देहरादून (ब्यूरो) दून हॉस्पिटल से मिली इन्फॉर्मेशन के डॉग बाइट्स के मामलों में किड्स ज्यादा हैैं। अक्सर घर में बच्चे पेट डॉग्स के साथ खेलते हैैं और कई बार खेल-खेल में डॉग्स उन्हें काट लेते हैैं। स्ट्रीट डॉग्स के द्वारा काटे जाने के ज्यादा मामले सामने आ रहे हैैं। ऐसे में लोग रोजाना हॉस्पिटल्स में रेबीज के इंजेक्शन लगवाने पहुंच रहे हैैं। दून हॉस्पिटल में ऐसे लोगों की संख्या रोजाना 120 से 140 तक है। दून में दर्जनों प्राइवेट हॉस्पिटल्स हैैं, इसके अलावा सरकारी हॉस्पिटल्स की संख्या भी करीब एक दर्जन होगी। इन सभी में रेबीज के इंजेक्शन लगाए जाते हैैं, आप अंदाजा लगा सकते हैैं जब दून हॉस्पिटल का आंकड़ा ही इतना बड़ा है, तो दून में आवारा आतंक से किस कदर लोग परेशान होंगे।

डॉग्स की बैन स्पेशीज के भी केसेज
बीते मार्च में डॉग्स की 23 डेंजरस प्रजाति के डॉग्स को पालने में बैन लगा दिया गया है। लगातार इन नस्लों द्वारा लोगों को काटने के मामले सामने आए थे, कई मामलों में पीडि़तों की मौत भी हो गई थी। ऐसे में इन नस्लों को पालने पर बैन लगा दिया गया था। दून हॉस्पिटल में इन नस्लों द्वारा लोगों को काटे जाने के मामले भी सामने आए हैैं, हालांकि इनकी संख्या कम है। इनमें रोटविलर, पिटबुल, अमेरिकन बुली जैसी डॉग्स की स्पेशीज शामिल हैैं।

45103 डॉग्स का स्टरलाइजेशन
दून नगर निगम की और से 2016-17 में एबीसी (एनीमन बर्थ कंट्रोल) की शुरुआत की गई थी। इसके बाद से यहां लगातार स्ट्रीट डॉग की पॉपुलेशन को कंट्रोल किया जा रहा है। सिटी के अलग-अलग एरिजाय में इसे लेकर कैंपन चलाया गया। एबीसी का काम देख रहे एनजीओ का दावा है कि अब तक दून में 45103 स्ट्रीट डॉग्स को स्टरलाइज किया गया है।

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