लखनऊ (ब्यूरो)। परिवहन निगम की बसों के मेंटीनेंस का आलम यह है कि अधिकारियों के तमाम दावों के बावजूद खस्ताहाल बसों की हालत में सुधार नहीं हो रहा है। कभी बस का ब्रेक फेल हो जाता है तो कभी बस बीच रास्ते बंद हो जाती है। जिसके चलते यात्रियों की सुरक्षा पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसकी बड़ी वजह वर्कशॉप में कर्मचारियों की कमी है, जिसके चलते बसों का प्रॉपर मेंटीनेंस नहीं हो पा रहा है। हालांकि, आला अधिकारियों का कहना है कि जल्द समस्या को दूर कर लिया जाएगा।

केस 1

5 सितंबर को गौतमपल्ली के पास चलती बस के पहिए में आग लग गई। ड्राइवर-कंडक्टर की सूझबूझ से यात्रियों को सुरक्षित बाहर निकाला गया। यह बस करीब एक वर्ष पहले ही खरीदी गई थी।

केस 2

12 मई को शाहजहांपुर में बरेली डिपो की बस में आग लग गई, जिसकी वजह से यात्रियों को बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था।

150 डिपो वर्कशॉप प्रदेशभर में

परिवहन विभाग के पास खुद की करीब 8 हजार बसें हैं, जबकि प्रदेशभर में 150 डिपो वर्कशॉप और 19 रीजनल वर्कशॉप हैं। वहीं, इनमें करीब 9500 पद हैं, जिनमें से 2000 पद खाली चल रहे हैं। काफी समय से कोई नई भर्ती नहीं हुई है। जानकारों के मुताबिक, भर्ती न होने से टेक्निकल कर्मचारियों की बेहद कमी चल रही है। जिसकी वजह से बसों का सही से रख-रखाव नहीं हो पा रहा है। वहीं, बसों के मेंटीनेंस के नाम पर हर साल करीब 40 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च हो रहा है।

नई बसों का भी रख-रखाव नहीं

परिवहन निगम द्वारा लगातार नई बसें खरीदी जा रही हैं, जो यूरो-6 हैं। पर इनके मेंटीनेंस के लिए ट्रेंड और अपडेटेड टेक्नीशियन नहीं हैं। किसी तरह पुराने कर्मचारियों को ट्रेनिंग देकर काम चलाया जा रहा है। साथ ही संविदा पर भर्ती कर किसी तरह बसों का मेंटीनेंस किया जा रहा है। ट्रेंड टेक्नीशियन न होने के कारण नई बसों का सही से रख-रखाव नहीं हो पा रहा है। जिसके चलते नई बसों के पहिए जाम होना, स्टेयरिंग खराब होना या शार्ट-सर्किट होना आम बात हो रही है।

स्पेशल कोर्स चला रहे

जीएम, तकनीकी एसएन शर्मा ने बताया कि रीजनल लेवल से काम होता है। जहां सर्विस मैनेजर यह सब देखते हैं। जरूरत के हिसाब से मैनपावर दी हुई है। रेगुलर स्टाफ की कमी की पूर्ति आउटसोर्स कर्मचारियों से की जाती है। समय-समय पर देखा जाता है। कहीं कोई कमी होती है तो मदद की जाती है। अगर इसके बाद भी सुनवाई नहीं होती तो बाद में कार्रवाई करते हैं। जहां तक नई बसों की बात है तो टेक्नीशियन के पास जानकारी कम है, जिसको देखते हुए कानपुर में एक-एक हफ्ते का कोर्स संचालित किया जा रहा है। इसके अलावा, लखनऊ में कमता के पास भी ट्रेनिंग सेंटर संचालित किया जा रहा है, ताकि ड्राइवरों को प्रशिक्षित किया जा सके।

नई बसों को लेकर स्पेशल कोर्स चलाया जा रहा है। वहीं, जरूरत के अनुसार मैनपावर उपलब्ध कराई जा रही है। सुधार न होने पर कार्रवाई भी की जा रही है।

-एसएन शर्मा, जीएम, तकनीकी, यूपी रोडवेज