लखनऊ (ब्यूरो)। तेज धूप और गर्मी के चलते जहां आमजन को शरीर में पानी की कमी न होने देने की सलाह दी जा रही है और ओआरएस सहित तरल पेय पदार्थों का सेवन करते रहने को कहा जा रहा है, वहीं छह माह तक की आयु के बच्चों के केस में यह सलाह उचित नहीं है। एक शोध से यह निष्कर्ष सामने आया है कि जो बच्चे केवल स्तनपान नहीं करते हैं, उनमें केवल स्तनपान करने वाले बच्चों के मुकाबले डायरिया होने की नौ गुना ज्यादा संभावना होती है। यह जानकारी एसजीपीजीआई की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। पियाली भट्टाचार्य ने दी।

90 फीसदी पानी होता है

डॉ। पियाली बताती हैं कि छह माह तक कि आयु के बच्चों को गर्मी के मौसम में भी ऊपर से पानी पिलाने की जरूरत नहीं है, क्योंकि मां के दूध में लगभग 90 फीसद पानी होता है। नवजात को ऊपर का पानी देने में बच्चे में डायरिया या जलजनित बीमारी जैसे पीलिया या अन्य किसी तरह के संक्रमण की संभावना हो सकती है। ऐसे में बच्चा कमजोर हो सकता है, जिससे उसकी प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है और वह वह बार-बार बीमार पड़ सकता है। इसके आलावा बच्चे का पेट छोटा होता है और जल्दी-जल्दी खाली भी होता है। ऐसे में हमें बच्चे को पोषक तत्वों से भरपूर स्तनपान कराना चाहिए न कि पानी पिलाना चाहिए।

ऑटिज्म पीड़ितों की मदद बेहद जरूरी

ऑटिच्म के मामलों में खतरनाक स्तर पर वृद्धि हो रही है। सीडीसी द्वारा हाल के अनुमानों में दिखाया गया है कि यह समस्या 36 बच्चों में से 1 में है। वहीं, 2021 में आईसीएमआर के अध्ययन के अनुसार, भारत में 68 बच्चों में से 1 में यह मिलती है। ऑटिज्म के बढ़ते मामलों में कई कारक शामिल हैं और ऑटिज्म से पीड़ित व्यक्ति की जरूरतों को पूरा करने के लिए सेवा को मजबूत करना बेहद जरूरी है। यह जानकारी गुरुवार को केजीएमयू ने कलाम सेंटर में ऑटिज्म केयर सेंटर और एडवांस्ड मैनेजमेंट टेक्निक्स पर चर्चा करते हुए प्रो। विवेक अग्रवाल, हेड मनोचिकित्सा विभाग ने दी।

एक महत्वपूर्ण कदम

कार्यक्रम के दौरान बैंगलोर से आये डॉ। प्रतिभा कारंथ ने एएसडी वाले व्यक्तियों की विकासात्मक आवश्यकताओं के अनुरूप विशेष हस्तक्षेप विकसित करने में अपना विशाल अनुभव साझा किया। वहीं, केजीएमयू के अमित आर्या ने कहा कि आज का आयोजन ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकारों से पीड़ित लोगों की जरूरतों को पूरा करने के हमारे सामूहिक प्रयास में एक महत्वपूर्ण कदम है।