लखनऊ (ब्यूरो)। 'इस मासूम की किडनी खराब हो चुकी है, पिछले काफी दिनों से यह वेंटीलेटर पर है। डॉक्टर्स अब इसकी किडनी ट्रांसप्लांट करने की बात कर रहे हैं, लेकिन इसके लिए काफी पैसा चाहिए, आप इसकी मदद कर दें, ताकि इस बच्चे को एक नई जिंदगी मिल सकेÓ, अगर आपके पास भी इस तरह के मैसेज और फोटो आ रही हैं, तो अलर्ट हो जाइये, क्योंकि इन दिनों जालसाजों ने ठगी करने का नया तरीका खोज निकाला है। इसके जरिये ट्विटर और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफार्म पर लोगों से ठगी की जा रही है, जिसे लेकर साइबर सेल में भी कई सारी शिकायतें आ रही हैं। हालांकि, इससे निपटने के लिए साइबर सेल ने आरोपियों की तलाश शुरू कर दी है।

केस-1

गुडंबा के रहने वाले पंकज कुमार ने बताया कि मेरे ट्विटर अकाउंट पर एक लिंक आया, जो मेरे जानने वाले का था। क्लिक करने पर दिखा कि एक बच्चे का इलाज चल रहा था। मैसेज में लिखा था कि उसकी किडनी खराब है। ट्रांसप्लांट के नाम पर उसकी मदद कर दो, जिसके बाद मैसेज में लिखे खाते नंबर पर 15 हजार रुपये डाल दिए। बाद में पता चला कि वह फेक था।

केस-2

दुबग्गा के रहने वाले सुमित ने बताया कि उनके रिश्तेदार पुलिस में हैं। वह कानपुर देहात में पोस्टेड हैं। ट्विटर पर उनके नाम से मैसेज आया कि उनके जानने वाले का बच्चा बीमार है, कुछ मदद कर दो। उनकी बात काट नहीं सका और खाते में 20 हजार रुपये ट्रांसफर कर दिए। हालांकि, बाद में जब रिश्तेदार से बात हुई तो ठगी के बारे मे पता चला।

आईएएस और आईपीएस के नाम से आईडी

साइबर सेल इंस्पेक्टर सतीश साहू ने बताया कि पहले जालसाज फेसबुक पर फेक आईडी बना लेते थे और अपनी मजबूरी बताकर पैसे मांगते थे, लेकिन इन दिनों ट्रेंड पूरी तरह बदल गया है। जालसाजी का तरीका तो लगभग वही है, लेकिन ट्रेंड में काफी बदलाव हुआ है। जालसाज आईएएस, आईपीएस, आईआरएस अधिकारियों की फेक आईडी बना रहे हैं, जिनमें उनकी फोटो भी होती है।

ऐसे चलता है ठगी का खेल

जालसाज इस फेक आईडी से फ्रेंड लिस्ट में एड लोगों को एक लिंक शेयर करते हैं, जिसे खोलने पर दिखता है कि एक मासूम हॉस्पिटल में एडमिट है। इसके साथ लिखा होता है कि उसकी किडनी खराब हो गई है। ट्रांसप्लांट किया जाएगा। वहां यूज की गई फोटो को देखकर लोगों का मन भावुक हो जाता है और वे आसानी से इन जालसाजों के चंगुल में फंस जाते हैं। इसके बाद वे मैसेज में दिए गए अकाउंट नंबर पर पैसा जमा करा देते हैं।

यहां सबसे ज्यादा एक्टिव

साइबर सेल इंस्पेक्टर सतीश साहू के मुताबिक, जालसाज ट्विटर और फेसबुक पर सबसे ज्यादा एक्टिव रहते हैं। यहां अक्सर आपको मासूम बच्चों का इलाज होते हुए फोटो और मैसेज मिल जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि ये जालसाल उन बड़े चेेहरों को चुनते हैं, जिनका अपने एरिया में काफी नाम होता है। खासकर आईएएस या आईपीएस की फेक आईडी का सहारा लेते हैं, ताकि लोग आसानी से इनके चंगुल में फंस जाएं।

राजस्थान से चल रहा खेल

साइबर सेल में लगातार शिकायत आने पर पुलिस अलर्ट हो गई है। साइबर पुलिस अधिकारियों की जांच में सामने आया कि इस तरह की ठगी का खेल राजस्थान के भरतपुर से ऑपरेट हो रहा है। यह भी सामने आया कि जालसाजों का बैंक खाता दूसरे शहर में खुला हुआ है और पैसों का ट्रांजैक्शन किसी अन्य शहर से किया जा रहा है।

ऐसे करें बचाव

- इस तरह की ठगी से बचने के लिए सतर्कता बहुत जरूरी है।

- सोशल मीडिया पर अपने अकाउंट को प्राइवेट रखें।

- किसी भी अंजान आईडी पर विश्वास न करें।

- आपसे कोई पैसा मांग रहा है तो उसे वैरिफाई करें।

- आपके अपनों के भी आईडी से कोई मैसेज आ रहा तो क्रॉस चेक जरूर करें।

- बिना सोचे-समझे किसी को भी पैसा न भेजें।

- अगर आपके साथ कोई ठगी होती है तो सूचना साइबर पुलिस को दें।