लखनऊ (ब्यूरो)। नगर निगम की ओर से बड़े नालों की सफाई तो शुरू कर दी गई है लेकिन अभी तक गली मोहल्लों में बनी नालियों की तरफ ध्यान नहीं दिया गया है। जिसकी वजह से तेज बारिश होने पर गली मोहल्लों में जलभराव की समस्या सामने आ सकती है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़े नालों के साथ साथ नालियों की सफाई पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए।

नालियों का सटीक रिकॉर्ड नहीं

नगर निगम के आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो राजधानी में 1444 नाले हैैं। इनमें बड़े नालों की संख्या 80 से अधिक है, जबकि मझोले नालों की संख्या 400 से अधिक और छोटे नालों की संख्या 900 से अधिक है। वहीं नालियों की संख्या दस हजार से अधिक है। वर्तमान समय में बड़े और मझोले नालों की सफाई तो शुरू हो गई है लेकिन अभी तक नालियों की सफाई के लिए कोई भी एक्शन प्लान नहीं बना है।

नालों की संख्या

1444 कुल नाले राजधानी में

83 बड़े नाले

414 मझोले नाले

947 छोटे नाले

10 हजार करीब नालियां

कोई अलग से बजट नहीं

नगर निगम की ओर से इस वित्तीय वर्ष के लिए नाला सफाई के लिए करीब छह करोड़ का बजट रखा गया है लेकिन अगर नालियों की सफाई की बात की जाए तो इसके लिए कोई अलग से बजट की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे खुद साफ है कि नालियों की सफाई न होने की वजह से कई इलाकों में जलभराव की समस्या सामने आ सकती है।

कई जगह नालियां ही गायब

आवासीय एरिया में जलभराव का एक और भी प्रमुख कारण है। दरअसल, कई गलियों में लोगों ने नालियों के ऊपर ही निर्माण करा लिए हैैं, जिससे नालियों का स्वरूप ही समाप्त हो गया है। जब नालियां ही नहीं होंगी तो साफ है कि गली में जलनिकासी कैसे होगी। नगर निगम की ओर से कई बार भवन स्वामियों से अपील की जाती है कि नालियों के ऊपर पक्के रैैंप या अन्य किसी तरह का निर्माण न कराएं। इसके बावजूद भवन स्वामी नियमों को ताक पर रखकर रैैंप बनवा लेते हैैं, जिसकी वजह से नालियों की सफाई नहीं हो पाती है। परिणामस्वरूप बारिश होने पर रोड पर पानी भर जाता है। वहीं जो भवन स्वामी अस्थाई रैैंप का निर्माण करवाते हैैं, उनके यहां नालियों की प्रॉपर सफाई हो जाती है। जिसकी वजह से वहां पर जलनिकासी की समस्या सामने नहीं आती है।

कोई देखने वाला नहीं

बड़े नालों की सफाई को लेकर मॉनीटरिंग टीम बनी हुई है और समय-समय पर सफाई संबंधित रिपोर्ट भी तैयार कराई जाती है लेकिन जब बात छोटी नालियों की आती है तो इस तरफ रिपोर्ट बनना तो दूर की बात है, कोई देखने तक नहीं जाता है। कई बार तो पब्लिक की ओर से खुद ही नालियों में मलबा या वेस्ट डाल दिया जाता है, जिसकी वजह से नालियां चोक हो जाती हैैं।

ये कदम उठाने होंगे

1-छोटी नालियों की सफाई कराई जाए

2-नालियां बंद करने वालों पर एक्शन

3-नई नालियों के निर्माण पर फोकस

4-नालियों को मैनहोल से कनेक्ट किया जाना

5-गली-मोहल्लों में जलनिकासी के इंतजाम

6-पब्लिक भी जागरूक हो

हर बार बनता है प्लान

निगम प्रशासन की ओर से जलनिकासी को लेकर हर बार प्लान बनाया जाता है लेकिन यह प्लान कभी ग्राउंड लेवल पर इंप्लीमेंट नहीं हो पाता है। इसकी वजह से गली-मोहल्लों में समस्या सामने आती है। सबसे ज्यादा समस्या गोमतीनगर, इंदिरानगर, फैजुल्लागंज, फैजाबाद रोड इत्यादि में देखने को मिलती है। ऐसा नहीं है कि यहां पर नालियां नहीं हैं लेकिन ज्यादातर नालियां गंदगी या निर्माण की वजह से बंद हो गई हैैं। निगम प्रशासन को तत्काल इस तरफ ध्यान देना चाहिए और गली मोहल्लों में भी अभियान चलाकर ऐसे लोगों पर कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने नालियों को कवर करते हुए निर्माण करा लिए हैैं।

बोले लोग

सबसे पहले तो छोटी नालियों की सफाई की तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए। गली-मोहल्लों में ज्यादातर ऐसी नालियां हैैं, जिनकी सफाई नहीं होती है। जिससे जलभराव होता है।

डीके सिन्हा

सरोजनी नगर सेकंड वार्ड आश्रम रोड पर दोनों तरफ नाले-नालियों पर कचरा देखा जा सकता है। बारिश होने पर मानस नगर, शक्तिपुरम कॉलोनी व आसपास के एरिया में जलभराव की समस्या सामने आएगी। इस तरफ ध्यान देना होगा।

प्रीतम सिंह

इंदिरानगर मीना मार्केट ए ब्लॉक की बात करें तो यहां भी लंबे समय से नाले-नालियों की सफाई नहीं हुई है। इसकी वजह से यहां पर भी जलभराव की समस्या सामने आती है। निगम को तत्काल सफाई करानी होगी।

अमित श्रीवास्तव

बड़े नालों के साथ साथ छोटी नालियों की सफाई की तरफ भी ध्यान दिए जाने की जरूरत है। अभी तो स्थिति बेहद चिंताजनक है। ऐसे में निगम प्रशासन को तत्काल वृहद स्तर पर नाला और नालियों की सफाई कराई जानी चाहिए।

ममता त्रिपाठी