- दो सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति अब तक नहीं हुई

- गेस्ट फैकेल्टी के सहारे चल रहा है डिपार्टमेंट

- कमरे और लैब की हालत भी बेहद खराब

LUCKNOW : लखनऊ यूनिवर्सिटी में पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर चल रहे एनवायरमेंटल साइंस डिपार्टमेंट बीते 25 सालों से एक स्थाई पते के इंतजार में है। बीते ढ़ाई दशक से यह डिपार्टमेंट बनने के बाद दूसरे डिपार्टमेंट की बिल्डिंग में चलाया जा रहा है। आलम यह है कि अभी तक इस डिपार्टमेंट में किसी टीचर और कर्मचारी की नियुक्ति भी नहीं की गई है। यह डिपार्टमेंट सेल्फ फाइनेंस मोड में साल 1994 में स्थापित किया गया था। तब से लेकर आज तक यह यह डिपार्टमेंट बॉटनी विभाग के अधीन ही संचालित किया जा रहा है।

जर्जर कमरे में संचालन

न्यू बॉटनी विभाग के जिस परिसर में यह डिपार्टमेंट चलाया जा रहा है, उसकी स्थिति काफी दयनीय है। खस्ताहाल कमरे में इस विभाग का संचालन किया जा रहा है। यहां छत से प्लास्टर टूट कर गिर रहा है, जिससे लोहे की सरिया तक साफ दिखाई देने लगी हैं, लेकिन अब तक इसे दुरुस्त नहीं कराया गया है।

गेस्ट फैकेल्टी के सहारे

दरअसल एलयू में जुलाई वर्ष 1994 में पीजी स्तर पर पर्यावरण विज्ञान का एक कोर्स सेल्फ फाइनेंस मोड में शुरू किया था। 21 दिसंबर 1994 को कुलाधिपति ने पर्यावरण विज्ञान विभाग की स्थापना स्वतंत्र विभाग के रूप में कर दी थी। बाकायदा एलयू के स्टैट्यूट में इसे शामिल किया गया, लेकिन उसके बाद से अब तक इस विभाग को कैंपस में अपना भवन तक न मिला, न ही संविदा के आधार पर शिक्षक रखे गए। जबकि दो सहायक प्रोफेसर रखने का प्रावधान किया गया था। विभाग को बॉटनी विभाग के अधीन ही न्यू बॉटनी बिल्डिंग में चलाया जा रहा है। यहां गेस्ट फैकल्टी और बॉटनी के शिक्षक ही इस कोर्स को पढ़ा रहे हैं।

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लैब की हालत खराब

यहां एक लेक्चर रूम और एक लैब बनी है। शोध छात्रों के मुताबिक लेक्चर रूम में छत से कई जगह प्लास्टर टूटकर गिर चुका है। छत से लोहे की सरिया दिखने लगी है। सीलन की वजह से दीवारों का भी बुरा हाल है।