लखनऊ (ब्यूरो)। एलडीए प्रशासन के लिए चार हजार आवंटी सिरदर्द बने हुए हैैं। बार-बार नोटिस दिए जाने के बाद भी वे संपत्ति आवंटन की बकाया राशि जमा करने से बच रहे हैैं। आलम यह है कि ये सभी आवंटी करीब 800 करोड़ रुपये दबाए बैठे हैैं। इस राशि को निकालने के लिए अब एलडीए की ओर से शासन को ओटीएस (वन टाइम सेटलमेंट स्कीम) के लिए पत्र लिखा गया है ताकि आवंटियों को ब्याज की राशि में राहत मिले और वे बकाया धनराशि जमा कर सकें।

10 प्रतिशत ही जमा किया

करीब 800 आवंटी ऐसे हैैं जिन्होंने प्लॉट, मकान या फ्लैट लिया है और अभी तक सिर्फ 10 से 15 प्रतिशत धनराशि ही जमा कराई है। लंबा वक्त गुजरने के कारण एलडीए की ओर से इन आवंटियों को नोटिस भी जारी किया गया है और शेष धनराशि को ब्याज सहित जमा करने को कहा गया। इसके बावजूद इन आवंटियों पर कोई फर्क नहीं पड़ा।

3200 आवंटी भी बढ़ा रहे दर्द

कॉमर्शियल प्लॉट या दुकान खरीदने वाले आवंटियों की बात की जाए तो इनकी संख्या 3200 के आसपास है। इन आवंटियों की ओर से भी पूरी धनराशि जमा नहीं कराई गई है। ज्यादातर आवंटियों ने 40 से 45 प्रतिशत ही धनराशि जमा कराई है, जिसकी वजह से ये भी एलडीए के बकाएदारों की लिस्ट में शामिल हैैं। इन्हें भी कई बार नोटिस दिया गया है, लेकिन अभी तक आवंटियों की ओर से बकाया धनराशि ब्याज सहित जमा करने की दिशा में कोई रुचि नहीं दिखाई जा रही है।

एलडीए ने लिखा पत्र

अब एलडीए की ओर से शासन को पत्र लिखा गया है, जिसके माध्यम से ओटीएस स्कीम की मांग की गई है। एलडीए प्रशासन का मानना है कि अगर ओटीएस आ जाती है तो आवंटियों को ब्याज की राशि में खासी राहत मिलेगी। जिसके बाद आवंटी अपनी बकाया धनराशि आसानी से जमा करा सकेंगे। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं है कि कब तक ओटीएस आएगी क्योंकि इसको लेकर शासन की ओर से निर्णय लिया जाना है। अगर ओटीएस आ जाती है तो निश्चित रूप से बकाएदार आवंटियों को खासी राहत मिल सकती है।

तेजी से बढ़ता है ब्याज

अगर आपने कोई संपत्ति 10 साल पहले खरीदी और उसकी कीमत 25 हजार के आसपास थी तो अब चक्रवृद्धि ब्याज इत्यादि मिलाकर कुल बकाया राशि 5 लाख से अधिक हो गई होगी। इससे समझा जा सकता है कि जिन आवंटियों ने अभी तक बकाया धनराशि जमा नहीं की है, उन पर ब्याज की राशि कितनी अधिक हो गई होगी।

ओटीएस के बाद एक्शन

एलडीए प्रशासन की ओर से यह भी निर्णय लिया गया है कि अगर ओटीएस आने के बाद भी आवंटियों की ओर से बकाया धनराशि जमा नहीं की जाती है तो संपत्तियों के कैंसिलेशन की प्रक्रिया को शुरू किया जाएगा। हालांकि, पूरा प्रयास यही है कि आवंटी बकाये की राशि जल्द से जल्द जमा करा दें, जिससे उन्हें कड़ी कार्रवाई का सामना न करना पड़े।

ओटीएस के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। अगर ओटीएस आ जाती है तो निश्चित रूप से बकाएदार आवंटियों को ब्याज की बकाया राशि में खासी राहत मिल सकती है।

-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए