- हरदोई रोड की बसंत कुंज योजना में 44 भूखंडों का मामला

LUCKNOW: एलडीए की ओर से अपने लापता भूखंडों को सामने लाने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसकी शुरुआत हरदोई रोड स्थित बसंत कुंज योजना से की जा रही है। यहां के आवंटियों की रजिस्ट्री भले ही शुरू कर दी गई हो, लेकिन 44 भूखंड अब भी ऐसे हैं, जो लापता हैं। इसका ब्योरा एलडीए के पास कागजों में है, लेकिन मौके पर यह भूखंड नहीं मिल रहे हैं। करीब 15 करोड़ के भूखंडों की खोजबीन के लिए डिवीजन के अभियंताओं से मदद ली जाएगी। हालांकि इससे पहले एलडीए ऐसे आवंटियों को संतुष्ट करना चाहता है, जिनका आवंटन तो हुआ है लेकिन कब्जा व अन्य कारण से रजिस्ट्री नहीं हो सकी है।

विकास कार्य जोरों पर

एलडीए वीसी अभिषेक प्रकाश के आदेश पर बसंत कुंज योजना में विकास कार्य तेजी से शुरू कर दिए गए हैं। वर्तमान में यहां प्रधानमंत्री आवास योजना से जुड़ा काम भी अभियंताओं की टीम करवा रही है। दूसरी तरफ 4500 और पीएम आवास बनाने की तैयारी चल रही है जो अक्टूबर 2021 से शुरू करने की तैयारी है। एलडीए सचिव पवन कुमार गंगवार ने बताया कि बसंत कुंज योजना के सेक्टर डी में जो भूखंड किसी कारणवश आवंटियों को अभी नहीं मिले हैं, उनका निस्तारण भी जल्द कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि आने वाले चंद सप्ताह में बसंत कुंज का कोई आवंटी यह नहीं कह सकेगा कि आवंटन के बाद उसका प्लाट उसे नहीं मिला।

कॉमर्शियल संपत्तियों को बेचा जाएगा

एलडीए की ओर से हरदोई रोड स्थित बसंत कुंज योजना में दो हजार करोड़ से अधिक कॉमर्शियल संपत्तियों को भी बेचने की तैयारी की जा रही है। 13 जुलाई को होने वाली नीलामी के बाद बसंत कुंज योजना के कॉमर्शियल भूखंड नीलामी में लगाए जा सकते हैं। यहां पेट्रोल पंप, सामुदायिक केंद्र, मार्केट, चबूतरे जैसे सैकड़ों भूखंड अभी बिकने बाकी हैं। इनकी भी ई-नीलामी कराई जाएगी।

अन्य योजनाओं में भी कदम

एलडीए की ओर से अपनी अन्य योजनाओं में भी लापता भूखंडों की तलाश कराई जाएगी। इस कदम को उठाने का उद्देश्य यही है कि अगर किसी ने फर्जीवाड़ा कर प्राधिकरण की संपत्ति को बेच दिया है तो उसे सामने लाया जा सके। इसकी जिम्मेदारी योजना के अभियंताओं को दी जा रही है।

मूल आवंटियों से कांटेक्ट

एलडीए की ओर से ऐसे आवंटियों से भी कांटेक्ट किया जा रहा है, जिन्होंने प्राधिकरण की संपत्ति तो खरीदी, लेकिन उनका अभी तक एलॉटमेंट नहीं हो सका है। इसकी वजह से उन्हें खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एलडीए प्रशासन की ओर से मूल आवंटियों को उनका हक दिलाए जाने की भी तैयारी की जा रही है।