लखनऊ (ब्यूरो)। सिखों के पांचवें गुरु अरजन देव महाराज का 418वां पावन शहीदी दिवस सोमवार को राजधानी के विभिन्न गुरुद्वारों में श्रद्धा और सत्कार के साथ मनाया गया। इस दौरान विशेष दीवान का आयोजन किया गया। जहां शबद गायन से संगतों को निहाल किया गया। वहीं, दीवान समापन के बाद गुरु का लंगर वितरित किया गया।

शबद गायन से किया निहाल

गुरु अरजन देव महाराज का शहीदी दिवस, श्री गुरु सिंह सभा ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु नानक देव जी ऐतिहासिक गुरुद्वारा, नाका हिंडोला में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। इस अवसर पर भव्य दीवान हाल में फूलों से सुसज्जित पालकी साहिब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब पर विराजमान थे।

शबद सुन संगत हुई निहाल

वहीं, 8 जून को रखे गये श्री अखंड पाठ साहिब की समाप्ति के बाद रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह ने अपनी मधुर वाणी में आसा दी वार की पवित्र बाणी एवं जिसके सिर ऊपर तू स्वामी सो दुख कैसा पावै।। शबद कीर्तन गायन कर श्रद्धालुओं को निहाल किया। विशेष रूप से पधारे पंथ प्रसिद्ध प्रचारक सिंह साहिब ज्ञानी मान सिंह ने श्री गुरु अरजन देव की जीवन पर गुरमति विचार व्यक्त किए।

गुरु का लंगर हुआ वितरित

आयोजन के दौरान इसके बाद रागी जत्था भाई प्रिंस पाल सिंह पटियाला वालों ने तेरा कीआ मीठा लागै हरि नामु पदारथ नानक मांगै शबद कीर्तन गायन कर समूह संगत को निहाल किया। माता गुजरी सतसंग सभा की सदस्यों ने सिमरउ सिमरि सिमरि सुखु पावउकलि कलेस तन माहि मिटावउ शबद कीर्तन गायन किया। अध्यक्ष राजेंद्र सिंह बग्गा ने समूह संगत सेे गुरु जी द्वारा दिखाये गये मार्ग पर चलने का आग्रह किया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। इस अवसर पर एक विशाल गुरु का लंगर भी वितरित किया गया।

छबील लगाई गई

ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु तेग बहादुर साहिब जी यहियागंज के सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि डॉ। गुरमीत सिंह के संयोजन में आयोजित इस कार्यक्रम में श्री दरबार साहब अमृतसर से हजूरी रागी भाई गुरकीरत सिंह एवं रायपुर से भाई प्रदीप सिंह ने शबद कीर्तन द्वारा संगत को निहाल किया गया। वहीं, 40 दिनों से चल रहे लड़ीवार श्री सुखमनी साहिब के पाठ की समाप्ति हुई। इसके बाद छोले भटूरा एवं कच्ची लस्सी का लंगर वितरित किया गया। वहीं, केंद्रीय सिंह सभा गुरुद्वारा आलमबाग के मीडिया प्रभारी हरजीत सिंह ने बताया कि इस शहीदी दिवस पर एक छबील लगाई गई। जिसमें काले चने और कच्ची लस्सी का लंगर वितरित किया गया।