'दुआ' की जगह दर्द दे रहा एटीएम

- पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रहे शहर के एटीएम

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LUCKNOW:

नोट बंदी के फैसले के बाद से एटीएम के सामने लंबी लंबी लाइनें नजर आ रही हैं। कुछ एटीएम एक से डेढ़ घंटे में हांपने लग रहे हैं और कुछ चार से छह घंटे तक चल रहे हैं। आइये आपको बताते हैं कि जो एटीएम आपको बिना बैंक जाए पैसे उपलब्ध कराता है, उसकी वर्किंग कैसे होती है।

टेक्निकल फीचर

एटीएम फार्म ऑटोमेटेड टेलर मशीन कहते है। यह एक तरह का डाटा टर्मिनल होता है, जिसमें इनपुट और आउटपुट डिवाइस लगी होती है। यह होस्ट प्रोसेसर से जुड़ा होता है, जो बैंक और एटीएम के बीच ब्रिज का काम करता है। जो पूरी तरह से इंटरनेट पर बेस होता है। यूजर जैसे ही अपना कार्ड एटीएम में डालता है, बैंक के होस्ट प्रोसेसर से जुड़ जाता है। एटीएम कार्ड के मैगनेटिक स्ट्रिप में मौजूद जानकारी रीड कर वह बैंक को बताता है और फौरन बैंक पेमेंट के लिए एलाउ कर देता है। यह प्रक्रिया काफी तेज होती है, जिससे चंद मिनट में ही आपके हाथ में पैसे आ जाते हैं।

कौन भरता है एटीएम 'पेट'

एटीएम में पैसे भरने की जिम्मेदारी संबंधित ब्रांच की होती है। हर एटीएम अपनी नजदीकी बैंक ब्रांच से जुड़ा होता है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया लखनऊ में एसबीआई की मेन ब्रांच से विभिन्न बैंकों के एटीएम तक पैसा पहुंचाने का जिम्मा देता है। यहां से पूरे लखनऊ के एटीएम को लोड किया जाता है। हर एटीएम में कम से कम चार कैसेट लगे होते हैं, जिनमें नोट को सेट कर दिया जाता है और मशीन में उस करेंसी की कोडिंग कर दी जाती है।

10 से 15 लाख रुपए की क्षमता

एक एटीएम में आम तौर पर एक बार में 10 से 15 लाख रुपये लोड किये जाते हैं। लेकिन करेंसी क्राइसेस में इस वक्त सिर्फ 100 की करेंसी ही लोड की जा रही है। एटीएम में पैसे लोड करने वाले एक कस्टोडियन ने नाम न छापे जाने की शर्त पर बताया कि एक बार में 100 की कैसेट में 2 लाख 20 हजार रुपये तक कैश लोड किया जा रहा है। कुछ एटीएम में दो हजार रुपये की करेंसी भी लोड की जा रही है, जो निकल नहीं पा रही। वहीं कुछ एटीएम में सभी चार कैसेट में 100 की करेंसी लोड की जा री है।

कैसेट (कैश ट्रे)- 4

एक कैसेट में 100 की गड्डी -22

पैसे निकालने की लिमिट- 2500

एक ट्रांजेक्शन का समय- 3 से पांच मिनट