- तलाब की जमीन पर अवैध रुप से किया जा रहा निर्माण

- न नगर निगम और न पुलिस की कार्रवाई का डर

LUCKNOW: गांव-मुहल्लों की पहचान रहे तालाबों पर अवैध कब्जे हो रहे हैं। नगर निगम, जिला प्रशासन व पुलिस अवैध कब्जों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है। समय रहते अवैध कब्जों को रोका नहीं गया तो जल संचयन नहीं होगा। इससे शहर को एक बड़ी समस्या का सामना भी करना पड़ेगा। लेखपाल और पुलिस की मिलीभगत से हो रहे अवैध कब्जों के आगे सरकारी अमला बेबस नजर आ रहा है.जानकीपुरम वार्ड स्थित गांव सिकंदरपुर इनायत अली में तालाब की जमीन पर अवैध रूप से मंदिर की आड़ में कब्जा किया जा रहा है। खास बात यह है कि इसकी जानकारी नगर निगम के संपत्ति विभाग को है। कब्जा हटाने में खुद को असहाय समझ रहे हैं।

तलाब पर चल रहा अवैध निर्माण

यहां 0.क्क्ब् हेक्टेयर तालाब नगर निगम के अभिलेखों में दर्ज है। इसके क्ख्00 वर्ग मीटर भाग पर राम सजीवन रावत निर्माण करा रहा है। क्षेत्रीय पार्षद कैलाश यादव ने बताया कि कब्जेदारों को न नगर निगम की कार्रवाई का डर है और न ही पुलिस का खौफ है। आलम यह है कि इससे पहले भी राम सजीवन, लल्लन, जदुराई और राजू के खिलाफ अवैध रूप से निर्माण करने पर नगर निगम की ओर से गुडंबा थाने में एफआईआर लिखाई गई थी। एफआईआर सिर्फ क प्यूटर में दर्ज हो गई और आरोपियों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई। इससे उनके हौसले बुलंद हैं। सूत्र बताते हैं कि पुलिस की शह पर आरोपी ही रातोंरात तालाब की भूमि पर मंदिर के नाम पर अवैध निर्माण करा रहे हैं। नगर निगम के संपत्ति विभाग में नायाब तहसीलदार सहित लेखपाल को भी इसकी जानकारी है। पार्षद की शिकायत पर अ ाी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। इससे पार्षद ने नगर आयुक्त से इस संबंध में शिकायत की है।

लैंड यूज बदलकर किया जाए आंवटन

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि पार्को में धार्मिक निर्माणों को रोका जाए। इससे पहले भी उच्च न्यायालय ने स्पष्ट आदेश दे रखे हैं कि प्राकृतिक स्त्रोतों को उनके मूल स्वरूप में लाया जाए। गोमती नगर में ग्राम विजईपुर सहित चार गांवों में तालाबों को प्राकृतिक स्त्रोतों का लैंड यूज बदलकर उनका आंवटन किए जाने पर कोर्ट ने इनके मूल स्वरूप में लाने के साथ कब्जों को हटाने का आदेश दिया था। हाल ही में जिला प्रशासन ने भी जल उपलब्धता के लिए तालाबों का स्वरूप बदले जाने पर रोक लगाई थी। बावजूद इसके इन आदेशों की पूरी तरह से अवहेलना हो रही है। कार्रवाई करने के बजाय पुलिस आरोपियों को सहयोग कर रही है।