लखनऊ (ब्यूरो)। आज के समय में महिलाओं के साथ डोमेस्टिक वायलेंस और लड़कियों को क्रिटिसाइज करना बहुत आम बात हो गई है। हमारी आने वाली गवर्नमेंट ऐसी होनी चाहिए कि महिलाएं खुद को हर जगह सुरक्षित महसूस कर सकें। इसके लिए और भी ज्यादा कड़ा कानून बनाने के साथ-साथ ऐसा मैकेनिज्म भी तैयार करने की जरूरत है, जिससे महिलाएं घर पर ही रहकर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें, उनकी समस्या को नजरअंदाज न किया जाए और उन्हें परेशान करने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन हो। यह तो सिर्फ एक मुद्दा था, ऐसे ही तमाम मुद्दों पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की तरफ से आयोजित 'राजनीटी' परिचर्चा में लोगों ने रखने अपने विचार।

विकास करने वाले को बनाएंगे नेता

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर गुरुवार को पीजीआई इलाके के ब्राइट टेक्नोलॉजीस के ऑफिस में राजनीटी परिचर्चा की गई। इस परिचर्चा में बिजनेसमैन, प्राइवेट जॉब, गवर्नमेंट जॉब, मेडिकल फील्ड वगैरह से जुड़े लोगों के हिस्सा लिया। यहां लोगों ने रोजगार, शिक्षा, बेहतर स्वास्थ्य, महिलाओं की सेफ्टी, जनसंख्या नियंत्रण कानून, ऑनलाइन वोटिंग से लेकर रोजमर्रा की जिंदगी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। सभी लोगों का यही कहना था कि वोट उसी को मिलेगा, जो समस्या का हल करेगा, विकास की बात करेगा।

शिक्षा प्रणाली पर दिया जाए जोर

परिचर्चा में शाामिल हुए लोगों के लिए शिक्षा प्रणाली में सुधार एक बड़ा मुद्दा रहा। लोगों का कहना था कि एजुकेशन की फील्ड में सबसे ज्यादा सुधार करने की जरूरत है। बात चाहे सरकारी स्कूल की हो या फिर प्राइवेट की, हर जगह बेहतरी की जरूरत है। प्राइवेट स्कूलों की तेजी से बढ़ती फीस पर भी लगाम लगनी चाहिए। अगर शिक्षा में सुधार होता है तो काफी हद तक बच्चों को इसका फायदा मिलेगा। साथ ही लोगों में भी अवेयरनेस बढ़ेगी, परिचर्चा में जोर दिया गया कि शिक्षा पर काम करना आज के समय में सबसे ज्यादा जरूरत है।

स्वास्थ्य पर भी फोकस

परिचर्चा में दूसरा सबसे बड़ा मुद्दा स्वास्थ्य रहा। इसे लेकर सबने कहा कि आज के समय में ऐसे तमाम हॉस्पिटल हैं, जहां कहने को तो पूरी सुविधाएं होती हैं, लेकिन जब मरीज वहां जाता है तो उससे दवाईयां या फिर अलग-अलग चेकअप के नाम पर मोटी रकम ऐंठ ली जाती है। गवर्नमेंट को चाहिए कि सभी हॉस्पिटल में एक जैसा नियम बनाए, ताकि अमीरों से लेकर गरीबों तक को एक जैसा इलाज मिल सके। अस्पतालों में फीस सरकारी वाली होनी चाहिए और सुविधाएं प्राइवेट वाली।

पार्टी नहीं, कैंडीडेट रखता है मायने

ज्यादातर लोगों ने कहा कि बहुत से लोग सिर्फ पार्टी की बात करते हैं, कोई ये नहीं देखता है कि वे जिनको वोट दे रहे हैं वो कितना काबिल है। उसपर आपराधिक मामले तो नहीं दर्ज हैं? वो हम सब के बीच कितना आता जाता है? क्या वो हम सब की समस्याओं का दूर कर सकेगा? ऐसे तमाम सवाल हैं, जो हर एक वोटर के मन में आना चाहिए, लेकिन न जाने वोटर ऐसा क्यों नहीं करते, अगर इन छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया जाए तो काफी सुधार हो सकेगा और जनता को एक अच्छा नेता मिलेगा।

ये रहे अहम मुद्दे

- शिक्षा को बेहतर किया जाए, प्राइवेट वाली सुविधा देकर सरकारी शुल्क लिया जाए।

- स्वास्थ्य को लेकर बड़ा कदम उठाने की जरूरत है, क्योंकि स्वास्थ्य हर किसी से जुड़ा है।

- बेरोजगार युवाओं के बारे में सरकार को सोचना चाहिए, ताकि लोगों को रोजगार मिल सके।

- महिलाओं की सुरक्षा पर फोकस करने की जरूरत है।

- कैंडिडेट ऐसा हो, जो समस्या का समाधान करा सके, वो नहीं जो वोट पाने के बाद गायब हो जाए।

- कई लोग वोट नहीं डालते हैं, इसपर भी सख्त नियम बनाकर वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने की जरूरत है।

क्या बोले लोग

महिलाओं के प्रति अक्सर क्राइम अधिक रहता है। शहर में कई लोकेशन हैं, जहां अनसेफ फील होता है। क्राइम के बाद थानों के चक्कर भी काटने पड़ते हैं, लेकिन कई बार पुलिस की तरफ से सुनवाई नहीं होती है। इसपर गवर्नमेंट को ध्यान देने की जरूरत है, ताकि आने वाले समय में यह व्यवस्था और भी ज्यादा बेहतर हो सके।

आंचल पांडे

बात चाहे डोमेस्टिक वायलेंस की हो या फिर लड़कियों को क्रिटिसाइज करने की, ये सब आजकल बिल्कुल आम बातें हो गई हैं। हमारी सरकार ऐसी होनी चाहिए कि महिलाएं खुद को हर जगह सुरक्षित महसूस करें। एक ऐसी टेक्नोलॉजी पर काम करने की जरूरत है, जो महिलाओं के अंदर आत्मविश्वास पैदा करे।

नेहा तिवारी

सरकार चाहे कोई भी बने उसे सिर्फ जनता के लिए सोचना होगा, क्योंकि अक्सर नेता अपने लिए सोचते हैं। अगर सरकार जनता के लिए सोचना शुरू कर दे तो भ्रष्टाचार पर काफी हद तक लगाम लग सकेगी। मैं बहुत सोच समझकर वोट दूंगी, साथ ही दूसरों से भी अपील है कि अपना नेता बहुत सावधानी से चुनें।

प्रियंका सिंह

अब जो भी चुनाव हो रहा है, वह व्यक्ति विशेष पर आधारित हो रहा है। रोजगार, समाज, युवा वगैरह को ध्यान में रखते हुए अपना प्रत्याशी चुनना चाहिए। हर एक प्रत्याशी को जनता के बारे में सोचना चाहिए। कैंडिडेट्स को अच्छी छवी वाले नेताओं को अपना आदर्श मानकर काम करना चाहिए। अगर प्रत्याशी ऐसा करता है तो जाहिर सी बात है कि लोग उसे पसंद तो करेंगे ही साथ ही उनके इलाके का भी विकास होगा।

नीरज शुक्ला

स्वास्थ्य और शिक्षा सभी के लिए सबसे अहम मुद्दा है। स्वास्थ्य सेवाएं प्राइवेट अस्पतालों जैसी होनी चाहिए और फीस सरकारी हो, ऐसा ही शिक्षा के क्षेत्र में होना चाहिए। अगले कुछ महीनों में एडमीशन शुरू होने लगेंगे, इससे मध्यम वर्ग की जेब पर काफी भार पड़ता है। यहां पर स्थिति में सुधार करने की जरूरत है।

अमित यादव

वोट मांगने के लिए प्रत्याशी घर-घर आते हैं, लेकिन जब चुनाव खत्म हो जाता है और वे जीत जाते हैं, तो कोई भी झांकने तक नहीं आता। ऐसे में, सिर्फ ऐसे ही प्रत्याशी को वोट देना चाहिए, जो इलाके की समस्या का समाधान तो करे ही साथ ही मुसीबत में अपनी जनता के साथ खड़ा भी रहे।

नितिन त्यागी

हम व्यापारियों के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि कोई भी प्रत्याशी हम लोगों के बीच नहीं बैठता है। सुरक्षा की कोई बात नहीं होती है। व्यापारियों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर होना चाहिए, हमारा वोट इस बार उसी प्रत्याशी को रहेगा जो हमारी बात सुने, हमारी परेशानियों को संसद तक ले जाए, ताकि हम सुरक्षित महसूस करें।

दिलीप श्रीवास्तव

वोट हमारा संवैधानिक अधिकार है। कई बार लोग अपने काम में इतने बिजी हो जाते हैं कि वे वोट डालने नहीं जाते या छुट्टी समझकर आराम करते है, जिसका नतीजा होता है कि कई बार गलत प्रत्याशी जीत जाता है। वोटिंग परसेंटेज बढ़ाने पर काम करना होगा ताकि डिजर्विंग कैंडीडेट जीते। मैं खुद तो हर बार वोट देता ही हूं, साथ ही दूसरों से भी अपील है कि वे भी वोट जरूर डालें।

सचिन दीक्षित

शिक्षा सबसे बड़ा मुद्दा है। इस क्षेत्र में सुधार के कई दावे किए जाते हैं, अगर ऐसा है तो बड़े अधिकारियों और नेताओं को अपने बच्चों को भी सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहिए तब असलियत सामने आ पाएगी। अगर ऐसा किया जाएगा तो बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सकेगी और देश का भविष्य उज्ज्वल होगा।

रघुनाथ सिंह

देश में गरीबी खत्म करने के लिए सबसे पहले भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की जरूरत है। आने वाली सरकार को इसपर काम करने की जरूरत है। अमीर हो या गरीब, हर किसी की बात ऊपर तक पहुंचनी चाहिए। ऐसा न हो कि सिर्फ पैसे के दम पर लोग अपना काम आसानी से करवा लें और गरीब लाइन में खड़ा रहे।

मनोज कुमार यादव