लखनऊ (ब्यूरो)। हिंदू धर्म में सावन माह का विशेष महत्व है। इस माह भक्त शिवालयों में जाकर भोलेनाथ की पूजा करते हैं। इस बार सावन का माह 14 जुलाई को शुरू होगा और 12 अगस्त को खत्म होगा। सावन को लेकर सभी शिव मंदिरों में तैयारियां अंतिम दौर में चल रही हैं।


इस बार चार सोमवार
इस वर्ष श्रावण माह गुरुवार को प्रारंभ हो रहा है। प्रतिपदा के दिन गुरुवार दिन, उत्तराषाढ़ा नक्षत्र है। ज्योतिषाचार्य पं राकेश पांडेय के मुताबिक श्रावण माह भगवान शिव का पवित्र माह है। इस माह में शिव आराधना और प्रसन्न करने के लिए श्रावण माष में रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है। इस बार श्रावण में चार सोमवार पड़ रहे हैं।


ऐसे करें शिव की पूजा
शिव पूजन में भगवान शिव को सर्वप्रथम जल धारा से स्नान कराकर पंचामृत स्नान, बृहदजलधारा स्नान कराकर भष्मादि लगाने के बाद भांग, विल्व पत्र, सफेद कनेर का पुष्प, सफेद मदार का पुष्प, धतूरा, शमी पत्र, तुलसी मंजरी विशेष रूप से चढ़ाकर पूजन करना चाहिए। पूजन के बाद ओम नम: शिवाय मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का जप यथा संभव करना चाहिए।


सर्व कार्य सिद्ध होते हैं
रुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिवलिंग पर गोदूध या गन्ने के रस से, सुख समृद्धि की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को गोदूध में चीनी व मेवे के घोल से, शत्रु विनाश के लिए सरसों के तेल से, पुत्र प्राप्ति को मक्खन या घी से, अभीष्ट की प्राप्ति को गोघृत से तथा भूमि भवन एवं वाहन की प्राप्ति को शहद से रुद्राभिषेक करना चाहिए।

मनकामेश्वर मंदिर
पॉलीथिन के खिलाफ जागरूक
डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्यागिरी के मुताबिक इस बार कोशिश की जा रही है कि मंदिर को पूरी तरह से पॉलीथिन फ्री रखा जाए। इसके लिए भक्तों को जागरूक किया जाएगा। सोमवार व प्रदोष को विशेष श्रृंगार और आरती होगी। भक्तों में व्रत वाला प्रसाद वितरित किया जाएगा। जलाभिषेक के लिए बाहर से ही व्यवस्था बनाई गई है। गर्भगृह में जाने की अनुमति नहीं होगी।

कोनेश्वर मंदिर
फूलों से होगा भव्य श्रृंगार
चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर के ज्वाइंट सेक्रेट्री राजीव मेहरोत्रा ने बताया कि सावन को लेकर मंदिर में सफाई अंतिम दौर में चल रही है। 32 ब्राह्मणों द्वारा शाम को विशेष पूजा होगी और रात के 9:30 बजे आरती का आयोजन होगा। उत्तम कपूर कार्यकारिणी सदस्य ने बताया कि महादेव का रोज फूलों से भव्य श्रृंगार किया जाएगा। हर सोमवार व प्रदोष को भक्तों में ठंडाई व खीर का प्रसाद वितरित किया जाएगा।

श्री महाकाल मंदिर
भस्म आरती का होगा आयोजन
राजेंद्र नगर स्थित श्री महाकाल मंदिर के व्यवस्थापक अतुल मिश्र के मुताबिक श्रावण मास के प्रत्येक सोमवार यानि 18 व जुलाई और 1 व 8 अगस्त को सुबह 4 बजे भस्म आरती का आयोजन होगा। अंतिम सोमवार को महाआरती का आयोजन होगा। साथ ही 10 अगस्त को भंडारा का आयोजन एवं रोजाना रात 12 बजे से सुबह 6 बजे तक रुद्राभिषेक का आयोजन होगा।

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर
12 परिवार करेंगे रूद्राभिषेक
सदर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में सावन को लेकर तैयारियां अतिम दौर में है। मंदिर समिति के प्रेसिडेंट राजेश चंद्र अग्रवाल ने बताया कि इसबार चारों सोमवार, दो प्रदोष व नागपंचमी पर मुख्य आयोजन होंगे। जिसमें हर दिन 12 परिवारों द्वारा रुद्राभिषेक किया जायेगा। इसके अलावा महादेव का भव्य श्रृंगार किया जायेगा। अगर कोई भक्त शाम का श्रृंगार करवाना चाहता है, तो उसकी भी व्यवस्था है।

ग्रहों के पीड़ा निवारण करें ये काम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नव ग्रहों के पीड़ा के निवारणार्थ निम्न द्रव्य विहित है। यदि जन्म कुंडली में सूर्य से संबंधित कष्ट या रोग हो तो श्वेतार्क के पत्तों को पीस कर गंगाजल में मिलाकर रुद्राभिषेक करें। चंद्रमा से संबंधित कष्ट या रोग हो तो काले तिल को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, मंगल से संबंधित कष्ट या रोग हो तो अमृता के रस को गंगाजल में मिलाकर, बुध जनित रोग या कष्ट हो तो विधारा के रस से, गुरु जन्य कष्ट या रोग हो तो हल्दी मिश्रित गोदूध से, शुक्र से संबंधित रोग एवं कष्ट हो तो गोदूध के छाछ से, शनि से संबंधित रोग या कष्ट होने पर शमी के पत्ते को पीस कर गंगाजल में मिलाकर, राहु जनित कष्ट व पीड़ा होने पर दूर्वा मिश्रित गंगा जल से, केतु जनित कष्ट या रोग होने पर कुश की जड़ को पीसकर गंगाजल में मिश्रित करके रुद्राभिषेक करने पर कष्टों का निवारण होता है। साथ ही समस्त ग्रह जनित रोग का समन होता है।