लखनऊ (ब्यूरो)। महिलाओं की सेफ्टी के दावे पुलिस लगातार करती है, पर वे सभी दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। आए दिन राजधानी में छेड़छाड़, दुष्कर्म, दहेज हत्या समेत अन्य अपराध हो रहे हैं। महिलाओं और बच्चियों के साथ होने वाले अपराध रुकने के बजाय दिन प्रति दिन बढ़ते जा रहे हैं। यह हम नहीं बल्कि लखनऊ पुलिस कमिश्नेट के आंकड़े बता रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी में रोजाना लगभग 7 महिलाएं और बच्चियां अपराध का शिकार हो रही हैं। ये आंकड़े तो वे हैं, जिनकी रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। असल में इन अपराधों की संख्या का अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।

477 दिनों में 3290 केस

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की तरफ से महिलाओं की सुरक्षा को लेकर 'अनसेफ वूमेन' की मुहिम चलाई जा रही है। पुलिस आंकड़ों से पता चला है कि राजधानी में जनवरी 2022 से लेकर अप्रैल 2023 तक यानी 477 दिनों में शहर के अलग-अलग थानों में कुल 3290 मामले दर्ज किए गए। इनमें महिलाओं से छेड़छाड़, दुष्कर्म, दहेज हत्या, बहला फुसलाकर भगाना, दहेज उत्पीड़न, बच्चियों से दुष्कर्म, छेड़छाड़ समेत अन्य अपराधों में एफआईआर शामिल है। इससे यह पता चलता है कि राजधानी में रोजाना छह मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि, इन शिकायतों में कई अपराधियों की गिरफ्तारियां भी हुई हैं।

कई केसों में हो जाता है सेटलमेंट

3290 के आंकड़े को देख जरूर लगता है कि अपराध काफी ज्यादा है, लेकिन एक सच यह भी है कि कई केस थानों में ऐसे आते हैं, जिनकी काउंसलिंग कर केस को मौके पर ही रफा-दफा कर दिया जाता है। ऐसे में इस तरह के केस का कोई रिकार्ड नहीं बन पाता। पुलिस अधिकारी बताते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा को लेकर थानों में पुलिस को अलर्ट किया जाता है। इसके अलावा पुलिस पेट्रोलिंग के साथ-साथ बीच-बीच में महिलाओं के साथ अपराध को रोकने के लिए अभियान भी चलाती है। ताकि महिलाओं के साथ होने वाले अपराध को कंट्रोल किया जा सके।

सबसे ज्यादा ये अपराध

पुलिस आंकड़ों के मुताबिक, महिला अपराध में सबसे अधिक केस दहेज उत्पीड़न के आते हैं, इसके बाद बच्चियों से छेड़छाड़ और रेप के केस आते हैं। बहला फुसलाकर भगा ले जाने के भी मामले काफी होते हैं। केस सुलझाने के लिए पुलिस की कई टीमें बना दी जाती हैं, लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर महिलाओं को अपराध से बचाने के लिए पुलिस के दावे क्यों खोखले साबित होते हैं।

महिलाओं को किया अवेयर

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि महिलाओं के साथ होने वाले सबसे ज्यादा अपराध दहेज उत्पीड़न के होते हैं, ऐसे में पुलिस चाहकर भी इस तरह के क्राइम को नहीं रोक पाती है। हालांकि, इससे निपटने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत अभियान चलाया जाता है। इसके अलावा स्कूल कॉलेज, पार्क समेत अन्य जगहों पर छात्राओं को गुड टच और बैड टच को लेकर भी अवेयर किया जाता है।

आंकड़ों में जानें असलियत

अपराध मामले

दुष्कर्म 338

छेड़छाड़ 413

पॉक्सो एक्ट 507

दहेज हत्या 66

भगा ले जान 504

दहेज उत्पीड़न 1455

तेजाब फेंकना 07

महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों को रोकने के लिए पुलिस हमेशा से अलर्ट रही है। साथ ही कई केसों को सुलझाया भी गया है।

-श्रवण कुमार सिंह, डीसीपी, क्राइम अंगेस्ट वूमेन एंड सिक्योरिटी