लखनऊ (ब्यूरो)। संजय गांधी पीजीआई के ओटी कॉम्प्लेक्स स्थित इंडोक्राइन सर्जरी ओटी में सोमवार को भयंकर आग लग गई। इस दौरान ओटी में सर्जरी चल रही थी। जिसके चलते एक मासूम और महिला की मौत हो गई। आग के चलते पूरे परिसर में धुंआ भरने के साथ अफरातफरी मच गई। इस दर्दनाक हादसे का सीएम योगी ने भी संज्ञान लिया। वहीं, डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने जांच के आदेश दे दिए हैं। संस्थान अधिकारियों के मुताबिक, आग लगने के कारणों का पता लगाने के लिए कमेटी बनाई गई है। प्रमुख सचिव पार्थ सारथी सेन को तत्काल मौके पर भेजा गया।

दोपहर में लगी आग

संजय गांधी पीजीआई के ओटी कॉम्प्लेक्स स्थित इंडोक्राइन सर्जरी ओटी-1 में दोपहर करीब 12:40 मिनट पर मॉनीटर में स्पार्किंग होने से आग लग गई। इस दौरान पीलीभीत निवासी 26 वर्षीय तयबा की सर्जरी चल रही थी। ओटी में धुंआ भरता देख सर्जरी को बीच में ही रोकते हुए मरीज को शिफ्ट कराने की कोशिश की गई। पर महिला मरीज को बचाया नहीं जा सका। वहीं, बगल में सीवीटीएस की ओटी में गाजीपुर निवासी नेहा के 25 दिन के बच्चे की हार्ट सर्जरी चल रही थी। वहां भी धुंआ भरने से डॉक्टर और स्टाफ मौके से भाग निकले। इसी बीच किसी तरह मासूम को निकाल कर डायलिसिस आईसीयू में ले जाया गया, पर उसे बचाया नहीं जा सका। इस दौरान ओटी कॉम्प्लेक्स में 20 से अधिक लोग मौजूद थे। धुआं पूरे ओटी कॉम्प्लेक्स में भर गया था। जिसके कारण पोस्ट ऑफ आईसीयू में भर्ती मरीजों को पीएमएसवाई भवन स्थिति आईसीयू के आलावा डायलिसिस यूनिट समेत जहां भी जगह मिली, शिफ्ट किया गया। इस दौरान हर मरीज और परिजन बहुत डरे हुए थे।

एक और सर्जरी चल रही थी

आग लगने से पहले उसी ओटी कॉम्प्लेक्स में भी एक बच्चे की रोबोटिक सर्जरी चल रही थी। गनीमत रही कि सर्जरी समाप्त हो कर क्लोजर की तरफ थी। आननफानन में क्लोजर कर बच्चे को शिफ्ट किया गया।

सर्जरी की होगी वैकल्पिक व्यवस्था

धुंए की वजह से ओटी पूरी तरह से नष्ट होने के साथ काली पड़ चुकी थी। अब सर्जरी के लिए वैकल्पिक ओटी की व्यवस्था होगी। संस्थान प्रशासन का कहना है कि इंडो सर्जरी और सीवीटीएस की सर्जरी किसी भी गंभीर मरीज की नहीं रुकेंगी। वैकल्पिक ओटी की व्यवस्था की जा रही है। संस्थान के 13 ओटी में से दो को अधिक नुकसान हुआ है। इन्हें 4-5 दिनों में फिर शुरू कर दिया जाएगा। सर्जरी वाले मरीजों को अन्य ओटी में स्थानांतरित किया जाएगा, ताकि किसी मरीज को कोई दिक्कत न हो।

एनेस्थीसिया स्टेशन में हुआ स्पार्क

अधिकारियों के मुताबिक, ओटी में रखे मॉनीटर से चिंगारियां निकलने के बाद आग लग गई। जिसके कारण वह एनेस्थीसिया स्टेशन, जिससे ऑक्सीजन देते हैं, में फैल गई और तेजी के साथ इसने विकराल रूप ले लिया। तुरंत ही आग बुझाई गई, लेकिन धुंआ हर ओर भर गया। जिसके बाद सभी को तुरंत वहां से निकाला गया। धुंए के कारण कई डॉक्टर और स्टाफ पर भी असर हुआ। जिसके बाद तुरंत उनको ऑक्सीजन दी गई और नेबुलाइज किया गया। साथ ही राहत देने के लिए इंजेक्शन भी दिया गया। फिलहाल सभी की हालत स्थिर है।

खिड़की से निकाला गया लोगों को

स्पार्किंग के कारण लगी आग से धुआं इतना भर गया कि मरीज और तीमारदार परेशान हो गए। फायर ब्रिगेड टीम के साथ पुलिसकर्मी व कर्मचारी पहुंचे और अंदर फंसे लोगों को निकालने में लगे रहे। कई लोगों को ओटी की खिड़की तोड़कर निकालने का प्रयास किया गया और कईयों को मुख्य गेट से ही बाहर निकला गया। ओटी कॉम्प्लैक्स में मरीज, तीमारदार डॉक्टर सहित लगभग 100 से अधिक लोग हमेशा मौजूद रहते हैं। इस बीच सभी को बाहर निकालना कर्मचारियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं रहा।

समिति का किया गया गठन

निदेशक प्रो। आरके धीमन ने बताया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए समिति का गठन किया गया है। जो आग लगने के कारणों का पता लगाएगी। साथ ही यह सुझाव भी देगी कि भविष्य में इस तरह की घटना दोबारा न हो। मामले को पूरी गंभीरता से लिया गया है।

आज की घटना बेहद दुखद है। मृतकों के परिजनों के साथ हमारी प्रति पूरी संवेदनाएं हैं। जांच के आदेश दे दिए गये हैं। तीन मेंबर्स की जांच कमिटी बनाई गई है।

-प्रो। आरके धीमन, निदेशक, संजय गांधी पीजीआई

कई मरीजों की नहीं हो सकी जांच

आग की वजह से ओल्ड ओपीडी बिल्डिंग में भगदड़ मच गई। ओटी काम्प्लेक्स के नीचे रेडियोलॉजी, न्यूक्लियर मेडिसिन, न्यूरो, गैस्ट्रो, एंडोस्कोपी, कैथ लैब समेत दूसरे विभागों के मरीजों की जांचें चल रही थीं। आग लगने की वजह से बिजली काट दी गई और भवन खाली करा लिया गया। इसकी वजह से जांच का काम भी ठप हो गया। करीब 200 से अधिक मरीजों की जांच नहीं हो सकी। आग की खबर से तीमारदार घबरा गए। भूखे-प्यासे तीमारदारों को भवन के बाहर ले गए। कई मरीज स्ट्रेचर और व्हील चेयर पर थे। कुछ मरीजों को स्ट्रेचर नहीं मिला तो वे मरीज को गोद में उठाकर भागे। भर्ती मरीजों को ग्लूकोज समेत दूसरे इलाज की प्रक्रिया चल रही थी। उन्हें बेड सहित शिफ्ट करने में तीमारदारों को पसीना छूट गया।

पीजीआई की घटना दुर्भाग्यपूर्ण, दोषियों पर होगी कड़ी कार्रवाई

राजधानी के संजय गांधी पीजीआई अस्पताल में हुए अग्निकांड को लेकर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि यह घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। सरकार पीड़ित परिजनों के साथ है। उन्होंने पीजीआई सहित प्रदेश भर के सभी सरकारी अस्पतालों एवं ऑपरेशन थियेटरों का सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश भी जारी किए हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने इस पूरी घटना का संज्ञान लेते हुए प्रकरण के उच्चस्तरीय जांच के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि प्रमुख सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा को मौके पर भेजा गया है। इस घटना में जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार पूरी तरह से पीड़ित परिवारों के साथ है। उन्हें हर संभव मदद मुहैया कराई जा रही है। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने बताया कि पीजीआई सहित प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों का सेफ्टी ऑडिट कराया जाएगा। साथ ही सभी जिला स्तरीय अस्पतालों एवं ऑपरेशन थियेटरों का भी सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

फायरकर्मियों ने घंटों जूझकर स्मोक इवैक्यूएटर से निकाला धुआं

'हैलो फायर कंट्रोल रूम, मैं पीजीआई से बोल रहा हूं, यहां पर आग लग गई है', यह कॉल सुनते ही पीजीआई फायर स्टेशन से तीन दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंच गईं, लेकिन आग इतनी भीषण थी कि इस पर काबू पाना मुश्किल हो रहा था। ऑपरेशन थियेटर में चारों तरफ धुआं भरा हुआ था। अंदर जाना काफी मुश्किल हो रहा था। किसी तरह फायरकर्मियों ने आग पर काबू पाने के लिए खिड़की का शीशा तोड़कर अंदर प्रवेश किया, लेकिन यहां पर चारों तरफ धुआं फैला था। यहां से कुछ भी देख पाना काफी मुश्किल हो रहा था।

बच्चे समेत तीन को निकाला बाहर

इस घटना की सूचना पर मौके पर चीफ फायर ऑफिसर मंगेश कुमार टीम के साथ पहुंच गए। पीजीआई फायर स्टेशन के साथ-साथ हजरतगंज, चौक, आलमबाग और सरोजनीनगर फायर स्टेशन से दमकल गाड़ियां भी पहुंचीं। इस दौरान ऑपरेशन थियेटर, गैलरी समेत अन्य जगहों पर पूरा धुआं भरा हुआ था। टीम मास्क लगाकर अंदर पहुंची, लेकिन धुएं की वजह से बिल्कुल अंधेरा छाया हुआ था, कुछ भी दिखना मुश्किल हो रहा था। अंदर एक महिला, एक व्यक्ति और एक बच्चा फंसा था। किसी तरह टीम अंदर पहुंची और सभी को बाहर निकाला, लेकिन तब तक महिला और बच्चे की मौत हो गई।

डेढ़ घंटे चला रेस्क्यू ऑपरेशन

चीफ फायर ऑफिसर मंगेश कुमार ने बताया कि आग की सूचना दोपहर 12 बजकर 58 मिनट पर आई थी। टीम पहुंची तो ओटी में इतना ज्यादा धुआं था कि कुछ भी दिख नहीं रहा था। जिसके बाद यहां चार स्मोक इवैक्यूएटर लगवाए गए। खिड़की के शीशे तोड़े गए, ताकि धुएं को बाहर निकाला जा सके। जिसके बाद करीब डेढ़ घंटे में किसी तरह से आग पर पूरी तरह से काबू पाया गया। उन्होंने बताया कि अगर स्मोक इवैक्यूएटर न लगाए जाते तो शायद हादसा और भी बड़ा हो सकता था। अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआती जांच में सामने आया है कि आग ओटी में ऑक्सीजन वेंटीलेटर से लगी। इसके बाद धीरे-धीरे फैल गई।