लखनऊ (ब्यूरो)। एक तरफ जहां एलडीए के 150 सुलभ आवासों में लोगों की ओर से अवैध कब्जा कर लिया गया था, तो वहीं अब दो हजार से अधिक ऐसे फ्लैट्स सामने आए हैैं, जिन्हें लोग 'दबाए' बैठे थे। इसका मतलब यह है कि उन्होंने फ्लैट तो बुक करा लिया था लेकिन रजिस्ट्री और शेष धनराशि जमा करने संबंधी कार्रवाई करने से बच रहे थे। ऑडिट में यह जानकारी सामने आने के बाद एलडीए प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए सभी फ्लैट्स खाली करा लिए हैैं और अब इनको 'पहले आओ पहले पाओ' बेसिस पर आवंटित किए जाने की तैयारी चल रही है।

ऑडिट में हकीकत आई सामने

वीसी के निर्देश पर प्राधिकरण की सभी योजनाओं में रिक्त फ्लैट्स संबंधी ऑडिट कराया गया था। यह ऑडिट कानपुर रोड योजना, टीपी नगर योजना, गोमती नगर विस्तार, कुर्सी रोड योजना इत्यादि योजनाओं में कराया गया था। इस ऑडिट के माध्यम से यह पता कराया जाना था कि वर्तमान में भरे हुए फ्लैट्स कितने हैैं और कितने रिक्त हैैं। इसके साथ ही यह भी देखना था कि कितने ऐसे फ्लैट्स हैैं, जिनकी बुकिंग तो हुई लेकिन बुक कराने वाले व्यक्ति की ओर से रजिस्ट्री इत्यादि की कार्रवाई नहीं की गई। अब यह रिपोर्ट कंपलीट हो चुकी है और इससे साफ हुआ है कि अलग-अलग योजना मिलाकर करीब 2300 फ्लैट्स ऐसे सामने आए हैैं, जिनकी बुकिंग तो हुई लेकिन रजिस्ट्री इत्यादि की कार्रवाई नहीं हुई।

एक-एक को किया गया फोन

एलडीए प्रशासन की ओर से लिस्ट बनाए जाने के बाद फ्लैट बुक कराने वाले एक-एक व्यक्ति को फोन किया गया और उन्हें रजिस्ट्री व अन्य प्रक्रिया पूरी करने को कहा गया। एलडीए ने उन्हें अतिरिक्त समय भी देने को कहा लेकिन ज्यादातर ने मना कर दिया। जिसके बाद एलडीए की ओर से उक्त सभी फ्लैट्स की बुकिंग कैंसिल कर उन्हें 'पहले आओ पहले पाओ' प्रक्रिया में शामिल कर दिया गया है। अब कोई भी व्यक्ति इस प्रक्रिया के अंतर्गत एलडीए से सीधे उक्त फ्लैट बुक करा सकता है।

ये कारण आया सामने

प्राधिकरण की ओर से वो कारण भी अलग से लिखे गए हैैं, जिनकी वजह से लोग फ्लैट दबाए बैठे थे। ये कारण कुछ इस प्रकार है

1-संपत्ति की कीमत बढऩे का इंतजार

2-दूसरे खरीदार की तलाश

3-बैैंक से लोन न हो पाना

4-लोन होने पर धनराशि का कहीं और खर्च करना

विभाग भी कम जिम्मेदार नहीं

भले ही अब प्राधिकरण ने अपने फ्लैट्स को मुक्त करा लिया हो लेकिन एक सवाल यह भी है कि प्राधिकरण के अधिकारियों की ओर से पहले ही यह कार्रवाई की जानी चाहिए थी। अगर कोई व्यक्ति दो साल या उससे अधिक वक्त से संपत्ति होल्ड किए हो, तो उस पर एक्शन लिया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नए वीसी की पहल से यह तस्वीर साफ हुई है और फ्लैट्स वेकेंट हुए।

सुलभ आवासों की भी जांच

वीसी की ओर से सभी सुलभ आवासों की भी जांच कराए जाने की तैयारी की जा रही है। जानकीपुरम विस्तार में अवैध कब्जे सामने आने के बाद अब अन्य सुलभ आवासों में भी जांच की जाएगी कि उनमें तो अवैध कब्जे नहीं है।

हमने लगभग सभी योजनाओं में फ्लैट्स को लेकर ऑडिट कराया था। जिसमें करीब 2300 फ्लैट्स ऐसे सामने आए हैैं, जिनकी बुकिंग तो हुई लेकिन रजिस्ट्री व अन्य प्रक्रिया पूरी नहीं की गई। इन फ्लैट्स को वेकेंट करा लिया गया है और 'पहले आओ पहले पाओ' के तहत इनका आवंटन किया जा रहा है।

-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए