लखनऊ (ब्यूरो)। लेप्रोसी यानि कुष्ठ रोग का नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं और सामाजिक बहिष्कार के डर से सामने नहीं आते, जबकि यह बीमारी इलाज करवाकर पूरी तरह ठीक हो सकती है। डॉक्टर्स का कहना है कि कुष्ठ रोग की जल्द पहचान और जल्द इलाज ही इसका निदान है। देरी से हाथ या पैर के बेजान होने तक का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि, डॉक्टर्स उम्मीद जता रहे हैं कि अगले कुछ सालों में कुष्ठ रोग भारत से खत्म हो जायेगा। इस वर्ल्ड लेप्रोसी डे पर पेश है खास रिपोर्ट।

जल्द खात्मे की ओर बीमारी

बलरामपुर अस्पताल के सीनियर स्किन स्पेशलिस्ट डॉ। एमएच उस्मानी ने बताया कि ओपीडी में लेप्रोसी के हर माह 6-7 मामले आते हैं, जबकि सर्जरी वाले साल में 6-7 मामले होते हैं। हालांकि, लेप्रोसी खात्मे की ओर है, क्योंकि माना जाता है कि अगर 10 हजार में से 1 में यह बीमारी है तो यह अपने आप ठीक हो जायेगी। इसके इलाज के लिए सरकार द्वारा रिफैंपाइसिन क्लोफाजिमिन और डेक्सोना दवा फ्री में दी जाती है। यह बैक्टीरिया नर्व में घुसकर उसे नुकसान पहुंचाता है, जिससे नर्व डैमेज हो जाती है। लेप्रोसी तो दवा से ठीक हो जाती है, पर कोई मेजर नर्व डैमेज होने से शरीर का अगर कोई हिस्सा सुन है, तो वह पूरी तरह ठीक नहीं होता है। जिसकी वजह से क्ला हैंड या फुट ड्राप हो सकता है, जो दवा से ठीक नहीं होता है। ऐसे में सर्जरी की जाती है, जिससे काफी राहत मिलती है।

नए डायग्नोस्टिक की जरूरत

केजीएमयू में माइक्रोबायलॉजिस्ट प्रो। शीतल वर्मा ने बताया कि लेप्रोसी को खत्म करने के लिए डायग्नोस्टिक क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। जिसमें नई प्वाइंट ऑफ केयर डेवलप करने की जरूरत है, ताकि इस क्रोनिक इंफेक्शन के डायग्नोस्टिक बनाने में दिक्कत होती है, क्योंकि यह नार्मल बैक्टीरिया की तरह कल्चर नहीं हो पाता है। इसके बैक्टीरिया का कल्चर करना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि इसे एनीमल मॉडल पर किया जाता है। ऐसे में, अगर कोई मॉलीक्यूलर बेस्ड टेस्ट मार्केट में आ जाये, तो उससे इस बीमारी की रोकथाम करने में मदद मिलेगी।

मल्टीड्रग थेरेपी बेहद कारगर

केजीएमयू में स्किन डिपार्टमेंट की एचओडी डॉ। स्वास्तिका के मुताबिक, मानव जाति के लिए ज्ञात सबसे पुरानी बीमारी में से एक कुष्ठ रोग मल्टीड्रग थेरेपी के साथ इलाज योग्य है। कुष्ठ रोगियों के संपर्कों के लिए रिफैम्पिसिन के साथ एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस की एक नई पहल भी एनएलईपी द्वारा शुरू की गई है। कुष्ठ रोगियों को शीघ्र उपचार की आवश्यकता होती है, जो भविष्य में किसी भी विकलांगता और कलंक को रोक सकता है।

ये हैं कुछ कॉमन लक्षण

-खाल में धब्बा

-सुनपन होना

-नसों में दर्द होना

-अल्सर होना