लखनऊ (ब्यूरो)। करीब चार साल के लंबे इंतजार के बाद शिवरी प्लांट में वेस्ट से बिजली बनने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। निगम प्रशासन की ओर से इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने के लिए डीपीआर तैयार करने का काम शुरू हो रहा है। डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) तैयार होने के बाद टेंडर प्रक्रिया शुरू होगी। पूरी संभावना है कि तीन से चार माह के बाद प्लांट में वेस्ट से बिजली बनने लगेगी।

हर दिन 12 किलोवॉट बिजली

अभी वेस्ट से बिजली बनाने का जो लक्ष्य रखा गया है, वो प्रतिदिन करीब 12 किलोवॉट का है। अब अगर इसे महीने के हिसाब से देखें तो यह आंकड़ा 360 किलोवॉट पहुंच जाता है। उदाहरण के लिए अगर एक घर का औसतन लोड तीन किलोवॉट है तो महीने में करीब 120 घर शिवरी में जेनरेट होने वाली बिजली से जगमग हो सकेंगे।

पावर कारपोरेशन को बिजली

शिवरी प्लांट में जो भी बिजली जेनरेट की जाएगी, उसे पावर कारपोरेशन को दिया जाएगा। इसके बाद पावर कारपोरेशन की ओर से अपने रोस्टर के अनुसार, घरों या अन्य संस्थानों को बिजली सप्लाई दी जा सकती है। इस बिजली के माध्यम से नए पावर ट्रांसफॉर्मर भी सेटअप किए जा सकते हैैं।

रोज आता है 1400 टन कूड़ा

शिवरी प्लांट में रोज करीब 1300 से 1400 टन वेस्ट आता है, जिससे खाद भी बनाई जाती है। अब इसी वेस्ट और पहले से लगे लाखों मीट्रिक टन वेस्ट के ढरों से आरडीएफ (रिड्यूज डिवाइडेड फ्यूल) अलग करके उसके माध्यम से बिजली बनाने का काम होगा। इसमें करीब 300 से 400 टन आरडीएफ का यूज किया जा सकता है।

इस तरह हो रहा निस्तारण

नगर निगम प्रशासन की ओर से शिवरी में लगे लाखों मीट्रिक टन वेस्ट के ढेरों का निस्तारण शुरू कर दिया गया है। इसके अंतर्गत सॉलिड वेस्ट को अलग किया जा रहा है। इसके बाद मिट्टी और खाद बनने में प्रयुक्त होने वाले उत्पादों को भी छांट कर अलग कर लिया जा रहा है। जो सॉलिड वेस्ट निकल रहा है, उसे सीमेंट कंपनी भेजा जाएगा। इस प्रक्रिया से धीरे-धीरे कूड़े का पहाड़ समाप्त हो जाएगा। इसके बाद यहां पर दो से तीन एकड़ एरिया खाली छोड़ दिया जाएगा। जिससे राजधानी से रोज कलेक्ट किए जाने वाले वेस्ट को प्रोसेस किया जा सके।

शिवरी में लगे लाखों मीट्रिक टन वेस्ट की प्रोसेसिंग शुरू कर दी गई है। वेस्ट से बिजली बनाने के लिए भी डीपीआर तैयार किया जा रहा है। प्रयास है कि जल्द शिवरी प्लांट में वेस्ट से बिजली बनना शुरू हो जाए।

डॉ। अरविंद राव, अपर नगर आयुक्त