लखनऊ (ब्यूरो)। नई एजुकेशन पॉलिसी के तहत हायर एजुकेशन में कई बदलाव किए जा रहे हैं। नए नए कोर्स सिलेबस में शामिल हो रहे हैं। न्यू एजुकेशन पॉलिसी के तहत अब एक अहम फैसला लिया गया है। देश में दो साल का बीएड कोर्स चार साल का होगा। नए शैक्षिक सत्र से चार साल का बीएड कोर्स शुरू करने की तैयारी है। शुक्रवार को इस संबंध में दो वर्षीय स्पेशल बीएड कोर्स पर भी भारतीय पुनर्वास परिषद ने रोक लगाकर 2024-25 से सिर्फ चार वर्षीय कोर्स को ही मान्यता देेने की बात की है। चार वर्षीय स्पेशल कोर्स को शहर के कईर् कॉलेजों के शिक्षक स्टूडेंट्स के लिए बेहतर मान रहे हैं, लेकिन प्राइवेट कॉलेजों में इस कोर्स को लेकर उहापोह की स्थिति बनी हुई है।

स्टूडेंट्स को मिलेंगे कई फायदे

चार साल के इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स में स्टूडेंट्स को कई फायदे मिलेंगे। इसमें ग्रेजुएशन की डिग्री में स्टूडेंट किसी भी स्ट्रीम से पढ़ाई कर सकेंगे। चार साल की बीएड की डिग्री में बीए बीएड, बीएससी बीएड, बीकॉम बीएड की डिग्री मिलेगी। चार साल में स्टूडेंट्स को ग्रैजुएशन के साथ बीएड की डिग्री भी मिलेगी। स्टूडेंट्स अपनी पसंद और एलिजिबिलिटी के अनुसार कोई भी स्ट्रीम से पढ़ सकेंगे। फिलहाल बीएड की डिग्री लेने तक छात्र के कुल जमा 5 साल खर्च होते हैं। जिसमें 3 साल की ग्रेजुशन और 2 साल का बीएड शामिल है।

प्राइमरी में अपात्र होने के बाद डगमगाई की थी दाखिलों की स्थिति

इरम गर्ल्स डिग्री कॉलेज के शिक्षकने बताया कि कॉलेज में दो वर्षीय बीएड कोर्स चलता है। प्राइमरी क्लासेज में बीएड डिग्री धारकों के रोक लगने के बाद कॉलेज में बीएड के दाखिलों में गिरावट देखने को मिली थी। हालांकि, मौजूदा समय में स्थिति बेहतर है। चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड कोर्स एक अच्छी पहल है, लेकिन सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में आगे चलकर दिक्कत हो सकती है। बीएड की संयुक्त प्रवेश परीक्षा में दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स अधिकतर लखनऊ यूनिवर्सिटी व आसपास के राजकीय कॉलेजों में दाखिले के अधिक इच्छुक होते हैं। सेल्फ फाइनेंस कॉलेजों में फीस एक बड़ा फैक्टर है।