लखनऊ (ब्यूरो)। करीब 30 फीसदी कॉमर्शियल बिल्डिंग्स ऐसी हैैं, जिनमें फायर एनओसी में खेल किया जाता है। कागजों में तो सब ठीक दिखता है लेकिन जब आग लगती है तो सारी हकीकत सामने आ जाती है। हादसे के वक्त पता चलता है कि एनओसी के आधार पर एक या दो कदम ही बिल्डिंग में उठाए गए हैैं, जबकि अन्य कदमों को नजरअंदाज किया गया है।

ऑन ग्राउंड मॉनीटरिंग नहीं
नियमों की अनदेखी किए जाने के बावजूद डेवलपर की ओर से धड़ल्ले से बिल्डिंग का निर्माण करा दिया जाता है और उसमें कॉमर्शियल एक्टिविटीज भी शुरू कर दी जाती हैैं। चूंकि बिल्डिंग की ऊंचाई 15 मीटर से कम होती है, ऐसे में विभागों की ओर से नियमों की ऑन ग्राउंड मॉनीटरिंग नहीं की जाती है। जबकि नक्शा पास करने के बाद से लेकर बिल्डिंग के निर्माण होने के बाद तक हर कदम पर मॉनीटरिंग की जरूरत है, जिससे नक्शे के विपरीत निर्माण न हो सके।

हादसे दर हादसे
बादशाह नगर स्थित एक कॉम्प्लैक्स में शनिवार को आग लग गई थी। इस हादसे में 60 लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ गई थी। इससे पहले भी इसी एरिया में स्थित एक बिल्डिंग में आग लग चुकी है, जिसमें एक युवक की मौत हो गई थी। हादसे दर हादसे होने के बावजूद नियमों की अनदेखी की जा रही है और जिम्मेदारों की ओर से कोई ठोस एक्शन नहीं लिया जा रहा है।

धड़ल्ले से हो रहे कॉमर्शियल निर्माण
राजधानी में कॉमर्शियल निर्माण तेजी से हो रहे हैैं। इसे ध्यान में रखते हुए वीसी ओर से नए सिरे से सभी कॉमर्शियल निर्माण का स्वीकृत नक्शे के आधार पर जांच कराने संबंधी निर्णय लिया गया है। उनकी ओर से निर्देश दिए गए हैैं कि एक-एक कॉमर्शियल निर्माण की रिपोर्ट तैयार कराई जाए और देखा जाएगा कि स्वीकृत नक्शे के अनुरूप ही निर्माण हो रहा है या नक्शे को पूरी तरह से या आंशिक रूप से नजरअंदाज करके निर्माण कराया जा रहा है। अगर नक्शे के विपरीत निर्माण मिलता है तो तत्काल संबंधित निर्माणकर्ता के खिलाफ कार्रवाई की जाए।

छोटी बिल्डिंग्स भी आएं दायरे में
प्राधिकरण और दमकल की ओर से कवायद की जा रही है कि छोटी बिल्डिंग्स जो 12 मीटर से कम हों, उन्हें भी फायर एनओसी और अन्य नियमों के दायरे में लाया जाए। जिससे हादसों को रोका जा सके। प्राधिकरण की ओर से प्रयास किए जा रहे हैैं कि नक्शा तभी पास किया जाए, जब बिल्डिंग्स निर्माणकर्ता के पास फायर एनओसी हो और उसका अनुपालन किया जा रहा हो।

ये कदम उठाए जाएं
1-सभी कॉमर्शियल और आवासीय बिल्डिंग्स में इमरजेंसी एग्जिट जरूर हो
2-जो नक्शा पास कराया गया हो, उसके अनुरूप ही बिल्डिंग बने
3-कम ऊंचाई वाली कॉमर्शियल बिल्डिंग्स में भी फायर नियमों का अनुपालन हो
4-समय-समय पर नक्शे और फायर एनओसी की जांच भी की जाए।

हमारी ओर से प्रयास किया जा रहा है कि कम ऊंचाई वाली कॉमर्शियल और आवासीय बिल्डिंग्स में भी सुरक्षा संबंधी सभी नियमों का अनुपालन हो। जिससे हादसा होने से रोका जा सके।
डॉ इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए