधिक होती है, जिसके चलते हम लोगों का अधिकतर समय मरीजों के बीच ही बीतता है ऐसे में पर्सनल लाइफ के लिए टाइम कम ही मिलता है। जब मरीज हमारे इलाज से ठीक होता है तो मन को संतुष्टि मिलती है। मरीज को देखते समय उसके मनोभाव को समझते हुए उसको समझाना पड़ता है। जिसमें दिक्कतें भी आती हैं। ऐसे में खुद को शांत रखना पड़ता है। साथ ही खुद की सेहत पर भी ध्यान देने की जरूरत है, जिसे हम अक्सर नजरअंदाज करते हैं। इसलिए शाम को समय निकालकर एक्सरसाइज और मेडिटेशन करता हूं।

-डॉ। अनिल गंगवार, गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी, केजीएमयू

मरीज की खुशी में मिलती है संतुष्टि

ओपीडी में हर तरह के मरीज देखने को मिलते हैं, जिन को समझाने में दिक्कतें आती है। बच्चों के मामलों में पेरेंट्स को समझाना थोड़ा मुश्किल होता है। मरीजों का लोड भी एक बड़ी चुनौती है। मरीजों को देखते हुए सुबह से शाम हो जाती है। ऐसे में खुद के लिए समय निकालना एक बड़ी चुनौती हो जाती है, क्योंकि इमरजेंसी के समय किसी भी वक्त बुला लिया जाता है। ऐसे में पर्सनल लाइफ में थोड़ी मेहनत करनी पड़ती है। जब मरीज पूरी तरह से ठीक होता है और उसके चेहरे पर खुशी आती है, तो यह देख कर मन को बेहद संतुष्टि मिलती है की जिस सेवाभाव के लिए डॉक्टर बने वह पूरा हो रहा है।

-डॉ। शशांक सिंह, पीडियाट्रिसियन, लोहिया संस्थान

सही ट्रीटमेंट देना बेहद जरूरी

हमारे यहां अक्सर वही मरीज आते हैं, जिन्हें दूसरी जगह राहत नहीं मिलती है। ऐसे में उनका सही डायग्नोसिस करना बड़ी चुनौती होती है, क्योंकि मरीज को समझाना बड़ी दिक्कतों का काम है। हम पूरा फोकस उनके लक्षणों और समस्या पर देते हैं, ताकि सही और सटीक डायग्नोसिस की जा सके। अक्सर लंबे समय से बीमार चल रहे मरीज जब हमारे यहां पूरी तरह ठीक होकर जाते हैं तो वह धन्यवाद और आशीर्वाद भी देकर जाते हैं। जो हमारे लिए किसी बड़ी उपलब्धि से कम नहीं है। इन सबके बीच हमें खुद की सेहत का भी ध्यान रखना होता है। ऐसे में समय निकालकर कुछ एक्सरसाइज करनी चाहिए।

-डॉ। दुर्गेश पुष्कर, नेफ्रोलॉजी, केजीएमयू

हर मरीज का व्यवहार अलग

ओपीडी में हर तरह के मरीज आते हैं। जिनकी जरूरतें अलग अलग होती है। उनका व्यवहार भी दूसरे से भिन्न होता है। ऐसे में खास तौर पर गांव से आने वाले मरीजों को समझाना बड़ी चुनौती होती है क्योंकि वह पहले से ही परेशान होते हैं और जल्दी समझ में नहीं आता है। ऐसे में एक डॉक्टर के तौर पर बेहद शांति और धैर्य के साथ उनको एक ही बात कई बार समझाने पड़ती है। मरीज वैसे भी दर्द और पीड़ा से ग्रसित होता है इसलिए उसकी मनोस्थिति को समझते हुए काम करना पड़ता है। साथी वैसे समय को ध्यान में रखते हुए खुद के लिए भी कुछ समय निकालना जरूरी है इसलिए शाम को थोड़ी एक्सरसाइज़र मेडिटेशन भी करता हूं।

-डॉ। गौरव सिंह, आर्थोपेडिक्स, लोहिया संस्थान