लखनऊ (ब्यूरो)। शहर में ई-रिक्शा बेलगाम हो चुके हैं। इनके चलते आए दिन लोगों को जाम की समस्या के साथ-साथ कई बार हादसों का भी शिकार होना पड़ता है। पुलिस भी इन ई-रिक्शा पर लगाम करने को लेकर कई प्लान बना चुकी है, लेकिन सभी प्लान फेल साबित हुए। पढ़ें दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के 'मसला-ए-जिंदगी' अभियान के तहत इस मुद्दे से जुड़ी अहम रिपोर्ट

क्षमता से अधिक भर रहे सवारी

नियमों के तहत ई-रिक्शा में महज 4 सवारी ही ले जा सकते हैं। पर ई-रिक्शा चालक 10-10 रुपये के लालच में 8 से 10 सवारियां तक बैठा लेते हैं, जिसमें अधिकतर बच्चे भी होते है। वहीं, चालक अचानक मोड़ने, तेज रफ्तार से दौड़ाने और रेस लगाने के चलते भी मुसीबत खड़ी करते हैं। ई-रिक्शा वजन में बेहद हल्के होते हैं, ऐसे में जरा सा संतुलन बिगड़ने पर ये पलट जाते हैं। राजधानी में ई-रिक्शा पलटने की घटनाएं आये दिन सामने आती रहती हैं।

48 हजार से अधिक ई-रिक्शा

शहर में जाम और हादसों के तीन प्रमुख कारण सामने आए हैं। इसमें सबसे पहले ई-रिक्शा, स्ट्रीट वेंडर्स और फिर शहर के बीच होकर गुजरने वाले रोडवेज बसें होती है, लेकिन इन तीनों में भी सबसे बड़ा कारण ई-रिक्शा होते हैं। आंकड़े बताते हैं कि शहर में करीब 48 से 50 हजार ई-रिक्शा बेलगाम हर जगह दौड़ते हैं, जिससे जाम लगने की संभावना अधिक हो जाती है। इसकी वजह से आए दिन सड़क हादसे भी होते रहते हैं। ऐसे में अगर इनपर लगाम लगाई जाए तो हादसों पर कंट्रोल पाया जा सकता है।

पुलिस ने बनाई प्लानिंग

जेसीपी लॉ एंड ऑर्डर उपेंद्र कुमार अग्रवाल ने बताया कि ई-रिक्शा पर लगाम लगाने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया गया है। इसके लिए शहर के सभी हिस्सों में चलने वाले ई-रिक्शा को जोन वाइज बांट दिया गया है, यानि कलर कोड के हिसाब से ई-रिक्शा की पहचान हो जाएगी कि ई-रिक्शा की जोन का है। इसके लिए थाना पुलिस को सभी ई-रिक्शा का वेरिफिकेशन करने की जिम्मेदारी है। दावा किया गया है कि फरवरी महीने से शहर में दौड़ रहे बेलगाम ई-रिक्शा पर लगाम लग जाएगी।

नया सिस्टम कितना आता है काम?

इस व्यवस्था के लागू होने पर ई-रिक्शा चालकों में भी रोष है। उनका कहना है कि अगर यह व्यवस्था शुरू होती है तो उनका रोजगार खत्म हो जाएगा। पहले कहीं भी जा सकते थे, लेकिन अब सीमित जगहों पर रिक्शा चलाने से सवारियां नहीं मिलेंगी। इस संबंध में ई-रिक्शा चालक राम सरवन ने बताया कि फॉर्म भरकर हमने थाने में तो जमा कर दिया है, लेकिन अगर कलर कोडिंग का सिस्टम शुरू हुआ तो हम लोगों का रोजगार खत्म हो जायेगा।

10 से अधिक मार्गों पर बैन हैं ई-रिक्शा

- हजरतगंज चौराहे से बंदरिया बाग चौराहा

- हजरतगंज विधानसभा के चारों ओर

- बंदरिया बाग चौराहे से पॉलिटेक्निक चौराहा

-अमौसी से बाराबिरवा आने-लाने वाला मार्ग

-अहिमामऊ से अर्जुनगंज बाजार

- बादशाहनगर चौराहे से लेखराज व भूतनाथ से लेकर पॉलिटेक्निक चौराहा

- कमता शहीद पथ तिराहे से शहीद मोड़ व कानपुर शहीद पथ

- इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से विजय नगर अंडर पास

यहां दौड़ते हैं सबसे अधिक ई-रिक्शा

बताते चलें कि कैसरबाग,चौक, भूतनाथ मार्केट, टेढ़ी पुलिया, आलमबाग, बादशाहनगर, चारबाग, मुंशी पुलिया, महानगर, निशातगंज, पॉलीटेक्निक, कृष्णानगर, नहरिया आदि जगहों पर सबसे ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ते ही हैं। साथ ही बैन की गई जगहों पर भी सबसे ज्यादा ई-रिक्शा दौड़ते है। इनको पुलिस का कोई डर नहीं होता है।

25 किमी स्पीड होती है तय

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि शहर में ई-रिक्शा को चलाने के लिए 25 किलोमीटर की स्पीड तय की गई है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है। अमूमन वे 40 की स्पीड से चलाते हैं, ऐसे में यह गाड़ी हल्की होने की वजह से हादसे का खतरा मंडराता रहता है। इसके अलावा कई स्कूलों की तरफ से बच्चों को लाने और ले जाने के लिए इन ई-रिक्शा को हायर किया गया होता हैं, जबकि इसमें सेफ्टी न के बराबर होती है।

फैक्ट फाइल

- 48 हजार से अधिक ई-रिक्शा

- 16 जोन में चल सकेंगे रिक्शा

- 01 जोन में ही रिक्शा चलाने की मिलेगी परमीशन

- 09 अलग-अलग कलर के होंगे स्टीकर

- 01 फरवरी के बाद से लागू होगी व्यवस्था

पब्लिक ओपिनियन

सिर्फ चालान काटने से सुधार नहीं होगा, लोगों में जागरूकता लानी होगी। ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन कराना होगा। साथ ही पुलिस को भी नियमों की आदत डालनी होगी, ताकि ट्रैफिक वायलेशन न हो।

प्रदीप पांडेय

सड़क सुरक्षा की चिंता किसी को नहीं है। रांग साइड, रेड लाइट जंप से लेकर सभी ट्रैफिक रूल्स तोड़ते हैं। इसपर सुधार करना होगा और दुबई की ट्रैफिक नियमों की तरह सजा देनी होगी।

डॉ। निशांत कनोडिया

ई-रिक्शा की वजह से आये दिन हादसे हो रहे हैं। कई बार जल्दबाजी के चक्कर में कहीं भी मोड़ देते हैं। ट्रैफिक पुलिस को इनपर लगाम लगानी चाहिए, ताकि इसमें सुधार हो सके।

अमित कुमार

हाल ही में पुलिस ने भी ई-रिक्शा को लेकर एक्शन प्लान तैयार किया है, ये धरातल पर उतर जाए तो काफी हद तक ट्रैफिक से लोगों को निजात मिल सकती हैैैैै।

लकी