लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में इस समय डेंगू के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, जिसकी वजह से मरीजों को अस्पताल में भी भर्ती कराना पड़ रहा है। डेंगू की वजह से मरीज की बॉडी में प्लेटलेट्स का लेवल भी कम होने लगता है। जिसकी वजह से उसमें प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन करना पड़ता है। डॉक्टर्स की माने तो अगर प्लेटलेट्स लेवल 40 हजार भी हो जाये तो ज्यादा घबराने और ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं है। केवल इंटरनल ब्लीडिंग या लेवल 10-20 हजार होने पर प्लेटलेट ट्रांसफ्यूजन कराना चाहिए। लोगों को घबराना नहीं चाहिए और ट्रांसफ्यूजन के लिए जोर नहीं दिया जाना चाहिए।

इन बातों का रखें ध्यान

केजीएमयू के हेमेटोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। एके त्रिपाठी के अनुसार, तेज बुखार आने पर पैरासीटामॉल लें और पट्टी करें ताकि बुखार उतरे। बॉडी में पानी की कमी न होने देें, क्योंकि डेंगू में देखा गया है कि प्लेटलेट्स 4-7 दिन में कम होती हैं। अगर जांच में प्लेटलेट्स 20 हजार तक भी हों तो इन्हें चढ़ाने की जरूरत नहीं पड़ती है। पर अगर दांत से ब्लीडिंग या खाल में दानों से ब्लीडिंग होने लगे तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ती है। यानि लेवल 20 हजार के नीचे हो तो ही जरूरत होती है।

एलर्जी का रहता है खतरा

मरीज को एसडीपी चढ़ाना ज्यादा बेहतर होता है, यह क्योंकि सेम ब्लड ग्रुप से निकाला हुआ होता है। इससेे प्लेटलेट्स लेवल 30-40 हजार तक बढ़ जाता है। एलर्जी की संभावना कम होने के साथ शरीर में 2-3 दिनों तक टिका रहता है, जबकि इस लेवल को बढ़ाने के लिए आरडीपी की 6 यूनिट देनी पड़ती हैं। इसके अलावा एलर्जी की भी संभावना होती है, जिससे प्लेटलेट्स नष्ट हो सकते हैं और एलर्जी की वजह से बुखार भी बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर किसी की रिपोर्ट में हीमोग्लोबिन बढ़ा हुआ आता है तो बॉडी में सूजन, ब्लड में गाढ़ापन या उल्टी होने लगती है। इसमें बीपी भी डाउन होता है। हालांकि, यह बेहद कम लोगों में ही होता है। एक्सपर्ट की सलाह जरूर लेनी चाहिए।

मैन्युअल जांच भी करें

प्रो। त्रिपाठी के अनुसार, कई बार जांच में भी गड़बड़ी होती है, क्योंकि मशीन से जांच होने की वजह से वह प्लेटलेट्स को साइज के आधार पर पहचानती है। ऐसे में मैन्युअल यानि स्लाइड जांच भी करनी चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि जांच के लिए ब्लड सैंपल लिया जाए तो उसकी जांच में देर न हो, क्योंकि ऐसा होने पर प्लेटलेट्स के गुच्छे बन जातें हैं और मशीन उनको पकड़ नहीं पाती है।

लेवल 40 हजार से कम तो चिंता

डॉ। डी हिमांशु के अनुसार, बॉडी में प्लेटलेट्स का लेवल अलग-अलग होता है। जो अमूमन 1.50 लाख से 4.5 लाख के बीच देखने को मिलता है। पर कई बार प्लेटलेट्स का लेवल 1 लाख से नीचे भी हो सकता है। हालांकि, यह कोई गंभीर बात नहीं है। वहीं, अगर लेवल 40 हजार के नीचे हो तो चिंता की बात है और 10 हजार या इससे नीचे हो तो ही ट्रांसफ्यूजन करते हैं। हालांकि, अगर अच्छे प्लेटलेट्स सही से फंक्शन कर रहे होते हैं तो ट्रांसफ्यूजन की भी जरूरत नहीं पड़ती है। पर इसके लिए टेस्ट होता जो महंगा होता है और यह हर किसी के लिए नहीं होता है।

राजधानी में आ चुके हैं डेंगू के 440 मामले

राजधानी में शुक्रवार को 37 लोगों में डेंगू संक्रमण की पुष्टि हुई है। वहीं पिछले वर्ष जहां 21 जनवरी से 21 दिसंबर तक कुल 1978 डेंगू के मरीज मिले थे। हालांकि किसी की मौत नहीं हुई थी, वहीं इस साल जनवरी से अब तक 440 डेंगू के मरीज मिल चुके हैं।

पॉश इलाके में मिले रहे मरीज

इस बार भी बीते साल की तरह डेंगू के अधिक मरीज पॉश एरिया में ही मिल रहे हैं। शुक्रवार को अलीगंज में 11, आलमबाग में 7, इंदिरानगर में 6, टूडियागंज में 4, एनके रोड में 3, सिल्वर जुबली मे 2 और काकोरी में 1 डेंगू का मरीज मिला है। शुक्रवार को टीमों द्वारा करीब 1620 घरों एवं आसपास मच्छरजनित स्थितियों का सर्वेक्षण किया गया और 16 घरों में मच्छरजनित स्थितियां पाए जाने पर नोटिस जारी किया गया।

एंटी लार्वा का छिड़काव

स्वास्थ्य विभाग की टीमों द्वारा कलेक्ट्रेट, बलरामपुर अस्पताल, लोकबंधु अस्पताल, टीबी अस्पताल, रानी लक्ष्मी बाई अस्पताल, वीरांगना अवंती बाई अस्पताल, सिविल अस्पताल, वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल, राम सागर मिश्र 100 शैय्या अस्पताल में एंटी लार्वा रसायन का छिड़काव कराया गया। सीएमओ के निर्देशानुसार नगर मलेरिया इकाई एवं जिला मलेरिया अधिकारी की टीम द्वारा अलीगंज, आलमबाग, इंदिरानगर, काकोरी, हजरतगंज, चौक, टूडियागंज के विभिन्न वार्डों का भ्रमण कर डेंगू से बचाव के प्रति जागरूक किया गया।