लखनऊ (ब्यूरो)। फर्जी कंपनी बनाकर जॉब दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले बदमाश पुलिस की गिरफ्त में आए हैं। स्टार फाइनेंस सर्विस के नाम से कंपनी खोलकर नौकरी और लोन के नाम पर ठगी करने वाले तीन जालसाजों को साइबर क्राइम सेल ने गाजियाबाद इंद्रप्रस्थ कॉलोनी टीला मोड़ से गिरफ्तार कर लिया है। कंपनी के खिलाफ पारा कोतवाली में मुकदमा दर्ज था। कंपनी के अधिकारी अच्छे वेतन पर नौकरी दिलाने और फिर एजेंटों को लोन के लिए ग्राहक लाने का झांसा देकर ठगी करते थे।

नियुक्ति पत्र तक देते थे

एसीपी काकोरी आशुतोष कुमार ने बताया कि गिरफ्तार जालसाजों में गाजियाबाद के लोनी सिरौली का रहने वाला अमित, उसका साथी कपिल और अंकित कसाना शामिल हैं। तीनों स्टार फाइनेंस सर्विस के नाम से कंपनी खोलकर ठगी कर रहे थे। कंपनी के खिलाफ पारा के रहने वाले रवि गुप्ता ने 29 जून को मुकदमा दर्ज कराया था। मामले की जांच साइबर क्राइम सेल द्वारा की जा रही थी। साइबर क्राइम सेल प्रभारी इंस्पेक्टर रणजीत राय ने बताया कि रवि ने अप्रैल में नौकरी के लिए मास्टर इंडिया डाट काम कंपनी में सीवी अपलोड किया था। इसके बाद स्टार इंडिया फाइनेंस कंपनी से जालसाजों ने फोन किया और कहा कि आपकी नौकरी लग गई है। नियुक्तिपत्र भी जारी कर दिया है।

पैसा लेकर फोन स्विच ऑफ

इसके बाद रवि से लोन से संबंधित ग्राहक लाने के लिए कहा। रवि को टारगेट दिया गया। उसने छह लोगों को लोन दिलाने के लिए दस्तावेज आदि लिए। फाइल चार्ज और वैरीफिकेशन समेत अन्य मदों में ग्राहकों से करीब ढाई लाख रुपये हड़प लिए। कुछ दिन में ही लोन पास करने का दावा कंपनी के अधिकारी कपिल, अमित व अन्य ने किया। कई दिन बीतने के बाद भी जब लोन पास नहीं हुआ तो रवि ने कंपनी के अधिकारियों को फोन किया, लेकिन नंबर स्विच ऑफ था। इसके बाद तहरीर देकर मुकदमा दर्ज कराया।

डाटा लेकर करते थे फोन

साइबर क्राइम सेल ने रविवार को कंपनी के तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया। जालसाजों के पास से 21 हजार रुपये, लैपटाप, आठ मोबाइल फोन, पेनड्राइव, नियुक्तिपत्र व अन्य दस्तावेज मिले हैं। साइबर क्राइम सेल के दारोगा सौरभ मिश्रा और साइबर एक्सपर्ट अजय प्रताप ङ्क्षसह ने बताया कि गिरोह के लोगों ने कंपनी के नाम से फर्जी डोमेन ले रखा था। इसके साथ ही यह लोग कई अन्य वेबसाइटों से लोगों का डाटा और सीवी जुटाकर उन्हें फोन करते थे। नौकरी का झांसा देकर एजेंट बनाते और फिर ठगी करते थे। कंपनी के जालसाज फोन करने के लिए जो भी सिम इस्तेमाल करते थे वह फर्जी आइडी पर लिए जाते थे। चार से पांच लोगों से बात करने के बाद सिम बंद कर देते थे।