लखनऊ (ब्यूरो)। यह सर्टिफिकेट प्रदेश भर में नौ फर्जी ट्रेनिंग सेंटर्स के नाम पर जारी हुए हंै। इन सर्टिफिकेट की जांच का कोई मैकेनिज्म न होने से प्रदेश भर के विभिन्न आरटीओ कार्यालयों से एक साल में 1231 ड्राइविंग लाइसेंस जारी हो गए और आरटीओ को पता ही नहीं चला। अब परिवहन आयुक्त को हुई शिकायत के बाद जांच के आदेश दिए हैं। तेल, गैस और रसायनिक पदार्थों को टैंकरों से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जाता है, जो हैजार्डियस क्षेणी में आते हैं। तीन माह की सघन ट्रेनिंग के बाद इनके लाइसेंस जारी किए जाते हैं। ट्रेनिंग के लिए बाकायदा ट्रेनिंग सेंटर को लाइसेंस जारी किया जाता है। इन सर्टिफिकेट की जांच की कोई पुख्ता व्यवस्था न होने से आरटीओ विभाग इनको लाइसेंस जारी कर देता है।

केवल दो रजिस्टर्ड सेंटर

हैरानी की बात यह है कि प्रदेश में सिर्फ दो ही संस्थान को इस ट्रेनिंग के लिए लाइसेंस मिला है। इसमें मेसर्स ओम साईं मोटर ट्रेनिंग स्कूल नोएडा और सेफ रोड स्किल टेक्नालॉजी एलएलपी वाराणसी के ही हैजार्डियस वाहन चलाने के प्रमाण पत्र मान्य हैं। जबकि, नौ सेंटर्स फर्जी तरीके से चल रहे हैं। जिनके फर्जी सर्टिफिकेट पर लाइसेंस तक मिल रहे हैं। ऐसे में इन ज्वलनशील पदार्थों को ले रहे ड्राइवर बिना ट्रेनिंग के लाइसेंस हासिल कर रहे हंै। अनाड़ी ड्राइवरों की वजह से कोई बड़ी दुर्घटना घट सकती है।

विभागीय पोर्टल से हटाए फर्जी सेंटर के नाम

इस फर्जीवाड़े का खुलासा उस समय हुआ जब एक शिकायती पत्र परिवहन आयुक्त ऑफिस को मिला। जिसके बाद जांच के आदेश दिए गये और शुरुआती जांच में पोर्टल पर बगैर मान्यता के नौ ट्रेनिंग सेंटर्स विभाग के पोर्टल पर मिले। जिसको संज्ञान में लेते हुए अपर परिवहन आयुक्त ने तकनीकी शाखा को तत्काल इन फर्जी ट्रेनिंग सेंटर को हटाने का आदेश दिया है।

मामले को संज्ञान में लेते हुए एआरटीओ टेक्निकल को तथ्यों के साथ जांच के आदेश दिए हैं। जांच में जिसकी लापरवाही सामने आएगी उसके खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं।

- निर्मल प्रसाद, अपर परिवहन आयुक्त, आईटी