लखनऊ (ब्यूरो)। इंफेक्शन के मरीजों को इम्युनोग्लोबुलिन इंजेक्शन लगती है, जिससे एंटीबॉडी बन जाती है। पर इसका इंजेक्शन लाखों में आता है। ऐसे में उसे हर कोई अफोर्ड नहीं कर सकता। थेराप्यूटिक प्लाज्मा एक्सचेंज की मदद से गंभीर मरीजों की जान बचाने में सफलता पाई जा सकती है, जोबेहद सस्ता ट्रीटमेंट है। केजीएमयू में यह ट्रीटमेंट किया जा रहा है। बीते 5-6 माह में करीब 150 से अधिक मरीजों को यह ट्रीटमेंट दिया जा चुका है, जिसमें सफलतादर 70 परसेंट से अधिक तक देखने को मिली है।

इन मरीजों के लिए लाभदायक

केजीएमयू के ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग की एचओडी प्रो। तुलिका चंद्रा ने बताया कि इसमें एफेरेसिस मशीन से मरीज का संक्रमित प्लाज्मा निकाल लिया जाता है और दूसरी तरह उसमें फ्रेश और हेल्दी प्लाज्मा चढ़ाया जाता है, जिससे उनको इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। यह ट्रीटमेंट वैसे तो कई वर्षों से दिया जा रहा है, लेकिन बीते 5-6 माह में इसमें तेजी आई है। यह हर तरह के मरीजों को दिया जा सकता है, लेकिन जीबी सिंड्रोम, हैवी मेटल प्वाइजनिंग और सेप्सिस के मरीजों में सबसे ज्यादा फायदेमंद है। महिलाओं में डिलीवरी के बाद पीपीएच से सेप्सिस हो जाता है। ऐसे में यह उनके लिए मददगार है। उनके इंफेक्शन हट जाते हैं, जिसकी वजह से कई लोगों की जान बचाई जा सकी है।

औसतन 6-7 साइकिल की जरूरत

इस ट्रीटमेंट के लिए मरीज को कई साइकिल की जरूरत पड़ती है। एक साइकिल के बाद थोड़ा इंप्रूवमेंट देखने को मिलता है, जिसके बाद कई लेवल जैसे क्रिएटिनिन आदि देखा जाता है। इसके दो-तीन दिन के बाद दोबारा करते है। औसतन एक मरीज में 6-7 साइकिल चलती हैं। उससे ज्यादा अभी तक की गई नहीं है। अमूमन तीन-चार साइकिल में ही मरीज में काफी इंप्रूवमेंट देखा जाता है और वे पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं।

बेहद कम होता है खर्च

इस ट्रीटमेंट का सबसे बड़ा प्लस प्वाइंट यह है कि यह निजी अस्पतालों के मुकाबले सरकारी मेडिकल संस्थान में बेहद सस्ता होता है। निजी में जहां 1 लाख से ऊपर तक का खर्च आता है, वहीं केजीएमयू में महज 8-10 तक का ही खर्च आता है। प्लाज्मा इसमें फ्री में ही दिया जाता है। पर मरीज के परिजनों से प्लाज्मा लिया भी जाता है, ताकि अन्य मरीजों को भी यह दिया जा सके।

थेराप्यूटिक प्लाज्मा एक्सचेंज से गंभीर मरीजों की जान बचाने में काफी मदद मिलती है। इसका खर्च निजी के मुकाबले केजीएमयू में बेहद कम है।

-प्रो। तुलिका चंद्रा, केजीएमयू