लखनऊ (ब्यूरो)। सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकंड्री एजुकेशन (सीबीएसई) ने बोर्ड क्लासेज के लिए एक अहम फैसला लिया है। 10वीं और 12वीं बोर्ड एग्जाम में डिवीजन या डिस्टिंक्शन नहीं दी जाएगी। बोर्ड के इस फैसले का पेरेंट्स, स्टूडेंट्स और स्कूल्स ने स्वागत किया है। टीचर्स और पेरेंट्स का कहना है कि बोर्ड एग्जाम में स्टूडेंट्स के ऊपर नंबर लाने का काफी प्रेशर रहता है। इस फैसले के बाद से उन पर गैर जरूरी दबाव नहीं बनेगा।

स्ट्रेस से रहेंगे दूर

पायनियर मॉन्टेसरी स्कूल, एल्डिको शाखा की प्रिंसिपल शर्मिला सिंह ने बताया कि नंबरों के प्रति बढ़ती होड़ को देखते हुए सीबीएसई का यह फैसला काफी अहम है। बोर्ड एग्जाम का एक तो पहले से ही स्टूडेंट्स पर बहुत प्रेशर होता है। इसके बाद आजकल फुल मार्क्स लाने को लेकर पेरेंट्स और टीचर्स भी स्टूडेंट्स पर काफी प्रेशर बनाते हैं। इस फैसले के बाद इस प्रेशर से उन्हें मुक्ति मिलेगी। साथ ही वह एग्जाम में परफॉर्म करने की बजाय ओवर ऑल नॉलेज पर अधिक फोकस कर पाएंगे। नंबर और परसेंटेज उनकी क्षमताओं को बहुत सीमित कर देते हैं।

पॉजिटिव बच्चों पर नहीं दिखेगा असर

ब्राइटलैंड इंटर कॉलेज के संयुक्त निदेशक रचित मानस का कहना है कि बोर्ड ने कहा है कि वह एग्रीग्रेट मार्किंग नहीं करेगा। डिविजन और डिस्ंिटशन भी नहीं देगा। यह फैसला अच्छा है। इसके अलावा बोर्ड ने बच्चे के बेस्ट फाइव का चुनाव भी इंस्टीट््यूशन, स्कूल और एम्पलॉयर पर छोड़ा है। उस लिहाज से एक पॉजिटिव चेंज है, लेकिन स्टूडेंट्स पर इसका बहुत अधिक असर देखने को नहीं मिलेगा।

यह हुआ बदलाव

सीबीएसई बोर्ड रिजल्ट में सीजीपीए या कुमुलेटिव ग्रेड पॉइंट्स एवरेज लिखकर मार्कशीट देगा। सीजीपीए में सभी विषयों में स्टूडेंट्स की ओर से मिले हुए ग्रेड मार्क्स का एवरेज होता है। इसमें इंटर्नल टेस्ट भी शामिल होंगे।