लखनऊ (ब्यूरो)। नवरात्र के चौथे दिन पूर्वी देवी मंदिर में मां काकूष्मांडा स्वरूप में श्रंगार किया गया और कुमड़ा का भोग लगाया गया। 51 शक्तिपीठ में मां का हरे वस्त्रों एवं फूलों से श्रृंगार किया गया और पिंडी पूजन का आयोजन हुआ। वहीं बड़ी कालीजी मंदिर में मां का मखाने से श्रृंगार किया गया। यहां कोविड प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराए जाने के कारण भक्तों ने दूर से ही माता रानी के दर्शन किए।

गरुण पर सवार हुईं मां

शास्त्रीनगर स्थित दुर्गा मंदिर में मां का भवन खिलौने और बिस्कुट आदि से सजाया गया। जिसे बाद में बच्चों में प्रसाद के रूप में वितरित कर दिया गया। वहीं, चौपटिया स्थित संदोहन देवी मंदिर में मां ने गरुण पर सवार होकर भक्तों को रविवार के दिन दर्शन दिए। इस दौरान भक्तों की भीड़ बनी रही। यहां भी कोविड प्रोटोकॉल का पालन कराते हुए भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया गया।

पंचमी व षष्ठी पूजन आज

सोमवार को पंचमी और षष्ठी दोनों एक ही दिन पड़ रही हैं। ऐसे में मां के पांचवें स्वरूप स्कंदमाता और छठे स्वरूप कात्यायनी देवी की पूजा की जाएगी। मां की आराधना के लिए ध्यान करके उनका षोडशोपचार व पंचोपचार पूजन कर, सफेद कमल पुष्प अर्पित करें। मां के मंत्र का 108 बार जाप करने के बाद भोग व आरती करें। मां की आराधना करने से कन्याओं को मनचाहे वर और विवाहिता स्त्रियों को सौभाग्य व सुख की की प्राप्ति होती है। संतान सुख की इच्छा रखने वाले भक्तों को चाहिए कि मां को वस्त्र में सुहाग चिन्ह, सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिंदी, सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए। वहीं, मां के कात्यायनी स्वरूप के पूजन से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ती होती है। जिन कन्याओं के विवाह में बाधा आ रही हो उनहें मां की पूजा करनी चाहिए।

पंडालों में आज से होगा पूजन

सोमवार से ही राजधानी के दुर्गा पंडालों में मां भक्तों के कष्ट हरने के लिए विराजमान हो जाएंगी। इसकी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। बंगाली क्लब, ट्रांसगोमती दशहरा और दुर्गा पूजा कमेटी, शशिभूषण, विद्यांत कॉलेज, रामकृष्ण मठ, रवींद्रपल्ली, आशियाना सेक्टर-के, मॉडल हाउस, संजय गांधी पुरम, पत्रकारपुरम और आनंद नगर दुर्गा कमेटी संग सभी कमेटियों की ओर से विधि-विधान के साथ मां की प्रतिमा की स्थापना की जाएगी। इस बार भी कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए कहीं कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जाएगा। पंडालों में भी भक्तों की संख्या सीमित रखी जाएगी।