लखनऊ (ब्यूरो)। रोज की तरह 27 फरवरी, 2015 को भी बाबूगंज इलाके के बाजार में भीड़ लगी हुई थी। कोई सामान खरीदने के लिए दुकान पर खड़ा था तो कोई वहां गुजर रहा था। तभी अचानक पूरा इलाका गोलियों की आवाज से गूंज उठा। शोर सुनते ही दुकानदार बाहर आ गए, इलाके में भगदड़ मच गई। भी लोगों ने देखा कि एटीएम बूथ के बाहर तीन लोग खून से लथपथ पड़े हैं। बगल में 500 और 1000 के नोट बिखरे हुए हैं। सूचना पर हसनगंज थाना पुलिस मौके पर पहुंची और घायलों को अस्पताल पहुंचाकर अपनी तफ्तीश आगे बढ़ाई। हालांकि, रास्ते में ही तीनों की मौत हो गई। तस्वीर साफ थी कि पैसों की लूट के लिए गोलियां चली गई थीं।

पूरे शहर में की नाकाबंदी

पुलिस ने तुरंत लोगों के बयान दर्ज किए पता चला कि पल्सर बाइक सवार बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया है। इसके बाद पुलिस ने शहर में नाकाबंदी कर दी। हर पल्सर सवार युवक की तलाश होने लगी। सीसीटीवी फुटेज चेक की गई तो पूरी वारदात सामने आई। इसके बाद पुलिस ने पीड़ित का बयान दर्ज किया तो पता चला कि कैश वैन के कस्टोडियन उदय और अनिल सिंह कैश लेकर एटीएम मशीन में लोड करने के लिए हजरतगंज से निकले थे। वह लोग हसनगंज के बाबूगंज स्थित निजी बैंक के एटीएम पहुंचे। दोनों कस्टोडियन बॉक्स लेकर अंदर चले गए, जबकि दो गार्ड अवनीश शुक्ला और अरुण कुमार एटीएम के बाहर खड़े थे। इस बीच बाइक सवार दो बदमाश वहां पहुंचे। दोनों ने पहले गार्ड अवनीश व अरुण फिर कस्टोडियन अनिल सिंह की गोली मार कर हत्या कर दी।

बदमाशों को पकड़ने के लिए लगाई 16 टीमें

वारदात को अंजाम देने के बाद बदमाश 52.50 लाख रुपये भरे बक्से को लूटकर फरार हो गए, इटौंजा के रहने वाले गार्ड आलोक मिश्रा की तहरीर पर केस दर्ज कर पुलिस ने छानबीन शुरू की। घटनास्थल के पास एक दुकानदार चश्मदीद के तौर पर मिला जिसने नकाबपोश बदमाशों को गोली चलाने से लेकर भागते देखा था। पुलिस ने उससे काफी पूछताछ की। यूपी के टॉप 20 अपराधियों के गैंग सदस्यों से कड़ी पूछताछ हुई। यूपी और दूसरे प्रदेशों के लूटेरे और हत्यारे गैंगों की पड़ताल का दावा किया गया, लेकिन पुलिस को कोई कामयाबी नहीं मिल सकी। इसके बाद पुलिस की 16 टीमें इस लूटकांड को अंजाम देने वाले अपराधियों की तलाश शुरू की।

कहानी में आया दिलचस्प मोड़

इसी बीच तेलांगना राज्य के नालगोड़ा पुलिस ने घटना के एक महीने बाद 4 अप्रैल 2015 को सिमी आतंकी एजाजुद्दीन और असलम को मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया था। दूसरे दिन तेलांगना पुलिस का बयान आया कि इन्ही दोनों आतंकियों ने लखनऊ के बाबूगंज में ट्रिपल मर्डर और एटीएम कैश लूटकांड को अंजाम दिया था। हर तरफ से निराशा हाथ लगने के बीच तेलांगना पुलिस के इस इनपुट ने लखनऊ पुलिस को मानो संजीवनी दे दी और पूरा पुलिस अमला मामले को उसी दिशा में मोड़ने का प्रयास करने लगे, लेकिन पुलिस की फजीहत तब हुई जब मारे गए आतंकियों की बाबूगंज कांड के दौरान लखनऊ में लोकेशन ही नहीं मिली। इसके बाद एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि एक पुलिस अधिकारी ने बाबूगंज लूटकांड का फर्जी खुलासे की योजना बनाई थी।

इन-इन जगहों पर किया ट्रेस

बदमाशों को पकड़ने के लिए लखनऊ पुलिस अबतक न सिर्फ यूपी बल्कि तमिलनाडू, तेलांगना, बंगाल, हरियाणा व राजस्थान के गैंगों को ट्रेस कर चुकी थी, लेकिन किसी गिरोह का कनेक्शन इस घटना से नहीं जुड़ा। इसी दौरान पुलिस ने आजमगढ़ के एक एक्टिव लूटेरा गिरोह पर हाथ डालने की कोशिश की, लेकिन कुछ अधिकारियों ने इस गैंग के पीछे भागने को समय की बर्बादी बताकर विरोध कर दिया। जिसको लेकर क्राइम ब्रांच और अधिकारी में विवाद शुरू हो गया। बात जब मुख्यालय तक पहुंची तो तफ्तीश में जुटे पुलिसकर्मियों ने इस गैंग का पीछा छोड़ दिया।

बंद करना पड़ा केस

इसी दौरान एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद की हत्या में पुलिस ने दो अपराधी को गिरफ्तार किया। पूछताछ में आया कि नवंबर 2015 को जज के गनर प्रमोद को गोली मारकर उसकी सर्विस पिस्टल लूटी गई थी। वहीं, इससे पहले रेनेसां होटल के एक्जक्यूटिव मैनेजर की हत्या करके उसकी नई पल्सर बाइक लूट ली थी। तंजील की हत्या में उसने इसी पल्सर का इस्तेमाल किया था। बाबूगंज लूटकांड में भी पल्सर का ही इस्तेमाल हुआ था, लिहाजा मुनीर से पूछताछ के दौरान इस घटना के बारे में भी पूछा गया। मुनीर ने 30 से अधिक घटनाओं में उसका जुर्म कुबूल कर लिया, लेकिन बाबूगंज की घटना से नकारता रहा। इसके बाद अप्रैल 2017 को पुलिस ने थक हार कर फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगाकर केस ही बंद कर दिया।