लखनऊ (ब्यूरो)। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा को होलिका दहन करने का विधान है। ऐसे में रविवार को 09:23 के बाद ही पूर्णिमा तिथि प्रारंभ होकर सोमवार को दिवा 11:31 तक रहेगी, इसलिए रविवार को ही रात्रि में 10:28 मिनट भद्रा के बाद होलिका दहन किया जाएगा। होलिका का पूजन करते हुए होलिकायै नम: मंत्र पढ़ते हुए दहन करना चाहिए।

चैत्र की प्रतिपदा तीसरे दिन मिल रही

कुछ वर्षों से ऐसा संयोग हो रहा है कि चैत्र की प्रतिपदा तीसरे दिन मिल रही है। शास्त्रों के अनुसार, भस्म धारण चैत्र की प्रतिपदा को किया जाता है। रंगोत्सव इसी दिन शास्त्रों के अनुसार मनाया जाता है। पर होली जलने के दूसरे दिन ही ज्यादातर लोग रंग उत्सव मनाते हैं। हालांकि, होलिकोत्सव चैत्र कृष्ण प्रतिपदा 26 मार्च मंगलवार को सर्वत्र होली पर्व है। जो की सुबह काल होलिका के भस्म को मस्तक पर लगाकर आने वाले नूतन सम्वत्सर की मंगल कामना करते हैं। भारतीय सनातन धर्मसंस्कृति का यह पर्व अनुपम एवं अद्वितीय है। इस दिन पूरे वर्ष भर के संचित विकार दूर करने के लिए धर्म शास्त्रों ने हास्य-विनोद को भी शास्त्रीय मान्यता प्रदान किया है। यह पर्व परस्पर कटुता को समाप्त कर आपसी प्रेम सौहार्द स्थापित करता है।

होलिका दहन में न जलाएं हरा पेड़

धर्म शास्त्रों में भी हरा पेड़ जलाना निषेध है, क्योंकि इससे पर्यावरण दूषित होता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हरे वृक्ष पर बुध ग्रह का स्वामित्व होता है, इसलिए हरा वृक्ष जलाने से व्यक्ति को रोग व शोक दोनों तरह के कष्टों का सामना करना पड़ता है। हरे वृक्ष की रक्षा करें, उन्हें जलाना नहीं चाहिए।

होलिका में उपला आदि ही जलायें

प्रथम दिन अर्थात फाल्गुन की पूर्णिमा को यह पर्व मनाया जाता है। इस दिन चाहिए कि शाम को पहले से बनाई गयी होलिका के पास दक्षिण दिशा में एक कलश रखकर पंच देवताओं की पूजा कर अंत में होलिका का भी पूजन करके उनका दहन करें। दूसरे दिन स्नानादि से निवृत होकर हनुमान जी व भैरव जी की पूजा करें। फिर उनपर रोली, मौली, चावल, पुष्प, गुलाल, चंदन व नारियल आदि अर्पित कर आरती कर उनको प्रणाम करें। सर्वसम्मत से अपने से बड़े व छोटे सबको अबीर-गुलाल लगाकर प्रणाम करना, गले मिलना व मिठाई बांटने की परंपरा साथ ही रंग भी एक-दूसरे के ऊपर डालने का विधान है। जो प्रेम सौहार्द व आत्मीयता का प्रतीक है।

विशेष उपाय से मिलेगा लाभ

ज्योतिषाचार्य पं। राकेश पांडेय बताते हैं कि यदि आपको समस्याओं ने घेर रखा है तो होली के दिन गाय के गोबर में जौ, अरसी और कुश मिलाकर छोटा उपला बना कर सुखा लें। इसे घर के मेन गेट पर लटकाने से घर में रहने वाले सभी लोगों की समस्याएं दूर हो जाती हैं। साथ ही होली के दिन भगवान महादेव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं और जीवन का संपूर्ण सुख मिलता है।

राशि अनुसार खेलें रग

-मेष राशि - लाल रंगों से खेलें

-वृषभ राशि - बैंगनी और नारंगी रंगों से खेलें

-मिथुन राशि - हरे रंग से खेलें

-कर्क राशि - नीले रंग से खेलें

-सिंह राशि - नारंगी रंग से खेलें

-कन्या राशि - पीले रंगों से खेलें

-तुला राशि - नीले और केसरिया रंग से खेलें

-वृश्चिक राशि - किसी भी रंग से खेलें

-धनु राशि - पीले रंग से होली खेलें

-मकर राशि - लाल, बैंगनी और भूरा रंग से खेलें

-कुंभ राशि - गाढ़े रंगों से खेलें

-मीन राशि - हरे और गुलाबी रंग से खेलें