- होम आइसोलेशन ने बदल दी दुनिया, एक ही छत के नीचे होकर भी मिल नहीं सकते

- होम आइसोलेट हुए पेशेंट सख्ती से कर रहे सभी प्रोटोकॉल का पालन

LUCKNOW : एक ही छत के नीचे पूरा परिवार है लेकिन हम किसी के साथ खाना नहीं खा सकते हैं। जब बहुत मन करता है तो वीडियो कॉल करके परिजनों को देख लेते हैं। परिवार इस मुश्किल समय में हमारे साथ है, इससे हिम्मत बंधी रहती है। कुछ यही कहना है, उन कोरोना पॉजिटिव मरीजों का जो होम आइसोलेट हैं। इन मरीजों को विश्वास है कि जब परिजन उनके सामने हैं तो वे जल्द कोरोना को मात देकर ठीक हो जाएंगे। पेश है अनुज टंडन की रिपोर्ट

बच्चे को गले लगाने का करता है मन

टेस्ट कराया तो पता चला कि मुझे, वाइफ को और बच्चे को कोरोना हुआ है। मुझे स्वाद और सुगंध न आने की समस्या थी, जो दूर हो गई है। वहीं बाकी को कोई प्रॉब्लम नहीं थी। हम सभी होम आइसोलेट होकर अलग-अलग कमरों में रह रहे हैं। बच्चे को गले लगाने का मन करता है लेकिन वह अपनी मां के साथ दूसरे कमरे में है। वो मुझसे मिलने की जिद करता है तो वीडियो कॉल से उसे देखकर तसल्ली कर लेता हूं। मन में यही चलता रहता है कि जल्द ठीक होकर बच्चे को गले लगाऊं। भाई कमरे के बाहर खाना रखकर जब चला जाता है, तब मैं उसे कमरे में लाता हूं। खुद ही कपड़े धो रहा हूं और अपने बर्तन साफ कर रहा हूं। दिन में दो-तीन बार गरारा करता हूं और काढ़ा भी लेता हूं। सेनेटाइज करने के लिए एक आदमी आता है। हेल्थ डिपार्टमेंट के लोग फोन पर जानकारी लेते हैं। होम आइसोलेट हूं लेकिन मोबाइल से बिजनेस कर रहा हूं। होम आइसोलेशन अच्छी व्यवस्था है लेकिन इसके लिए सभी प्रोटोकॉल फॉलो करना जरूरी है।

धीरेंद्र प्रताप सिंह

एक कमरे में सिमट गई जिंदगी

कोरोना पॉजिटिव आने के बाद पूरा रूटीन बदल गया है। जैसे ही संक्रमित होने का पता चला, अपना जरूरी सामान लेकर अलग कमरे में चली गई। बच्ची भी संक्रमित हुई तो डॉक्टर्स ने कहा, वो तुम्हारे साथ रह सकती है। हम दोनों हमेशा ग्लब्स और मास्क पहने रहते हैं। पति भी संक्रमित हैं और वे दूसरे कमरे में हैं। बच्ची पापा से मिलने की जब जिद करती है तो वीडियो कॉल पर उसकी बात करा देती हूं। मैं उसे टीवी और मोबाइल गेम में बिजी रखती हूं, ताकि उसका ध्यान बंटा रहे। घर पर हैं तो किसी तरह की समस्या नहीं हो रही है। एक कमरे में ही मेरी जिंदगी सिमटकर रह गई है। उम्मीद है कि हम जल्द ठीक हो जाएंगे और फिर जिंदगी पहले जैसे रफ्तार भरने लगेगी।

खुद धो रहा हूं कपड़े

रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो हेल्थ डिपार्टमेंट से एंबुलेंस के लिए फोन आया। मैंने उनसे होम आइसोलेट करने की बात कही, जिस पर वे राजी हो गए। मुझे कोई लक्षण और समस्या नहीं थी, इसलिए डीएम कंट्रोल रूम से भी इसकी मंजूरी मिल गई। मैंने अपनी जरूरतों का सामान एक कमरे में रखा और टीवी की जगह मोबाइल और लैपटॉप अपने साथ ले लिया। पेरेंट्स रूम के बाहर खाना रखकर चले जाते हैं। अब कपड़े भी खुद धोने पड़ रहे हैं। घर पर जो सुविधाएं मिल रही हैं, वह अस्पताल में मिलना मुश्किल है। लैपटॉप पर ऑफिस का काम भी करता हूं। जब भी कोई प्रॉब्लम आती है तो तुरंत हेल्पलाइन पर फोन करके पूछ लेता हूं। फिलहाल विटामिन की दवाएं लेने के साथ ही गरारा कर रहा हूं और काढ़ा भी पीता हूं। मैं यही कहूंगा कि अगर कोई लक्षण नहीं है तो होम आइसोलेशन बहुत अच्छा ऑप्शन है, लेकिन इसके लिए गाइडलाइन का पालन करना जरूरी है।

गुरप्रीत सिंह

हंसी-मजाक भी हो गया लॉक

पिछले संडे को जैसे ही पता चला कि मुझे कोरोना हो गया है, मैं लैपटॉप, मोबाइल और जरूरी सामान लेकर अलग कमरे में आइसोलेट हो गया। हेल्थ डिपार्टमेंट ने भी इसकी मंजूरी दे दी, क्योंकि मुझमें कोई लक्षण नहीं था। अब मेरा पूरा रूटीन बदल गया है। एक ही छत के नीचे हैं लेकिन पेरेंट्स से चाहते हुए भी न तो मिल सकता हूं और ना ही उसके साथ हंसी-मजाक कर सकता हूं। पेरेंट्स उम्रदराज हैं। घर का सामान पहले मैं ही लाता था लेकिन अब कोई सामान लाने वाला भी घर पर नहीं है। ऑफिस का काम आसाम से चल रहा है। होम आइसोलेशन एक बेहतरीन विकल्प है। इसमें आप घर पर हायजीन भी मेंटेन कर सकते हैं, लेकिन यह सिर्फ उनके लिए है जो इस दौरान किसी तरह की लापरवाही न करें।

राहुल शर्मा

घरवालों के साथ तो हूं

कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आते ही लैपटॉप, मोबाइल और जरूरी सामान लेकर ऊपर के कमरे में शिफ्ट हो गया। हेल्थ डिपार्टमेंट ने फोन कर होम आइसोलेट रहने की बात पूछी तो मैं इसके लिए राजी हो गया। अब तो एक कमरे में ही मेरे रूटीन और ऑफिस के काम हो रहे हैं। पेरेंट्स रूम से कुछ दूरी पर खाना रखकर चले जाते हैं। मैं खाना कमरे में लाकर खाने के बाद बर्तन धूप में रख देता हूं, जिसे मां कुछ घंटे बाद ले जाती हैं। होम आइसोलेशन में पेरेंट्स का कम से कम यह संतोष तो है कि मैं उनके पास हूं। दिन में कई-कई बार उनसे फोन पर बात होती है। मेरा निजी अनुभव यही कह रहा है कि बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए होम आइसोलेशन बेस्ट है। घर पर जो सुविधाएं मिल रही हैं, वे किसी भी अस्पताल में नहीं मिलेंगी। होम आइसोलेशन के दौरान नियमों का पालन जरूरी है, क्योंकि यह आपके साथ आपके परिवार के लिए भी जरूरी है।

अरीब खान