लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां एलडीए की ओर से अवैध निर्माणों को सील करने संबंधी कार्रवाई की जाती है, वहीं दूसरी तरफ सील बिल्डिंग्स में निर्माण का खेल चलता रहता है। जानकारी मिलने के बाद एलडीए की ओर से फिर से निर्माणकर्ता के खिलाफ एक्शन लिया जाता है। अब एलडीए वीसी की ओर से सील बिल्डिंग्स की स्टेटस रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए गए हैैं, जिससे यह साफ हो जाएगा कि इन बिल्डिंग्स में किसी तरह का निर्माण तो नहीं हो रहा है।

मामले आते हैैं सामने

हाल में ही कानपुर रोड योजना में एक व्यावसायिक निर्माण को सील किया गया था। इस मामले की एलडीए कोर्ट में भी सुनवाई चल रही है, वहीं दूसरी तरफ सील बिल्डिंग में निर्माण भी चलता हुआ मिला, जिसके बाद एलडीए की ओर से नए सिरे से बिल्डिंग के खिलाफ सीलिंग की कार्रवाई की गई है। इसी तरह पहले भी आशियाना, सुशांत गोल्फ सिटी इत्यादि एरिया में सील बिल्डिंग्स के खिलाफ दोबारा से कार्रवाई की गई है।

कोई मॉनीटरिंग सिस्टम नहीं

एलडीए की ओर से बिल्डिंग को सील कर पुलिस अभिरक्षा में सौंप दिया जाता है। इसके बाद एलडीए की ओर से दोबारा सील बिल्डिंग को लेकर कोई कदम नहीं उठाया जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि जोन के इंजीनियरों को भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं मिल पाती है या ये कहें कि उनकी ओर से कोई ठोस एक्शन नहीं लिया जाता है। जिसका सीधा फायदा निर्माणकर्ताओं की ओर से उठाया जाता है और सील बिल्डिंग्स में निर्माण कार्य चालू करा दिया जाता है।

अब तैयार होगी स्टेटस रिपोर्ट

लगातार सामने आ रहे मामलों के बाद अब एलडीए वीसी डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी ने सील बिल्डिंग्स की स्टेटस रिपोर्ट बनाने के निर्देश दिए हैैं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैैं कि हर सप्ताह सील बिल्डिंग की रिपोर्ट दी जाए। अगर सील बिल्डिंग में निर्माण होता मिले तो तत्काल एक्शन लिया जाए। इसके साथ ही उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैैं कि अवैध निर्माणों पर भी शिकंजा कसने के लिए नियमित रूप से अभियान चलाया जाए और अवैध निर्माणों को तत्काल सील किया जाए।

हर गुरुवार को लगेगा समाधान दिवस

अब नक्शे के लिए लोगों को प्राधिकरण के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। शासन के निर्देश पर अब सभी प्राधिकरण में प्रत्येक सप्ताह को गुरुवार को समाधान दिवस का आयोजन किया जाएगा। जिसमें सिर्फ नक्शे से रिलेटेड प्रकरण सुने जाएंगे और उनका निस्तारण किया जाएगा। इस व्यवस्था का सीधा फायदा उन लोगों को मिलेगा, जिन्हें नक्शे से रिलेटेड मामले को सॉल्व आउट करने के लिए प्राधिकरण के चक्कर काटने पड़ते हैैं।