लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बन गया है, जहां विद्युत नियामक आयोग द्वारा दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली-2022 रूपी नये कानून पर आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह व सदस्य बीके श्रीवास्तव द्वारा कानून को अंतिम रूप देते हुए हस्ताक्षर कर दिए गए हैं और इसे अपर मुख्य सचिव ऊर्जा को अधिसूचना जारी करने के लिए भेज दिया गया है। इस कानून के तहत अब बिजली खंभों का कोई भी प्राइवेट अथवा सरकारी दूरसंचार कंपनी ब्रॉडबैंड, 5जी नेटवर्क अथवा अन्य कोई भी अपना सिस्टम अथवा उस पर किसी भी तार केबिल का उपयोग करेगा तो उसे उसका शुल्क देना होगा। प्रदेश की बिजली कंपनियां इस कानून के प्रावधानों के तहत टेंडरिंग प्रोसेस से इस कार्य को आगे बढ़ाएंगी।

21 अक्टूबर को हुई थी सुनवाई

उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग द्वारा नया कानून पारित किए जाने के तुरंत बाद उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के चेयरमैन से मुलाकात की और उपभोक्ता परिषद द्वारा उठाए गए सभी बिंदुओं को कानून में सम्मिलित करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। 21 अक्टूबर 2022 को इस पर आम जनता की सुनवाई हुई थी, जिस पर परिषद ने अनेकों उपभोक्ता हित संबंधी व्यवस्था को कानून में लागू करने की मांग रखी थी।

टेंडर के हिसाब से शुल्क होगा तय

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि इस कानून के पारित होने के बाद प्रदेश की बिजली कंपनियां पारदर्शी तरीके से टेंडर के माध्यम से जो भी दरें तय करेंगी, उसके हिसाब से दूरसंचार कंपनियों से शुल्क लिया जाएगा। कानून में ये भी प्रावधान किए गए हैं कि दूरसंचार कंपनियां सुरक्षा के किसी भी मानक से खिलवाड़ नहीं कर सकतीं। इससे प्राप्त होने वाला राजस्व गैर टैरिफ आय में सम्मिलित किया जाएगा, जिसका 70 प्रतिशत आय प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दर में पास किया जाएगा यानी की वार्षिक राजस्व आवश्यकता का पार्ट होगा और 30 प्रतिशत आय बिजली कंपनियों को दी जाएगी।

50 प्रतिशत से ज्यादा का काम नहीं

आयोग द्वारा बनाए गए इस नए कानून में इस बात की भी पूरी व्यवस्था की गई है कि किसी एक टेलीकॉम कंपनी का वर्चस्व ना हो पाए इसलिए किसी भी विशेष दूरसंचार कंपनी को वितरण कंपनियां अपने खंभों का 50 प्रतिशत से ज्यादा काम नहीं दे सकतीं। प्रदेश की बिजली कंपनियों को कम से कम 3 साल में एक बार किराया शुल्क में संशोधन करना होगा। यह व्यवस्था इसलिए बनाई गई है ताकि किसी भी स्तर पर गैर टैरिफ आय में कोई कटौती ना हो। प्रदेश में लागू इस नए कानून से जहां 5जी तकनीक को बढ़ावा मिलेगा।

स्मार्ट मीटर लगाकर वसूली

कानून में यह भी व्यवस्था बनाई गई है कि यदि 5जी नेटवर्क में दूरसंचार कंपनियों को कहीं भी बिजली की आवश्यकता होगी तो उस पर स्मार्ट मीटर लगाकर बिजली बिल की वसूली भी की जाएगी। स्मार्ट मीटर सहित सभी खर्चों का वहन दूरसंचार कंपनियों को करना होगा। देश में पहली बार बने इस कानून में कोई भी संशोधन का अधिकार केवल विद्युत नियामक आयोग को होगा। समय-समय पर आवश्यकता के अनुसार विद्युत नियामक आयोग अपने कानून में कोई भी बदलाव कर सकता है। प्रदेश की बिजली कंपनियों को इससे प्राप्त होने वाली सभी आय को वार्षिक राजस्व आवश्यकता में पारदर्शी तरीके से ऑडिटर से ऑडिट कराकर प्रमाण पत्र सहित आयोग के सामने रखना होगा। सभी दूरसंचार कंपनियों को टावर या उपकरण के लिए पोल के इंसुलेटर से सेफ्टी क्लीयरेंस पूरी तरीके से बनाए रखनी होगी।

एक करोड़ के आसपास खंभे

उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष ने बताया कि एक आंकलन के अनुसार पूरे उत्तर प्रदेश में लगभग 1 करोड़ खंभे स्थापित होंगे। जिसमें से शहरी क्षेत्र के स्थापित खंभों पर दूरसंचार कंपनियों को टेंडर के माध्यम से यह कार्य दिया जाएगा। प्रत्येक वर्ष लगभग 500 करोड़ तक की नॉन टैरिफ इनकम प्राप्त होगी और इससे कहीं न कहीं प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी भी आएगी।