लखनऊ (ब्यूरो)। अंडरग्राउंड वॉटर लेवल तेजी से गिर रहा है और आलम यह है कि बारिश के पानी को बचाने के लिए अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नालों के पानी को भी सेव करने के लिए कहीं डैम या अस्थाई स्टोरेज की व्यवस्था नहीं की गई है। अगर ऐसा कर दिया जाए तो साफ है कि अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को रीचार्ज किया जा सकता है। हैरानी की बात तो यह है कि इस दिशा में कोई प्लानिंग तक नहीं की जा रही है।

किसी वार्ड में व्यवस्था नहीं

नाले-नालियों का पानी सीधे तौर पर वेस्ट हो रहा है। राजधानी में 110 वार्ड हैैं और कहीं भी नाले-नालियों के पानी को स्टोर करने की स्थाई तो दूर अस्थाई व्यवस्था तक नहीं की गई है। जिसकी वजह से हर साल बारिश का पानी स्टोर होने के स्थान पर वेस्ट हो जाता है। अगर इसी पानी को सेव कर लिया जाए तो कहीं न कहीं अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को संजीवनी मिल सकती है।

एसटीपी प्रॉपर काम कर रही

राजधानी में तीन जगहों पर एसटीपी प्रॉपर तरीके से काम कर रही हैैं। एक एसटीपी भरवारा में है, जबकि एक-एक दौलतगंज और वृंदावन एरिया में है। इसके साथ ही 2025 तक करीब 250 एमएलडी का नया एसटीपी भी स्थापित करने की कवायद की जा रही है। जिससे पानी को शोधित करके ही गोमती इत्यादि में छोड़ा जा सके।

नाले-नालियां ही समाप्त

एक तरफ तो नाले-नालियों के पानी को री स्टोर करने की कोई व्यवस्था नहीं है, वहीं दूसरी तरफ करीब 30 फीसदी इलाकों में नाले-नालियों पर अवैध कब्जे हो गए हैैं। ऐसे में खुद अंदाजा लगाया जा सकता है कि पानी को कैसे री स्टोर किया जा सकता है। इतना ही नहीं, जो विस्तारित एरियाज हैैं, वहां पर भी इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। नाले-नालियां तेजी से गुम हो रहे हैैं, जिसकी वजह से बारिश का पानी वेस्ट हो रहा है। पहले तो नाले-नालियों की प्रॉपर व्यवस्था की जाए साथ ही अस्थाई डैम बनाकर नाले-नालियों के पानी को री स्टोर किया जाए फिर उसे फिल्टर कर ऐसी व्यवस्था बनाई जाए कि अंडरग्राउंड वॉटर लेवल रीचार्ज हो सके।

पब्लिक भी जागरूक नहीं

90 फीसदी जनता को पता ही नहीं है कि किस तरह से अंडरग्राउंड वॉटर लेवल को बचाया जा सकता है। पब्लिक की ओर से धड़ल्ले से पानी की बर्बादी की जा रही है। इसका ही नतीजा है कि राजधानी के ज्यादातर इलाकों में अंडरग्राउंड वॉटर लेवल 30 से 40 मीटर तक डाउन हो गया है। गुजरते वक्त के साथ हालात और भी ज्यादा भयावह होते जा रहे हैैं। अगर समय रहते वाटर रीचार्ज करने की दिशा में ठोस कदम नहीं उठाए गए तो इन इलाकों के हालात भी साउथ अफ्रीका के केपटाउन शहर जैसे हो जाएंगे, जहां अंडरग्राउंड वॉटर लगभग खत्म हो चुका है।

कभी व्यवस्था ही नहीं बनी

नगर निगम या एलडीए की ओर से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर तो योजना तैयार की जाती है लेकिन नाले-नालियों के पानी को री स्टोर करने की दिशा में आज तक कोई भी प्लानिंग नहीं बनी है। वार्ड पार्षदों की ओर से भी इस दिशा में कोई मांग तक नहीं उठाई गई है। जिससे आप खुद अंदाजा लगा सकते हैैं कि जल संरक्षण को लेकर फिलहाल कोई गंभीर नहीं है। कुछ प्राइवेट संस्थाएं जरूर इस दिशा में नुक्कड़ नाटक या जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन करती रहती हैैं। हालांकि, उन्हें भी किसी विभाग से प्रॉपर सहयोग नहीं मिल पाता है, जिसकी वजह से उनका जागरूकता अभियान व्यापकता का रूप नहीं ले पाता है।

तत्काल कदम उठाने होंगे

वर्तमान में राजधानी में जो अंडरग्राउंड वॉटर लेवल की स्थिति है, उससे साफ है कि बिना वक्त गंवाए जल संरक्षण की दिशा में कदम उठाने होंगे। नाले-नालियों के पानी को सेव करने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे साथ ही रेन वॉटर हार्वेस्टिंग की दिशा में सिर्फ प्लानिंग करने के बजाए ग्राउंड लेवल पर इंप्लीमेंटशन करना होगा। जब बारिश का पानी सेव होगा, तभी अंडरग्राउंड वॉटर लेवल रीचार्ज हो सकेगा। इसके साथ ही जनता को भी जल संरक्षण की दिशा में व्यापक स्तर पर जागरूक करने की जरूरत है।