लखनऊ (ब्यूरो)। एक्स आर्मी मैन व सेना के जवान मिलकर जालसाजी का गिरोह चला रहे थे। ठगी की पूरी स्क्रिप्ट तैयार की जाती थी और हर जालसाज का एक करेक्टर होता था। उसके बदले उसका मेहनताना (ठगी की काली कमाई) भी फिक्स था। नौकरी के नाम पर वे बेरोजगारों से ठगी कर रहे थे। एसटीएफ ने रविवार को इस गिरोह के चार मेंबर्स को गिरफ्तार किया। पुलिस ने उन्हें पीजीआई स्थित गोवर्धन एनक्लेव से पकड़ा। उनके पास से सेना के अधिकारियों के फर्जी बैज और अन्य दस्तावेज बरामद हुए हैं।

इनको किया गया गिरफ्तार

एसएसपी एसटीएफ विशाल विक्रम सिंह के अनुसार, गाजीपुर निवासी अमित कुमार सिंह (भूतपूर्व सैनिक भारतीय सेना), बागंरमऊ उन्नाव निवासी शुभम पेटल कुणाल (फर्जी भारतीय सेना का कमांडो), फिरोजाबाद निवासी रामबरन सिंह उर्फ राहुल निवासी (वर्तमान सैनिक भारतीय सेना, नियुक्ति नागालैंड) और दिनेश कुमार यादव निवासी जसंवत नगर इटावा को गिरफ्तार किया गया है।

भर्ती के नाम पर 8 से 10 लाख की डिमांड

गिरफ्तार शुभम पटेल ने पूछताछ में बताया कि बेरोजगार युवकों को सेना में भर्ती कराने के नाम पर प्रत्येक युवक से 8 से 10 लाख रुपये लिये जाते हैं। साथ ही उनसे उनकी शैक्षिक योज्ञता, जाति, निवास प्रमाण पत्रों आदि कि मूल कापी रख ली जाती है। इन युवकों को दिलीप अपने संपर्कों के माध्यम से फर्जी भर्ती प्रक्रिया के लिए भेजता था। गिरोह के संपर्क में आने वाले युवक अमित सिंह को लेफ्टीनेंट कर्नल की यूनीफार्म में व रामबरन यादव को मेजर, डिप्टी कामांडेंट के पद पर दिखाकर कर युवकों को भरोसे में ले उनकी फर्जी भर्ती प्रक्रिया की जाती है।

मेडिकल कराने जाते समय पकड़े गए

वे भर्ती प्रक्रिया से मिले रुपयों को आपस में बांट लेते थे। रविवार को गैैंग के मेंबर्स गाड़ी से फर्जी प्रपत्र तैयार कर पैसे की लालच में अमित सिंह के साथ अपने गोवर्धन एनक्लेव स्थित आवास से आर्मी के अधिकारी की वर्दी पहनकर युवकों की फर्जी भर्ती प्रक्रिया कराने व मेडिकल आदि करवाने जा रहे थे, तभी गिरफ्तार कर लिए गए।

15 से 20 हजार के लालच में बना सदस्य

दिनेश ने पूछताछ में बताया कि दिलीप नामक व्यक्ति, जो कि रिश्ते में मेरा मामा लगता है, उसने ही शुभम पटेल व रामबरन सिंह से मेरी बातचीत मुलाकात कराई थीं। इन लोगों के साथ मिलकर मैं बेरोजगार युवकों को आर्मी में भर्ती करवाने के नाम पर रुपए वसूलकर युवकों को फर्जी प्रपत्र देकर गुमराह करता हूं। इस काम के एवज में ये लोग मुझे प्रति युवक 15 से 20 हजार रुपये हिस्सा देते हैं। आर्मी के फर्जी दस्तावेज हम लोगों को दिलीप व राम बरन सिंह उपलब्ध कराते हैं।

सेना से चोरी करता था आईडी और कागजात

गिरफ्तार रामबरन सिंह ने पूछताछ में बताया कि वह सेना में 2015 में भर्ती हुआ था। वर्तमान में नागालैंड में सिपाही के पद पर कार्यरत हैै। वह 45 दिन की छुट्टी पर आया था। दिलीप यादव ने उसकी मुलाकात शुभम पटेल से करवाई थी। वे शुभम पटेल के लखनऊ स्थित आवास पर फर्जी भर्ती प्रक्रिया को संचालित करते थे, जहां फर्जी दस्तावेज बनाते थे। फर्जी दस्तावेजों का फॉर्मेट, फर्जी आईडी कार्ड रामबरन द्वारा सेना में चोरी से प्राप्त करना आसान था। इसके लिए हर युवक से 60 हजार रुपये प्राप्त होते थे, शुभम पटेल व अमित सिंह द्वारा 2 फरवरी को कुछ युवकों का फर्जी मेडिकल किया गया था। उस गतिविधि में वह युवकों के समाने खुद को आर्मी का मेजर दिखाकर रौब जताता था।

नौकरी के लिए कैंडिडेट देकर खुद बन गया जालसाज

गिरफ्तार अमित कुमार सिंह ने पूछताछ में बताया कि सेना में 16 वर्ष नौकरी करने के बाद वह नवंबर 2021 में रिटायर हो गया था। सेवानिवृत्त होने के बाद उसकी मुलाकात रामप्रकाश नामक व्यक्ति से हुई, जिसने उसे युवकों को सेना मे भर्ती करवाने का लालच दिया। उसकी बातों में आकर उसने कुछ युवक और पैसे रामप्रकाश को भर्ती करवाने के लिए दिए। न कोई भर्ती हुआ और न ही दिए हुए पैसे वापस हुए। रामप्रकाश से बार-बार पैसे मांगने पर उसने उसकी मुलाकात लखनऊ में शुभम पटेल, दिलीप व रामबरन सिंह से कराई। उन्होंने सेना का अधिकारी बनकर भर्ती प्रक्रिया में सहयोग करने बदले में प्रति अभ्यर्थी 10,000 रुपये देने का लालच दिया।